Sunday, February 21, 2010

इंग्लैण्ड का ईसाई पादरी बन गया मुसलमान

ब्रिटेन का एक पूर्व कैथोलिक ईसाई पादरी कुरआन से इतना प्रभावित हुआ कि इस्लाम कबूल कर लिया।


   ईमानवालों के साथ दुश्मनी करने में यहूदियों और बहुदेववादियों को तुम सब लोगों से बढ़कर सख्त पाओग। और ईमानवालों के साथ दोस्ती के मामले में सब लोगों में उनको नजदीक पाओगे जो कहते हैं कि हम नसारा (ईसाई) हैं। यह इस वजह से है कि उनमें बहुत से धर्मज्ञाता और संसार त्यागी संत पाए जाते हैं और इस वजह से कि वे घमण्ड नहीं करते।

    जब वे उसे सुनते हैं जो रसूल पर अवतरित हुआ है तो तुम देखते हो कि उनकी आंखें आंसुओं से छलकने लगती हैं। इसका कारण यह है कि उन्होंने सच्चाई को पहचान लिया है। वे कहते हैं-हमारे रब हम ईमान ले आए। अत तू हमारा नाम गवाही देने वालों में लिख ले।

                                                                                          (सूरा:अल माइदा ८२-८३)

कुरआन की ये वे आयतें हंै जिन्हें इंग्लैण्ड में अपने स्टूडेण्ट्स को पढ़ाते वक्त इदरीस तौफीक बहुत प्रभावित हुए और उन्हें इस्लाम की तरफ लाने में ये आयतें अहम साबित हुईं।

    काहिरा के ब्रिटिश परिषद में दिए अपने एक लेक्चर में तौफीक ने साफ कहा कि उसे अपनी पिछली जिंदगी और वेटिकन में पादरी के रूप में गुजारे पांच साल को लेकर किसी तरह का अफसोस नहीं है। मै एक पादरी के रूप में लोगों की मदद कर खुशी महसूस करता था लेकिन फिर भी दिल में सुकून नहीं था। मुझो अहसास होता था कि मेरे साथ सब कुछ ठीकठाक नहीं है। अल्लाह की मर्जी से मेरे साथ कुछ ऐसे संयोग हुए जिन्होंने मुझो इस्लाम की तरफ बढ़ाया। ब्रिटिश परिषद के खचाखच भरे हॉल में तौफीक ने यह बात कही।

तौफीक के लिए दूसरा अच्छा संयोग यह हुआ कि उन्होंने वेटिकन को छोड़कर इजिप्ट का सफर करने का मन बनाया।

मैं इजिप्ट को लेकर अकसर सोचता था-एक ऐसा देश जिसकी पहचान पिरामिड,ऊंट,रेगिस्तान और खजूर के पेड़ों के रूप में है। मैं चार्टर उड़ान से हरगाडा पहुंचा। मैं यह देखकर हैरान रह गया कि यह तो यूरोपियन देशों के दिलचस्प समुद्री तटों की तरह ही खूबसूरत था। मैं पहली बस से ही काहिरा पहुंचा जहां मैंने एक सप्ताह गुजारा। यह सप्ताहभर का समय मेरी जिंदगी का अहम और दिलचस्प समय रहा। यहीं पर पहली बार मेरा इस्लाम और मुसलमानों से परिचय हुआ। मैंने देखा कि इजिप्टियन कितने अच्छे और व्यवहारकुशल होते हैं,साथ ही साहसी भी।

ब्रिटेन के अन्य लोगों की तरह पहले मुसलमानों को लेकर मेरा भी यही नजरिया था कि मुसलमान आत्मघाती हमलावर,आतंकवादी और लड़ाकू होते हैं। दरअसल ब्रिटिश मीडिया मुसलमानों की ऐसी ही इमेज पेश करता है। इस वजह से मेरी सोच बनी हुई थी कि इस्लाम तो उपद्रवी मजहब है।
      
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1 comment:

  1. nice post,में समझतो हूँ ब्रिटिश मीडिया भी मुसलमानों की ऐसी ‍ही इमेज पेश करता है।

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