Tuesday, January 5, 2010

एक व्यक्ति 125 बार बलात्कार करता है लेकिन उसके विरुद्ध मुकदमा चलने का अवसर केवल एक बार ही आता है!

एक व्यक्ति 125 बार बलात्कार की घटनाओं में लिप्त हो तो केवल एक बार ही उसे सज़ा दी जाने की संभावना हैं बहुत से लोग इसे अच्छा जुआ समझेंगे रिपोर्ट से यह भी अंदाज़ा होता है की सज़ा दिए जाने वालों में से केवल 50 प्रतिशत लोगों को एक साल से कम की सज़ा दी गयी है हालाँकि अमेरिकी कानून के मुताबिक सात साल की सज़ा होनी चाहिए उन लोगों के सम्बन्ध में जो पहली बार सज़ा के दोषी पाए जातें हैं, जज़ नरम पद जाते हैं!

इस्लामी क़ानून में बलात्कार की सज़ा मौत है!!!

बहुत से लोग इसे निर्दयता कह कर इस दंड पर आश्चर्य प्रकट करते हैं कुछ का तो कहना है कि इस्लाम एक जंगली धर्म है मैंने उन जैसे कई व्यक्तियों से एक सवाल पूछा था - सीधा और सरल कोई आपकी माँ या बहन के साथ बलात्कार करता है और आपको न्यायधीश बना दिया जाये और बलात्कारी को सामने लाया जाये तो उस दोषी को आप कौन सी सज़ा सुनाएँगे ? मुझे प्रत्येक से एक ही जवाब सुनने को मिला- उसे मृत्यु दंड दिया जाये कुछ ने कहा कि उसे कष्ट दे दे कर मारना चाहिए मेरा अगला प्रश्न था अगर कोई व्यक्ति आपकी माँ, पत्नी अथवा बहन के साथ बलात्कार करता है तो आप उसे मृत्यु दंड देना चाहते हैं लेकिन यही घटना किसी और कि माँ, पत्नी या बहन के साथ होती है तो आप कहते हैं मृत्युदंड देना जंगलीपन है इस स्तिथि में यह दोहरा मापदंड क्यूँ?


पश्चिमी समाज औरतों को ऊपर उठाने का झूठा दावा करता है!!!
औरतों की आज़ादी का पश्चिमी दावा एक ढोंग है, जिनके सहारे वो उनके शरीर का शोषण करते हैं, उनकी आत्मा को गंदा करते हैं और उनके मान सम्मान को उनसे वंचित रखते हैं पश्चिमी समाज दावा करता है की उसने औरतों को ऊपर उठाया इसके विपरीत उन्होंने उनको रखैल और समाज की तितलियों का स्थान दिया है, जो केवल जिस्मफरोशियों और काम इच्छुओं के हांथों का एक खिलौना है जो कला और संस्कृति के रंग बिरंगे परदे के पीछे छिपे हुए हैं!!!


अमेरिका में बलात्कार की दर सबसे ज़्यादा है

अमेरिका को दुनियाँ का सबसे उन्नत देश समझा जाता है सन 1990 ई. की FBI रिपोर्ट से पता चलता है कि अमेरिका में उस साल 1,02555 बलात्कार की घटनाएँ दर्ज की गयी रिपोर्ट में यह बात भी बताई गयी है कि इस तरह की कुल घटनाओं में से केवल 16 प्रतिशत ही प्रकाश में आ पाई हैं इस प्रकार 1990 ई. की बलात्कार की घटना का सही अंदाज़ा लगाने के लिए उपरोक्त संख्या को 6.25 गुना करके जो योग सामने आता है वह है 6,40,968 इस पूरी संख्या को 365 दिनों में बनता जाये तो प्रतिदिन के लिहाज से 1756 संख्या सामने आती है


एक दूसरी रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में प्रतिदिन 1900 घटनाएँ पेश आती हैं

Nationl Crime Victimization Survey Bureau of Justice Statistics (U.S. of Justice) के अनुसार 1996 में 3,07000 घटनाएँ दर्ज हुईं लेकिन सही घटनाओं की केवल 31 प्रतिशत ही घटनाएँ दर्ज हुईं इस प्रकार 3,07000x 3,226 = 9,90,322 बलात्कार की घटनाएँ सन 1996 में हुईं ज़रा विचार करें हर 32 सेकंड में एक बलात्कार होता है


ऐसा लगता है कि अमेरिकी बलात्कारी बड़े निडर है

FBI की 1990 की रिपोर्ट यह बताती है कि बलात्कार की घटनाओं में केवल 10 प्रतिशत बलात्कारी ही गिरफ्तार किया जा सके हैं जो कुल संख्या का 1.6 प्रतिशत है बलात्कारियों में से 50 प्रतिशत को मुकदमें से पहले ही रिहा कर दिया गया इसका मतलब यह हुआ कि केवल 0.8 प्रतिशत बलात्कारियों के विरुद्ध ही मुकदमा चलाया जा सका


दुसरे शब्दों में अगर एक व्यक्ति 125 बार बलात्कार की घटनाओं में लिप्त हो तो केवल एक बार ही उसे सज़ा दी जाने की संभावना हैं बहुत से लोग इसे अच्छा जुआ समझेंगे रिपोर्ट से यह भी अंदाज़ा होता है की सज़ा दिए जाने वालों में से केवल 50 प्रतिशत लोगों को एक साल से कम की सज़ा दी गयी है हालाँकि अमेरिकी कानून के मुताबिक सात साल की सज़ा होनी चाहिए उन लोगों के सम्बन्ध में जो पहली बार सज़ा के दोषी पाए जातें हैं, जज़ नरम पद जाते हैं


ज़रा विचार करें एक व्यक्ति 125 बार बलात्कार करता है लेकिन उसके विरुद्ध मुकदमा चलने का अवसर केवल एक बार ही आता है और फिर पचास प्रतिशत लोगों को जज़ की नरमी का फायेदा मिल जाता है और एक साल से भी कम मुद्दत की सज़ा किसी ऐसे बलात्कारी को मिल पाती है जिस पर यह अपराध सिद्ध हो चूका हो



बलात्कार की सज़ा मौत: लाल कृष्ण आडवानी

हालाँकि मैं श्री लाल कृष्ण आडवानी जी की अन्य नीतियों और विचार से बिलकुल भी सहमत नहीं हूँ लेकिन मैं सहमत हूँ लाल कृष्ण आडवानी के इस विचार से कि बलात्कारियों को सज़ा-ए-मौत देनी चाहिए उन्होंने यह मांग उठाई थी कि बलात्कारी को मृत्युदंड दिया जाना चाहिए सम्बंधित खबर पढें...




इस्लामी कानून निश्चित रूप से बलात्कार की दर घटाएगा
स्वाभाविक रूप से ज्यों ही इस्लामिक कानून लागू किया जायेगा तो इसका परिणाम निश्चित रूप से सकारात्मक होगा अगर इस्लामिक कानून संसार के किसी भी हिस्से में लागू किया जाये चाहे अमेरिका हो या यूरोप, ऑस्ट्रेलिया हो या भारत, समाज में शांति आएगी

-सलीम खान

33 comments:

  1. वैज्ञानिक सलीम खान साहब आपने बहुत जानकारी पेश की, धन्‍यवाद , मुझे लगता है आपको स्‍वागत है भी कहना चाहिए, क्‍या कहतो हो?

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  2. महोदय वैज्ञानिक जी और उनके चाहने वालों एक नज़र इस पोस्ट पर डालो और ईमानदार विमर्श करने का साहस जुटाओ
    कितनी औरतें स्वेच्छा से अपने पति को दूसरी शादी की अनुमति देती होंगी??
    इस्लामी कानून हो या भारत का संवैधानिक कानून जिसे आप लोग मानने में हिचकिचाते हो और शायद ये नहीं जानते और मानते कि उसी ने आपको शरीयत को मानने के लिये अलग व्यवस्था प्रदान कर रखी है। क्या आप चाहते हैं कि भारत के संविधान का स्थान पूर्णतया इस्लामी कानून को दे दिया जाए। यदि सचमुच ईमानदार हैं तो इस विमर्श पर अवश्य पधारिये

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  3. पाकिस्तान में पूर्ण शांति आ चुकी है. वहाँ बलात्कार होते ही नहीं. होते है तो सजा भी मिलती है. मुखत्यार माई वाला केस सामने ही है.

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  4. पाकिस्तान और भारत दोनों में ही सामाजिक और कानूनी हालत यकसां सी हैं!

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  5. सलीम भाई, आपने कहा "पाकिस्तान और भारत दोनों में ही सामाजिक और कानूनी हालत यकसां सी हैं!"… बात समझ नहीं आई, पाकिस्तान तो इस्लामी देश है, शरीयत लागू है… फ़िर भारत जैसे हालात क्यों हैं? ज़रा तफ़सील से समझाईये… क्या वहाँ के बलात्कारी मौत से नहीं डरते? या उधर शरीयत फ़ेल हो चुका है? थोड़ा और समझाईये…।
    एक प्रस्ताव मैंने बहुत पहले रखा था कि एक सकारात्मक(?) शुरुआत करते हुए मुस्लिम विद्वान ऐसा करें कि भारत की जेलों में जितने भी मुस्लिम कैदी "भारतीय कानून" के मुताबिक सजा काट रहे हैं उनकी सजा शरीयत के हिसाब से दे दी जाये, चाहे वह सलेम हो या तेलगी या कोई और्… फ़िर उनका अंजाम देखकर जब बाकी के कैदी बहुत डर जायेंगे तब यह कानून बाकियों पर भी लागू कर देंगे… कैसा रहेगा? ज़ाहिर है कि पहल तो आपको ही करनी पड़ेगी इस मामले में… क्योंकि जब चार शादी के लिये शरीयत की आड़ ली जाती है तब किसी मुस्लिम द्वारा किये गये बलात्कार की सजा भी उसकी मौत होनी चाहिये ना? मैं थोड़ा समझना चाहता हूं… आप विद्वान हैं निश्चित ही समझायेंगे इस बिन्दु को।

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  6. सलीम जी लगता है आप सठिया गए हैं, और तभी तो बहकी बहकी बातें कर रहे हैं,
    अरे श्रीमान शुक्र है की आप हिंदुस्तान मैं हैं, और भारतीय संविधान के हिसाब से जीते हैं। सबसे ज्यादे बलत्कार तो मुष्लिम देशो मैं ही होते हैं तभी तो उन्हें रोकने के लिए यैसे कानून की जरुरत पड़ी। हाथ काट देना, गोली मार देना सजाये मौत देना। कभी किसी पाकिस्तानी औरत या अफगानिस्तानी औरत से मिलकर उसका दर्द समझने की कोशिश करना समझ मैं आ जायेगा की क्या होता है इस्लामिक कानून। शायद आपको ये भी पता होगा की इश्लामिक कानून के हिसाब से हर एक मुस्लमान को टोपी और लम्बी दाढ़ी जरुरी है, मगर आप तो सफाचट नजर आते है। और पाकिस्तान , अफगानिस्तान, इराक , इरान मैं रोज हजारो को संख्या मैं जेहाद के नाम पर मारे जाते हैं, एक मुस्लमान ही दुसरे मुस्लमान का दुश्मन, क्या येही सिखाता है आपका कानून।

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  7. हां भाई मुसलमानों को मांग करनी चाहिए की जिस भी मुस्लिम मुजरिम का गुनाह साबित हो चुका है उसे शरिया के मुताबिक सजा मिले, अगर इससे मुस्लिम समाज के अपराधियों की संख्या में कमी आती है तो इसे सभी पर लागू किया जाएगा. पर पहल मौलानाओं को ही करनी होगी मुस्लिम अपराधियों को सबसे सख्त सजा दिलाने में. क्या कहते हो?

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    यह ठीक है कि इस्लामी कानून में बलात्कार की सजा मौत है पर सवाल यह है कि कितनों को यह सजा मिलती है?
    सजा न मिल पाने का कारण यह है कि इस्लामी कानून के मुताबिक बलात्कार को साबित केवल दो तरीकों से किया जा सकता है...पढ़िये यहाँ पर... और यहाँ पर भी
    मैं उद्धृत कर रहा हूँ...
    Rape categorized as liable to hadd is really of an academic nature, as the standards of proof required for it are so difficult to meet that there is very little possibility that a rapist would ever be punished for rape liable to hadd. Proof of rape liable to hadd could be in two forms. First, if the rapist makes a confession before the court. The confession can be retracted any time before the execution of punishment, in which case it cannot be carried out. Second, if at least four Muslim adult male witnesses, about whom the court is satisfied having regard to the requirements of Tazikyah-al-shuhood that they are truthful persons and abstain form major sins, give evidence as eye-witness of the act of penetration necessary to the offence. Now as far as the first form of proof is concerned it is difficult to imagine that a rapist would come to court and confess his shameful act. Obviously there is a greater possibility that, if caught, he would try to refuse and plead not-guilty but the confession is deemed by Muslims to be possible, at least, in an ideal Muslim society. The second form of proof is also difficult to meet, because how could a rapist commit rape before four adult, pious and male witnesses? It should be noted that women and non-Muslim men are not accepted as witnesses for this purpose. This is highly discriminatory against women and non-Muslims. The test to examine the credibility of the Muslim male witnesses, called Tazkiyah-al-shuhood is also very severe and difficult to meet, bearing in mind the moral situation of Pakistani society.[4] The rapist, knowing the law, would try to commit the offence when no men, at least Muslim men, were around. When even the evidence of the raped woman is not acceptable, this puts the offender in a very privileged position and it should be noted further that four pious male witnesses must have seen the actual penetration during the act of intercourse. It is not enough if three of them have seen the actual penetration and the fourth one has only seen the rapist running away from the place of the offence.
    अभी जारी है...

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    आगे पढ़िये...

    मतलब या तो

    १- बलात्कारी खुद अपना गुनाह मान ले( जो कि असंभव है)
    २- या फिर चार व्यस्क, पवित्र, मुसलमान पुरूष इस बात की गवाही दें कि उन्होने बलात्कार के समय लिंग को योनि में प्रवेश करते हुऐ अपनी आंख से देखा (अब यह भी असंभव है क्योंकि यह कैसे संभव है कि चार व्यस्क, पवित्र, मुसलमान पुरूषों की आंखों के सामने बलात्कार हो जाये और वह रोकने के बजाय गवाही के लिये देखते रहें)


    अब देखिये...

    For the punishment liable to hadd, the status of the offender is a basic consideration. If the offender is a married person he would be stoned to death ("such the witnesses who deposed against the convict as may be available shall start stoning him and while stoning is being carried on, he may be shot dead, whereupon stoning and shooting shall be stopped").[5]If the offender is not a married person he would be punished with one hundred lashes in a public place and with such other punishment including the sentence of death as the court may deem fit, having regard to the circumstances of the case.[6]

    As I have mentioned above, there is very little possibility that hadd punishments would be inflicted on a rapist due to the strict standards of proof. This is the reason why, since the implementation of the ordinance, no rapist has been awarded the hadd punishment...***यह पाकिस्तान का हाल है***

    पूरा लब्बो-लुबाब यह है कि बलात्कार का ईस्लामी कानून नारी के प्रति न्याय नहीं करता यह बात मेरे दिये लिंकों में भी साफ साफ कही गई है।

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  10. @ खान साहब कमेंटस में किसी सवाल का जवाब न दे पाऐं तो बताऐं, पोस्‍ट डालने वाले की पहली जिम्‍मेदारी होती है, वैसे जहां तक मैं जानता हूं अन्‍जुमन के अधिकतर मेम्‍बर हर सवाल के जवाब दे सकते हैं, रही बात मेरी तो मुझे देखना है आप ज्ञान की बातें करेंगे या विज्ञान की, खुदा की क़सम 35 साल की उम्र में उमर कैरानवी को इस्‍लाम के खिलाफ कोई सवाल ऐसा नहीं मिला जिसका तसल्‍लीबख्‍श जवाब न मिला हो, और किसी को अपने धर्म से तसल्‍ली हो तो बताना साइबर मौलाना सर्वधर्म ज्ञान रखता है

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  11. हां भाई कैरान्वी मुझे बुद्ध से और यहोवाह से तसल्ली है...... बताओ अब क्या बताते हो

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  12. @यहूदी भाई ab inconvenienti तुम बौद्ध धर्म के पंचशील में से एक अहिंसा का भी आचरण करता तो अपनी सिग्रेट,शराब पर मशवरे देने वाली जैसे पोस्‍ट न लिखता, खेर भाई कहा है तो मायूस नहीं क्‍या जाएगा, अभी खान साहब की प्रतीक्षा करने दो,

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  13. कैरान्‍वी तू प्रतीक्षा करता रह, यह यहूदी जानता है सियाना कौन है, जाल लगाता है, यह अधिकतर अपने को कम्‍यूनिस्‍ट बता कर धोका देता है, ऐसों वेसों के लिए हम हैं 'इकबाल' ले कुछ प्रवचन सुन

    इस संसार का आधा नाश बुद्ध ने कर दिया, जो आधा शेष बचा था, उसे रामानुज ने नष्‍ट कर दिया....शंकराचार्य

    बुद्ध ने हमारे राष्‍ट्रीय एवं सांस्‍कृतिक गौरव का नाश कर दिया, भारतीय गुलामी का सबसे बडा कारक तत्‍व बुद्ध और महावीर तीर्थकर का अहिंसावादी दर्शन है, इसने समाज का पौरूष ही नष्‍ट कर दिया-- नित्‍यानंद सिंहा

    भारत पर विदेशी हमले बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार और इसको राजधर्म बन जाने के बाद प्रारम्‍भ हूए, अहिंसा, करूणा, दया और क्षमा के अव्‍यवहारिक उपदेश ने समाज के सांप-बिच्‍छुओं को पनपने का मौका दिया, समाज में अव्‍यवस्‍था फैली कानून और राजदंड निरर्थक हो गए, इससे अपराधियों को बल मिला,

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  14. Aap log kisi bhi chiz ko keval INSANIYAT k nazariye se kyu nhi sochte???bhaad me jaye baaki sab...insan sabse upar h..plz ye baate khtm kijiye..... kuch naya sochiye... kab tak ye behes chalegi?jiska koi fayeda bhi nhi.... dukh hota ha ye sab dekhkr...

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  15. why to take FBI 1990 report when they have published 2008 already. Did you see the race and religion actually involved most of the rape incidents in US ?

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    दोस्तों यह नहीं चलेगा, एक मुद्दा ऊठाया आपने, मैंने सवाल किया पर उसका जवाब देने से पहले ही यहूदी-मुस्लिम भिड़त शुरु हो गई...
    फिर कहता हूँ कि मेरे इस सवाल का जवाब क्या है कि 1987 में शरई कानून लागू होने के बाद भी आज तक पाकिस्तान में एक भी मुस्लिम शख्स को बलात्कार के आरोप में सजायेमौत नहीं मिली, क्या बलात्कार नहीं हुऐ या शरई कानूनों के मुताबिक उस तरीके से नहीं हुऐ कि सबसे बड़ी सजा सुनाई जा सके।

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  17. इस्लामी कानून निश्चित रूप से बलात्कार की दर घटाएगा.

    स्वाभाविक रूप से ज्यों ही इस्लामिक कानून लागू किया जायेगा तो इसका परिणाम निश्चित रूप से सकारात्मक होगा अगर इस्लामिक कानून संसार के किसी भी हिस्से में लागू किया जाये चाहे अमेरिका हो या यूरोप, ऑस्ट्रेलिया हो या भारत, समाज में शांति आएगी!

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  18. पाकिस्तान और भारत दोनों में ही सामाजिक और कानूनी हालत यकसां सी हैं!

    is waqy ko samajh na aane walon ki buddhi par taras aata hai...

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  19. पहले इस्लामिक देशों में तो शांति ले आओ, दुनिया की चिंता बाद में करना.

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  20. सलीम भाई, मैं तो पहले ही कह चुका हूं कि "मेरी बुद्धि कम है" फ़िर तरस क्यों खा रहे हैं… मेरे प्रस्ताव पर न सही, प्रवीण शाह जी की बात का ही जवाब दीजिये ना… कि उक्त दोनों शर्तें सही हैं या नहीं?

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  21. मुझे लगता है बहस ग़लत दिशा में जा रही है. इस्लामी क़ानून कहता है की 'बलात्कार की सजा मौत है.' सवाल बस इतना है की यह क़ानून सही है या ग़लत? अब यह कहाँ लागू हो पा रहा है कहाँ नहीं ये तो अलग मुद्दा हो गया.

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  22. इन दिनों पोस्ट को पूरा पढ़े ही फ़िज़ूल लोग वाद-विवाद और विमर्श में उलझ जाते हैं.पाकिस्तान को मैं ने कभी भी इस्लामिक मुल्क नहीं माना.और तो और दुनिया में कहीं भी सही ढंग से शरियत लागू नहीं है.
    लेकिन ये बात मान लेने में गुरेज़ नहीं करना चाहिए की कई मुल्कों ने शरियत की कई चीज़ों को लिया है.जैसे तलाक़ की अवधारणा कहीं नहीं थी.विवाह को समझौता इस्लाम मानता है, बंधन नहीं.संपत्ति में औरत को अधिकार भी इस्लाम की देन है.

    हमें चिंता अपने देश की है और आजकल हर तरह के भ्रष्टचार तेज़ी से बढे हैं.जिसमें यौनिक हिंसा अव्वल है.और सलीम भाई ने इस्लाम नजरिये से यहाँ अपनी बात रखने की कामयाब कोशिश की है.
    सवाल है की बलात्कारी को क्यों न सख्त से सख्त सजा दी जाए.
    जैदी साहब से सहमत!

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  23. totally agree with saleem sahab!

    plz read this post carefully then comment, yes mr.shahroz.

    aap log amreeka kee itni himaayat kyon karte hain, begani sahab! chiplunkar ji aur aadi-aadi!

    are bhaiya padhiye aur chashma badhiya lagayiye.
    ved ko padhiye,vivakanad, rajaram mohan raay, radha krishnana aur rahul jaise logon se islaam ko jaaniye.

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  24. इस्लामी नियम के पालन से कैसा शान्तिपूर्ण समाज बनता है इसे उदाहरण के रूप में सऊदी अरब को देख कर समझा जा सकते है, जो लोग वहाँ नहीं रहे हैं वह हम से सम्भव है सहमत न हों क्योंकि मेडिया ने ऐसा ही कुछ जिहन बना रखा है। लेकिन जो लोग वहाँ रह चुके हैं वह जानते होंगे कि कैसे लोग दुकानों में जा कर अपनी ज़रूरत का सामान उठा कर लाते हैं, और काऊंटर पर हिसाब करा लेते हैं,चाहें तो कितना सामान दबा सकते थे, लेकिन दिल में अल्लाह का जो भय है वह चौकीदारी कर रहा है, दुकानों के पास खाने की सामग्रियाँ कम्पनी वाले 5 बजे सुबह ही फैंक कर चले जाते हैं पर क्या मजाल कि कोई उसकी ओर झाँक कर भी देख ले।

    और दूसरी बात यह कि हम हर जगह इस्लामी नियम को नाफिज़ करने की बात नहीं करते,हाँ यह अवश्य कहते हैं कि जहाँ कहीं भी इस्लामी नियम नाफिज़ होगा वहाँ शान्ति होगी। वहा के लोख सुख से रहेंगे, भेद-भाव खत्म होगा। सहानुभुति होगी।

    और यह सारी बातें इनसानियत के नाते ही कही जाती हैं। हम सब इनसान हैं और इनसान को ईश्वर की ओर से एक ही नियम मिला है। अब आवश्यकता है कि मानव अपने ईश्वर के नियम की खोज करके उसके अनुसार जीवन बिताए। या कम से कम उसका विरोद्ध न करे।

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  25. @ शहरोज़, शफात जी आपकी बातों से सहमत परन्‍तु मुझे लगता है इस पोस्‍ट में असल बात तो है ही नहीं यानी कुरआन की वह आयत ही नही सोचा वह भी हो तो यह गंदी बातें उठा कर ला रहें हैं, उनसे आगे बात की जा सके, ऐसी बेशर्मी की बातें इस्‍लाम से जोड रहे हो, 53 इस्‍लामी देशों में इन लोगों को पाकिस्‍तान ही दिखाई देता है, मेरी नजर में तो वह 3 में ना 13 में है, हमारी इसी सोच का नतीजा है चीन बहुत आगे तक आगया और हम लोग बस पाकिस्‍तान की सोचते रहे, वेसे कोई हैरत की बात नहीं बस यह पोस्‍ट अधूरी है, जिधर भरपूर है उधर कुछ पढ आओ तो सबका भला हो नमूना निम्‍न है,

    ‘‘और जो लोग अपनी पत्नियों पर लांच्छन लगाएं, और उनके पास सिवाय स्वयं के दूसरे कोई गवाह न हों उनमें से एक व्यक्ति की गवाही (यह है कि) चार बार अल्लाह की सौगन्ध खाकर गवाही दे कि वह (अपने आरोप में) सच्चा है और पाँचवी बार कहे कि उस पर अल्लाह की लानत हो, अगर वह (अपने आरोप में) झूठा हो। और स्त्री से सज़ा इस तरह टल सकती है कि वह चार बार अल्लाह की सौगन्ध खाकर गवाही दे कि यह व्यक्ति (अपने आरोप में) झूठा है, और पाँचवी बार कहे कि इस बन्दी पर अल्लाह का ग़ज़ब (प्रकोप) टूटे अगर वह (अपने आरोप में) सच्चा हो।’’ (सूरह नूर 6 से 9)

    सजा के लिएः
    24:2
    ज़ि‍ना करने वाली औरत और ज़िना करने वाले मर्द इन दोनों में से हर एक को सौ (सौ) कोडे मारो और अगर तुम ख़ुदा और रोज़े आखिरत पर इमान रखते हो तो हुक्मे खुदा के नाफिज़ करने में तुमको उनके बारे में किसी तरह की तरस का लिहाज़ न होने पाए और उन दोनों की सज़ा के वक्त मोमिन की एक जमाअत को मौजूद रहना चाहिए
    The woman and the man guilty of adultery or fornication,- flog each of them with a hundred stripes: Let not compassion move you in their case, in a matter prescribed by Allah, if ye believe in Allah and the Last Day: and let a party of the Believers witness their punishment.‎ (24:2)


    और तफसील से समझने के लिए देखें 20 सवालों में 13वें सवाल का जवाब
    ''गवाहों की समानता''
    आपके (Non-Muslims) सवाल हमारे जवाब muslims-answer
    http://islaminhindi.blogspot.com/2009/03/non-muslims-muslims-answer.html

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  26. .
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    @ Safat alam taimi,

    इस्लामी नियम के पालन से कैसा शान्तिपूर्ण समाज बनता है इसे उदाहरण के रूप में सऊदी अरब को देख कर समझा जा सकते है, जो लोग वहाँ नहीं रहे हैं वह हम से सम्भव है सहमत न हों क्योंकि मेडिया ने ऐसा ही कुछ जिहन बना रखा है। लेकिन जो लोग वहाँ रह चुके हैं वह जानते होंगे कि कैसे लोग दुकानों में जा कर अपनी ज़रूरत का सामान उठा कर लाते हैं, और काऊंटर पर हिसाब करा लेते हैं,चाहें तो कितना सामान दबा सकते थे, लेकिन दिल में अल्लाह का जो भय है वह चौकीदारी कर रहा है,

    इतनी तारीफ मत करो सऊदिया की मियां, एक नजर इस तरफ भी तो देखो कि कैसा यह भय है और क्या हुआ मुरादाबाद के हबीब हुसैन के साथ वहाँ पर...

    पढ़िये हबीब हुसैन की कहानी...

    ``I know there could have been serious problems during the flight, but I had confidence in my countrymen. Moreover, I was ready to face any consequence in India which would have been better than living in Saudi Arabia,'' he says.

    यानी भारत किसी भी हाल में सउदिया से बेहतर है!


    All that Habib got to eat in the six months that he was away was one roti and a bowl of dal worth Re 1 each day - bought from the money that the Hajis tipped him with. ``I didn't get a penny from my employer and started saving whatever I could to get back to my country. I could manage to save Rs 800 and thought if my passport was returned to me, I could board a flight to India. But whenever we asked for our passports, we were kicked and thrashed and made to work for over 14 to 18 hours a day,'' he said.

    ``Indian labour is sold in Saudi like cattle and thousands of Indians from UP and Bengal are suffering there. They are helpless without their passports,'' said Habib. ``My agent (Imran) got an assignment to provide 50 labourers from India. We were recruited and sent in groups of five, 10 and 20. After landing, I was made to work in Jeddah for a month. I grazed goats during the day and worked as a cleaner at the airport in the evenings. I worked for 14-18 hours a day. Thereafter, I was sold to a `khafil' or agent in Medina who required 500 people. In Medina, I worked for over 15 hours daily. I wept and wondered how my family was doing back home,'' he said.


    वो भेड़ बकरी जैसे हिन्दुस्तानी मुसलमानों को बेचते हैं, सताते हैं और फिर भी तुम उनके गुण गा रहे हो क्योंकि वहाँ शरीयत लागू है... कुछ तो दिमाग लगाओ यार... सच बोलो, सच का साथ दो...यही सबसे बढ़ी सीख होती है धर्म की...

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  27. @ भाई प्रवीण शाह मुरादाबाद के हबीब मियां के साथ साथ जो लाखों हाजी वहां से हर साल आते हैं उनकी भी सुन लिया करो, हबीब को तो अल्‍लाह जाने क्‍या सच है, मेरे अब्‍बा अम्‍मी हज पर गए थे आज तक कान पक गए वहां की तारीफ करते करते, लेकिन वह न थके, मिडिया के तरफदार मुझे बता कौन सी तेरी मिडिया है जो इस्‍लाम हित में कुछ दे सकती है, लाखों करोडों में ऐसे एक आदमी का बयान लेकर गाते फिरते हो, नालायक एक भी टीवी अखबार किताब बता दे जो इस्‍लाम हित में हो और उससे कहना साबित करके दिखाए कैसे साबित होता है मैं बता दूंगा, मेरे पास तुम्‍हें पता ही सुपर वाइरस है उसकी News बनवादे, अन्तिम अवतार पे बनवादे, श्रंखला लगा दूं, तू बता तो कौन है, कौन है, कौन है?

    तेरे साथ सारी ब्‍लाग दुनिया ने देखा एक कैरानवी को ब्‍लागवाणी मेम्‍बरशिप मिलने में कितना समय लगाया गया है किसी के पास है जवाब ऐसा क्‍यूं हुआ? जबकि यहां एक से एक हरामी, मक्‍कार,गद्रदार, नालायक सबको मेम्‍बरशिप दी हुई एक नहीं कई कई दी हुई थी, है जवाब कि मुझे क्‍यं न दी गई, क्‍या यह नहीं है मिडिया की मामूली मिसाल

    रही बात हिन्‍दुस्‍तानियों के साथ बरताओ की वाकई वहां बुराई भी है पर वह आटे में नमक जैसी है, इतना मेटर सर्च करके लाते हो जरा यह तो सर्च करो कि दुनिया में सबसे कम क्राइम कहां होता है?

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  28. एक कैरानवी को ब्‍लागवाणी मेम्‍बरशिप मिलने में कितना समय लगाया गया है किसी के पास है जवाब ऐसा क्‍यूं हुआ?
    भाई क्या हमें ब्लागवाणी पर देखा है? आप क्यों उन बनियों की दुकान का सामान बनने के लिये रिरियाते रहे। आपकी बात में दम है तो पूरे जोर से अपने आप फैलती है। सहमतियां और असहमतियां समय के आयाम में प्रगति और अवनति के घटक हैं जिनसे इन्कार नहीं करा जा सकता। आप जिन चिरकुटों को तवज्जो देते हैं वे क्या हैं ये दुनिया जानती है। आप अपनी ढपली बजाओ यार जिसे रस आएगा वो झूमेगा जिसे बुरा लगेगा वो भाग जाएगा लेकिन अगर कोई ढपली छीनना चाहे तो उसका बैंड बजा दो। सबको हक है अपनी अपनी पेले रहने का......

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  29. @ भाई रूपेश जी आपका जवाब आया, हालांकि यह क्‍यूं का जवाब नही नसीहत अधिक है कि यूं कर लो, सवाल तो उसमें कई थे आपके लिए फिर से, आप यह भी सवाल पूछ सकते हैं सुपर वाइरस क्‍या है कैसा है आदि या पता है आपको?

    again
    मिडिया के तरफदार मुझे बता कौन सी तेरी मिडिया है जो इस्‍लाम हित में कुछ दे सकती है, लाखों करोडों में ऐसे एक आदमी का बयान लेकर गाते फिरते हो, नालायक एक भी टीवी अखबार किताब बता दे जो इस्‍लाम हित में हो और उससे कहना साबित करके दिखाए कैसे साबित होता है मैं बता दूंगा, मेरे पास तुम्‍हें पता ही सुपर वाइरस है उसकी News बनवादे, अन्तिम अवतार पे बनवादे, श्रंखला लगा दूं, तू बता तो कौन है, कौन है, कौन है?

    तेरे साथ सारी ब्‍लाग दुनिया ने देखा एक कैरानवी को ब्‍लागवाणी मेम्‍बरशिप मिलने में कितना समय लगाया गया है किसी के पास है जवाब ऐसा क्‍यूं हुआ? जबकि यहां एक से एक हरामी, मक्‍कार,गद्रदार, नालायक सबको मेम्‍बरशिप दी हुई एक नहीं कई कई दी हुई थी, है जवाब कि मुझे क्‍यं न दी गई, क्‍या यह नहीं है मिडिया की मामूली मिसाल

    रही बात हिन्‍दुस्‍तानियों के साथ बरताओ की वाकई वहां बुराई भी है पर वह आटे में नमक जैसी है, इतना मेटर सर्च करके लाते हो जरा यह तो सर्च करो कि दुनिया में सबसे कम क्राइम कहां होता है?

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  30. उमर बाबू डा.रूपेश जी ने आपको जो समझाने की कोशिश करी है यदि आप दुराग्रही हैं तो हरगिज न समझ पाएंगे। आपके हर सवाल का उत्तर है कि पूरी दुनिया में दो ताकते हैं एक अरबी साम्राज्यवाद है जो कि धार्मिक ताकत लेकर चल रहा है दूसरा अमेरिकी साम्राज्यवाद है जो कि आर्थिक और तकनीक लेकर चल रहा है उस टकराव का लाभ लेने के लिये राक्षस हैं जैन(जो तुम जैसे खुद को सर्वाधिक विद्वान समझने वाले लोग न मानेंगे, ये संजय बेंगाणी और प्रवीण शाह इसके उदाहरण हैं जो तुम्हें उचका देते हैं)तुम बस हिंदुओं से सिरफोड़ी करते रहो। क्या किसी जगह साहित्य में साइबर मौलाना ने पढ़ा है कि जब इस्लाम और अन्य धर्म भारत आए तो जैन क्या कर रहे थे? तुम सबको आपस में लड़ा रहे थे। अरे यार ये वो लोग हैं जो जिन्होनें मोहम्मद साहब के ऊपर भी जादू करा था(याद है या ये बकवास है?)जब उनके उम्मती मौजूद हैं तो जादू के मानने वाले सब कहां गायब हो गये? अरे ये ही है जो पूरी दुनिया में अलग अलग पहचान के साथ रह रहे हैं भारत में ये जैन हैं।

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  31. आदरणीय धर्मगुरुओं
    क्या बात है बलात्कार में बड़ी दिलचस्पी ले रहे हो.....
    खैर बलात्कार को टैबू बनाना ही बलात्कार की जड़ है....सख्त सजा की बात करने की वजह......यही ना की इज्ज़त लुट गयी.....मगर इज्ज़त ???????? होती क्या है ????????????जनांग को इज्ज़त कहते हैं.......एक लड़की नंगी हो गयी सेक्स करलिया तो बस लुट गयी इज्ज़त ........पाता है ये इज्ज़त इज्ज़त की रट कितनी ज़िन्दगी लील लेती है........कितनी मासूम आत्महत्या कर लेती हैं........अपराधबोध से पूरी ज़िन्दगी बोझ बना लेती हैं..............बलात्कार एक शारीरिक हिंसा है और इसके ज़िम्मेदार तत्व.......मर्दों की कुंठा और पितृ-सत्ता है.............सब के सब औरतों की रक्षा के लिए परेशान हैं.........यही वजह है बलात्कार की........औरतें खुद की रक्षा कर सकती है माशा-अल्लाह आज की औरतें.........हर क्षेत्रों में आगे हैं.........वो सब संभल लेंगीं........
    भाइयो, वैसे आप सब औरतों के बड़े हमदर्द हैं .........मै औरतों के तस्करी के खिलाफ काम कर रहा हूँ........सबसे बड़ी बात ये है की उनमे ज्यादा तर औरतें मुसलमान है ................आईये हमारे साथ...........मुझे लोगों की बहुत ज़रूरत है..........आप कई तरह से मदद कर सकते हैं.........हरियाणा या पंजाब में किसी जगह आकर अपना कीमती वक़्त दे सकते हैं.......जो लड़की हमने मुक्त करायी है उनसे शादी कर सकते हैं.............हमारे काम के लिए फंड का इन्तेजाम कर सकते हैं .....ya jo chahe kar sakte hain
    ghum lijiye idhar bhi
    http://www.empowerpeople.webs.com/

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  32. @ Shafiq sahb, kairanvi se aap waqif nahin men unki bhot izzat karta hoon, aap jis tarah ki madad chahte hen,,, mil jayegi,,aap mujhse panipat men rabita qayam karen.
    bilalbijrolvi786@gmail.com

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