अल्लाह तआला के सिवा कोई पुज्य नही है और अल्लाह तआला को जो करिश्मा दिखाना था वो १४०० साल पहले कुरआन के रुप में सबको दिखा चुकें है लेकिन कुछ लोग है जो अब भी यकीन नहीं करते है ऐसे लोगो की आखें खोलने के लिये अल्लाह तआला ने इस दुनिया के लोगो को बहुत से चमत्कार दिखायें। ऐसी ही कुछ तस्वीरें और एक वीडियो मेरे पास काफ़ी दिनो से मौजुद थी तो मैने सोचा आप लोगो को भी दिखा दूं। अल्लाह तआला चाहे हर चीज़ पर और हर चीज़ से अपना नाम लिख सकता है चाहे वो बाद्ल में, समुंद्र में, आसमान में, पेड से,....
रुकु की हालत में पेडये पेड सिडनी, आस्ट्रेलिया के जंगल में पाया गया था। ये रुकु की हालत में है और इसका रुख काबे की तरह है जिस तरफ़ रुख करकें हर मुसलमान नमाज़ पडता है।
Lule के फूल पर अल्लाह का नामपुरा लेख पढने के लिये यहां क्लिक करें......
सुब्हान अल्लाह
ReplyDeleteफूल में अल्लाह कहां बना कैसा होता है हमें तों कहीं नजर नही आ रहा, साथ में यह तो दिखाते कैसा होता लिखा अल्लाह, फिर उसको हम फूल में मिलाते के है उस जैसा या नहीं
ReplyDeleteमैंने आपके बलाग पर इस पोस्ट को पूरी देखी, आपने आश्चर्यजनक चित्र पेश किए हैं
ReplyDeletenice post
ReplyDeleteक्या कर रहे हैं आप , आपको को पता तो है न की इस्लाम में बुतपरस्ती के लिए जगह नहीं है, ध्यान से कंही कोई फतवा न जारी कर दे।
ReplyDeleteयह भी अल्ला मियाँ का ही चमत्कार है कि इक्कीसवीं सदी में भी 'अक्ल के अंधे' पैदा हो रहे हैं।
ReplyDeleteअल्लाह बहके हुए को बुद्धि प्रदांन करे ।
ReplyDeleteभाई जान यह सब महज़ एक इत्तेफाक है कुछ खास नहीं है इसमे लाखो करोडो चीजों में से कुछ चीज़े प्राकृतिक कारणों जैसे हवा सूरज की रोशनी पानी आदि के कारन एक विशेस आकर ग्रहण कर लेती है और कुछ खास नहीं है इसमे खुदा का नहीं प्रकृति की कलाकारी है और आप जैसे नासमझ लोग इसे चमत्कार कह देते है खैर आप लोगो कि mansikata ही ऐसी है आप लोगो को सही ज्ञान नहीं मिला है यही समस्या है आप लोग अभी भी लकीर के फकीर है. और कुछ खास नहीं
ReplyDeleteमैंने भी भी एक बार गाय के मूत्र से गीली मिटटी में ऐसे ही निशान जो आप ने ऊपर दिखाए है देखे थे मैंने सोचा ऐसे ही बन गए होंगे पर शायद यह भी एक खुदा का चमत्कार होगा की गाय के मूत्र में उनका नाम आ गया
मिस्टर रोहित,
ReplyDeleteये तो तरीका आपको आपकी भाषा में समझाने का....चमत्कारों पर हिन्दुओं से ज़्यादा दुनिया में कोई विश्वास करता है?????
कभी गणेश जी दुध पीते है???? कभी किसी भगवान के आंसु बहते है???
और लाखों का चन्दा मिल जाता है
काशिफ भाई माशाअल्लाह आज सहारा उर्दू अखबार में पृष्ठ 8 पर आलू के अन्दर से अल्लाह लिखा का फोटू और खबर लगी है, अल्लाह की शान निराली
ReplyDeleteभाई अनुवाद को आपके ब्लाग की इस से सम्बन्धित पोस्ट देखनी चाहिए वहां घोडे पर और सेटेलाइट से पृथ्वी पर अल्लाह लिखा और विडियो देखें फिर उधर कुछ कहें,
ReplyDeleteसही कहा अल्लाह की शान निराली है सलीम भाई को भी सुधार दिया. अब आप लोगो की बारी है. अल्लाह का नाम आलू में भी आ गया जो खाने के बाद टट्टी में निकल जायेगा.
ReplyDeleteयार थोडा होश में बात करो अपने अल्लाह को ऐसे जलील न करो
@ rohit - सलीम खान को न तुम सुधार सकते न बिगाड सकते, मेरी नज़र में जब वह भटकेगा तब कैरानवी जब चाहेगा उसे विज्ञान से ज्ञान की तरफ ले आएगा, उधर भी हमारा आशिर्वाद उसके साथ है, वह इस ब्लाग के संयोजक हैं केवल स्वच्छ संदेश का अपनी सोच से तरीका बदल रहे हैं, उन्हें उधर वह मजा नहीं आने वाला, कुछ समय देखते रहो, रही बात हमें सुधारने की तो हम एक दो को नहीं सारे ब्लागिस्तान को सुधार चुके वह भी बगैर ब्लागवाणी के डंडे-झेडे के, अब तो हम केवल नजर रखते हैं हमें कोई लेख अपने कमेंटस काबिल भी नजर नहीं आता, नालायक दो-चार महीने भी मुकाबला न कर सके
ReplyDeleteमिया कैरानावी तुम किसी को आशीर्वाद देने वाले कोंन होते हो.खेर होते होगे अपनी समझ में . सलीम ने खुद अपने ब्लॉग में ईश्वर का नाम लिया है ईश्वर की प्रार्थना की है. अगर यकीं न हो तो उनका मांसाहार वाल पोस्ट देख लो. रही बात ब्लोग्वानी में तुम्हारे न आने की तो तुम खुद जानते हो की तुम्हारी औकात क्या है सुरेश चिपलूनकर जैसे शानदार ब्लोगरो के आगे अरे सुरेश भाऊ को तो छोड़ो तुम तो उम्दा सोच का मुकावला भी नहीं कर सकते. और भाई बात तो ये है की गली का हर कुत्ता खुद को शेर समझता है लेकिन समझने से शेर तो नहीं बन जाता न. मेरी टिपण्णी का जवाब नहीं दिया आलू पर अल्लाह लिखा मिला लेकिन आलू खाने पर वोह तो टट्टी में निकल जायेगा न तो क्या वहां भी इसे खोजेंगे
ReplyDeleteभाई बुरा न मानना यह तो अपनी अपनी समझ की बात है. आपसे बहस कर मजा तो आ रहा है. शायद आप को भी आ रहा होगा . यही तो मजा है इस ब्लोगिंग का
मिया कैरानावी तुम किसी को आशीर्वाद देने वाले कोंन होते हो.खेर होते होगे अपनी समझ में . सलीम ने खुद अपने ब्लॉग में ईश्वर का नाम लिया है ईश्वर की प्रार्थना की है. अगर यकीं न हो तो उनका मांसाहार वाल पोस्ट देख लो. रही बात ब्लोग्वानी में तुम्हारे न आने की तो तुम खुद जानते हो की तुम्हारी औकात क्या है सुरेश चिपलूनकर जैसे शानदार ब्लोगरो के आगे अरे सुरेश भाऊ को तो छोड़ो तुम तो उम्दा सोच का मुकावला भी नहीं कर सकते. और भाई बात तो ये है की गली का हर कुत्ता खुद को शेर समझता है लेकिन समझने से शेर तो नहीं बन जाता न. मेरी टिपण्णी का जवाब नहीं दिया आलू पर अल्लाह लिखा मिला लेकिन आलू खाने पर वोह तो टट्टी में निकल जायेगा न तो क्या वहां भी इसे खोजेंगे
ReplyDeleteभाई बुरा न मानना यह तो अपनी अपनी समझ की बात है. आपसे बहस कर मजा तो आ रहा है. शायद आप को भी आ रहा होगा . यही तो मजा है इस ब्लोगिंग का
@ rohit - वह आलू सुरक्षित है, आज अखबार में पढकर हर तरफ उस की चर्चा है सब तरफ सुब्हान अल्लाह हो रही है, उसे देखने वालों की भीड लग रही है,
ReplyDeleteतेरे भाऊ की कितनी ही बार रूलाया है अब तो पोस्ट डालके मेरे सपने देखे कि गब्बर आने वाला होगा,
उमदा सोच कितनी उमदा सोच रखे यह सलीम साहब मुझे सुना चुके उनकी फिर कभी सुनाएंगे
तुम जैसों का इधर ट्रेलर देखकर यह हाल है तो उधर जिधर का काशिफ ने लिंक दिया है वहां की बातें देखकर तो अपने मौहल्ले में वापस भाग जाओगे
वाह रे काशिफवा का झकास पोस्ट लाए हो मौहल्ले के कुत्ते भी गली से बाहर निकल कर भौंक रहे हैं, हमार अवध के मित्र को सुधरा हुआ बता रहे हैं उस मौहल्ले वाले जिससे इन्होंने इसे दो बार निकाला था, इन्हें कोई कहे कि लेलो इसे अपने मौहल्ले में अगर यह अगर सुधर गया है, और अपने मौहल्ले में रहो अन्यथा तुम्हारे मौहल्ले की हर दीवार पर सुपर वाइरस नजर आएगा, अगर यह कहें कि सुपर वाइरस क्या है तो फिर यह हमार से पंगा लेने काबिल नहीं है अभी इन्हें मौहल्ले में ही भौंकते रहना चाहिए
ReplyDeleteहमारी तो अब दो ही इच्छा है एक सुधरे सलीम को मौहल्ले में वापस देखना दूसरा अवध देखना
अवधिया चाचा
जो कभी अवध न गया
मिया कैरानावी और अवधिया चुतिया , उम्दा सोच ने सलीम की अवध में क्या हालत की थी वोह तो सभी ब्लोगेर जानते है . रही बात मेरी तो शेर मुहल्लों में नहीं रहते वोह तो जंगल में रहते है मुहल्लों में तो आप जैसे भोंकने बाले ही रहते है हर जगह से तशरीफ़ पर लात दे कर भगा दिए जाते हो मोहल्ला से भी तशरीफ़ पर लात खाए थे अब ब्लोग्वानी में भी मुह छुपाये घूमते हो. आलू को सुरक्षित रखने से से वोह कुछ दिन बाद सड जायेगा उसमे कीड़े पड़ जायेंगे नहीं तो उसे शराब में डूबा कर रखना पड़ेगा तभी बच पायेगा औए शराब तो इसलाम में हराम है फिर क्या मिटटी के तेल में रखेंगे अल्लाह तो कोई चमत्कार करने से रहा वोह तो यह सोच रहा होगा की ये कैसे लोग है जो मेरा नाम ख़राब कर रहे है उस आलू को तो अल्लाह ने किसी के खाने के लिए पैदा किया थे लेकिन ये अहमक लोग उसे किसी गरीब का निवाला नहीं बनने देना चाहते इस महगाई में भी उसे सड़ने के लिए रख छोड़ा है कोई गरीब खाता तो दुआ देता अल्लाह का नाम लेता लेकिन ये क्या जाने की भूख क्या होती है इन्हें तो अपना पागलपन दिखाना है
ReplyDeleteभाई कही नाम लिखने में कोई चमत्कार नहीं है चमत्कार तो ये है की कोई भूखा न सोये लोग आपस में न lade हर तरफ अमन हो लोग एक दुसरे के काम आये .नाम तो में भी लिख सकता हूँ जहाँ आप कहे
1. यह झूठ है कि ब्लागर जानते हैं उमदा सोच ने क्या क्या था, जब तक खान का ब्यान नहीं आता तब तक बंद मुटठी लाख की खुल गई तो खाक की, समझे रोहित जी, नहीं समझे तो इन सारे अवध के ब्लागरों से पूछो, खान का ब्यान कब आएगा, ब्लागजगत प्यासा है खान के ब्यान का जाओ ले आओ ब्यान, नहीं ला सकते तो डूब मरो , निम्न पोस्ट में उमदा सोच के लेख पर अवधिया चाचा के कमेंटस को चिटठा चर्चा ने अपनी पोस्ट बनाई फिर भी ब्यान नहीं आ रहा क्यूं?
ReplyDeleteचित्रचर्चा: एक शब्द-विरोधी समय में
http://chitthacharcha.blogspot.com/2009/12/blog-post_4955.html
2. अवधिया चाचा का जन्म इस लिए हुआ कि उस रूप में मैं अपना अधिकतर अपना काम कर चुका, दूसरे जिस भाषा का प्रयोग करना पडता है उसपर दोस्तों को एतराज़ था, समझे जनाब अवधिया चाचा हम इस लिए हैं न कि किसी से छुप रहे हैं, दुनिया जाने इस रूप को हमने छुपाने की कोशिश कभी नहीं की,
google search में लिखना islamin फिर देखना सजेशन में क्या दिखाता है, मेरा जो टार्गेट था उससे कहीं अधिक बेकलिंक दिखाएगा बताना कितने शो करता है Page Rank-3 मैं हो सकता था हुआ, सब बातों का मतलब वह रूप अपना काम कर चुका
3. रही बात आलू की वह खबर अखबार में पढी सबको बता दिया उससे आगे उस आलू पर क्या बीती यह शायद टीवी वाले जाकर पता करेंगे वह भी अगर उनमें कोई सेकुलर होगा तब वैसे अपना काम तो चित्र से चल जाएगा वह काशिफ साहब को भेज दूंगा शायद अपनी असल पोस्ट में लगा लें
4. अपना नाम कहीं लिख सकते हो तो स्वच्छ संदेश में खान का ब्यान लिखवाओ वह उसमें लिखेगा कि यह मैंने रोहित जी के कहने पर लिखा है
5. अगर खान तुम्हारी नजर में सुधर गया तो उसे मौहल्ला ब्लाग कब वापस ले रहा है? इधर वालों की नजर में बिगड जाएगा तो जानते ही हो अन्जुमन वाले अपने ब्यान देंगे वह खामोश समझो मामला Under Control
अवधिया चाचा
जो कभी अवध न गया
तो अवधिया चूतिया साहब अपना असल नाम तो बता दो जो आपके अब्बा या अम्मी ने रखा था. या उनका रखा naam पसंद नहीं आया या उनके दिए नाम को बदनाम नहीं करना चाहते अपनी गलीज़ हरकतों की वजह से . खेर जो भी हो .
ReplyDeleteरही बात तो सलीम भाई की पिटाई हो गयी थी अवध में तो वोह अब क्या मुह लेकर बोलेंगे आखिर गेरत भी कोई चीज़ होती है जो सलीम भाई के पास है लेकिन आप में नहीं .और भाई मोहल्ला ब्लॉग कसम से मेरा नहीं है नहीं तो मैं सलीम भाई को वहा जरुर बुलाता क्योंकि वो हमारे भाई जो है चाहे कितने भी हमारे विचार न मिले लेकिन भाईचारा तो रहेगा और यह ब्लॉग होता ही क्यूँ है अपनी भड़ास निकलने के लिए ही ना तो इसमे कोई बुराई नहीं है. मेरा नाम आपको सलीम के ब्लॉग पर सबसे ज्यादा टिपण्णी करने बालो में जरुर मिलेगा . पहले वोह थोडा controvarsial लिखते थे तो टिपण्णी करने में मज़ा आता था अब लिखते नहीं हो तो मज़ा नहीं आता. ब्लॉग वो जगह है जहाँ आप मैं और कोई भी अपने विचार रख सके . अपने तर्क दे सके.. अगर मैं गलत हूँ तो कहियेगा.
अवधिया चाचा का जन्म क्यों हुआ, कहाँ हुआ, किनसे हुआ इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है ठीक है .
और रही बात आलू की तो आप की असलियत सामने आ गयी की अल्लाह के नाम से आप को कितना प्रेम है फोटो निकलने के बाद आलू किस नाली में गया या कहाँ गया उससे आपका कोई वास्ता नहीं फोटो निकल गया आलू चाहे सादे गले या लोगो की गन्दगी में जाए आपको कोई मतलब नहीं. यही ना
फिर क्यों अल्लाह के लिए प्यार का दिखावा करते हो.
फायदा-नुकसान के हिसाब से ये इस्लाम को मानते हैं । फोटो मना है फिर भी खिंचाते हैं। कभी संविधान मानते हैं कभी नही । ब्याज खाते हैं । फिल्म टीवी देखते हैं । ये अवधिया तो जहां तहजीब मिलेगा वहां जाता नही ।
ReplyDelete@ rohit - आपकी यह पंक्ति 'पहले वोह थोडा controvarsial लिखते थे तो टिपण्णी करने में मज़ा आता था अब लिखते नहीं हो तो मज़ा नहीं आता.' खान साहब पढेंगे तो विचार करेंगे, हमारी उनके बारे में यही सोच है कि उन्हें उधर मजा नहीं आएगा, वह फिर वैसा लिखेंगे फिर आपको मजा आने लगेगा, हम तो अपना मजा हर तरह ढूंड लेते हैं किसी की भी पूंछ दबाई मूंछ मरोडता हुआ आ जाता है हमसे बहस करने,
ReplyDeleteमैं हमेशा दूसरा ब्यान की दरखास्त करता रहूंगा, देखते हैं खान क्या जवाब देते हैं, वह इस ब्लाग के संयोजक हैं तो हर कमेंटस उन्हें पहुंच रहा होगा
अवधिया चाचा
जो कभी अवध न गया
@ajai - जी अज्ञानता के कारण बहुत से काम होजाते हैं, अपने बारे में कह सकता हूं मेरे घर, खान्दान में भी टी.वी नहीं क्रिकेट का मेच देखने के लिए भी मुझे सोचना होता कहां जाऊँ किधर जाऊँ,रही बात चित्र की तो मेरे ब्लाग पर आपको अनुसरण/follower का विजेट भी इसी लिए नहीं मिलेगा,
ReplyDeletePage Rank_3 Blog
islaminhindi.blogspot.com
संविधान को कौन कहता नहीं मानते, आपके लिए हिन्दू ला हमारे लिए मुस्लिम ला बने हैं, मानते हैं, हमें शिक्षा मिलती है जिस देश में रहो उसके वफादार रहो, आज 53 मुल्क इस्लामी हैं वह सब इस्लामी शिक्षा के मुताबिक अपने अपने मुल्क के वफादार रहेंगे
ब्याज खाने का मुसलमान लाखों में एक दो का सुनते हैं, हां गुरबत के कारण बहुत से देते जरूर हैं अल्लाह उन्हें इस बुराई से बचाए
अवध में तहजीब सलामत नहीं है, अगर है तो खान से वहां की लडाई बारे में ब्यान दिलवाओ, आगे में दूध का दुध पानी का पानी कर दूंगा
इधर ब्लावाणी में न्याय नहीं देख लो नाम ब्लागवाणी और केवल खास विचारों वालों की वाणी है blogs की वाणी होती तो हमें भी देती एक झंडा, हम कहते हैं जब तुमने एक से एक नालायकों, हरामियों को दिया है तो फिर मुझसे क्या डरना, हमें अपनी शर्त बताओ फिर दो हमें अपना झंडा या डंडा फिर देखो तमाशा rohit को भी मजा न आगया तो कहना,
रोहित भाई आप ने मेरा हौसला बुलंद किया है, आप ने सुरेश भाऊ जैसे श्रेष्ठ ब्लॉगर के साथ मेरा नाम लिया है ,आप का तहे दिल से शुक्रिया ! सच है कैरान्वी उर्फ़ इकबाल उर्फ़ अवधिया चाचा (न अवध गया न तहजीब सीखी ) उर्फ़ वन्दे इश्वरं उर्फ़ ***कसाई एवं तमाम ऐसे ऐयारों , मतिभ्रमित , दिशाहीन, उद्देश्यहीन ,संस्कारहीन(चाहे तो महफूज़ भाई से सीख ले ) ,अल्लाह और इस्लाम के दुश्मनों का दिमाग दुरुस्त करने के लिए अकेले सक्षम हूँ ,आप सभी ब्लॉगर भाइयो का आशीष जो साथ है!
ReplyDeleteरही बात सलीम भाई की सलीम भाई के मामले में मै पहले भी खंडन की पोस्ट चढ़ा चुका हूँ http://umdasoch.blogspot.com/2009/12/blog-post.html ,सलीम भाई को मैंने कतई नहीं मारा न कोई अपशब्द कहा बस एकता अखंडता का वास्ता दे कर निवेदन किया ,वे मान गए इसमें सलीम भाई की प्रशंशा की जानी चाहिए! सलीम भाई से मिल कर अच्छा लगा था वे भ्रमित थे ऐयारों का इसमें गहरा हाथ था , हां महफूज़ भाई और जाकिर भाई के अमूल्य सुझावों का ही असल असर आया है सलीम भाई पर, इन सब की जितनी प्रशंशा की जाए कम है ! अब सलीम भाई को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और हमें अब उन्हें अपना लेना चाहिए !
जहा तक बात है प्रचारकों की ,जल्द इनके हश्र की मिसाल का पोस्ट चढाऊंगा ! धर्म परिवर्तन करवाने वाले का परिवार तबाह हुआ प्रमाण के साथ जल्द बताऊंगा !
लाखो लोग भूखे सोते है , बेमौत मरते है गम तकलीफ झेलते है तब ये लकड़ी टेढ़ी कर और आलू में घुस कर चमत्कार दिखाते है वाह रे अलाह वाह कहा है चरण आप के !!! अरे भूल गया था आप तो निराकार है !!! आकार तो नहीं है पक्का है पर क्या आप का कोई वजूद है ??? अगर है तो इन्हें जो आप को गली नुक्कड़ पर बदनाम किये घूम रहे है इनको सद्बुद्धि कब देंगे आप ???
कैरानवी जी संविधान में धार्मिक आधार (कुरान) पर मुस्लिम लोगों के लिये विशेष कानून है , नही होता तो त्तथाकथित सेकुलर लोग संसोधन कराते हैं। चित्र के नाते आपके ब्लाग पर अनुसरण का विजेट नही है लेकिन खुद का चित्र है ।
ReplyDeleteब्याज के लिये अगर आप लाख में एक या दो मुस्लिम लोगों को सुनते हैं तो आपके कान में कुछ तकलीफ हो सकती है ।
अवध में तहजीब वालों के लिये तहजीब अभी भी सलामत है , रही बात खान से बयान दिलाने की तो आप यह नेक काम क्यों नही करते ।
मेरे बहुत मित्र मुस्लिम हैं और अपने धर्म की खुलकर आलोचना नही कर पाते भयवश लेकिन हिन्दू धर्म में व्याप्त बुराइयों पर हिन्दू बोलना चाहे तो खुलकर बोलता है , कोई फतवा नही
बंधू यह सिर्फ आलू कद्दू और जाने कहाँ कहाँ अपने अल्लाह को खोजते फिरते है. और भाई सही भी है की इन्हें न जाने कहाँ कहाँ अल्लाह को खोजना पड़ेगा क्योंकि अल्लाह इन बन्दों के अन्दर तो रह ही नहीं सकता क्योंकि इनके अन्दर इतनी गन्दगी भरी है की अल्लाह का भी दम घुटता होगा तो बिचारे अल्लाह को कभी आलू में कभी भिन्डी में और कभी न जाने शायद इनका बस चले तो xxxxx में भी खोज ले.
ReplyDeleteआप सभी को अस्सलाम अल्लैकुम और भाई रोहित जी को आदाब!
ReplyDeleteकिसी बात को मानना और न मानना अलग सी बात है.लेकिन तर्क-कुतर्क !! जनाब-श्रीमान ये न शोभा देता है न ही ज़ेब!
बेशक इस्लाम मूर्तिपूजा की मुखालिफत करता है.और इस सच की पैरवी दयानंद स्वामी , आनंद मार्गी, विवेकानंद के anuyaayee और ईसाई व् यहूदी भी करते हैं.सिक्ख भी मूर्तिपूजा के खिलाफ हैं.
रही बात चमत्कार की तो भाई काशिफ ने बहुत ही पुरानी बात दुहराई है यहाँ ! वर्तमान देखना है तो इस रूसी बच्चेको देखिये.
मेरा इ-मेल : 786quasmi@gmail.com
भाई जान यहाँ कुछ लोग अपना मत दूसरे पर थोपने में लगे है अल्लाह बड़ा है या भगवान इसकी जोर आजमाइश चल रही है जो की गलत है. आखिर सब को वही जाना है एक ही अंतिम सत्य है म्रत्यु .फिर क्यों यह फालतू की बहसवाजी. और मेरा तो मानना है की आपके खुद को बड़ा कहने से मैं छोटा नहीं हो जाऊंगा. सभी धर्मो का मूल है शांति , सौहाद्र , विकास ,सहचर्य. फिर भी कुछ नामुराद लोग कैरानावी जैसे इसे होने नहीं देना चाहते . यही वो लोग है जो इस देश के अमन के लिए जाने या अनजाने खतरा बन जाते है.
ReplyDeleteजैसा की उम्दा सोच ने मुझे बताया सलीम भाई के लिए मेरे दिल में उनकी इज्जत बहुत बाद गयी है. सलीम भाई से हमारी बहस वाजी बहुत अच्छी चलती रही है और खुदा ने चाहा तो आगे भी चलेगी. कभी लखनऊ जाना हुआ तो उनसे जरुर मुलाक़ात करेंगे और सलीम भाई के साथ चाय भी पियेंगे. महफूज भाई बाली चाय नहीं. हाहा हा हा .मेरे बहुत से मित्र मुस्लिम रहे है और हम लोगो ने बहुत मस्ती भी की है.तो में सिर्फ इतना चाहता हूँ की ऐसा सौहाद्र आगे भी चलता रहे कभी ऐसा न हो हम जब मिले तो आँखे चुराना पड़े .
अभी तक में सिर्फ कैरानावी और अवधिया चुतिया के मजे ले रहा था.लेकिन तालिब भाई के कहने पर चलो आगे बहस को नहीं बढाता.
आप को आपका अल्लाह मुबारक हमें हमारे प्रभु. लेकिन जब कभी सोचता हूँ तो लगता है की जब अल्लाह और मेरे भगवान आपस में मिलते होंगे तो क्या करते होंगे हस्ते होंगे या रोते होंगे की हमारे मानने बाले हमारे भक्त ये क्या कर रहे है. हम एक है लेकिन ये दोनों लड़ रहे है.
@ Rohit
ReplyDeleteभाई उमर, मुझे माफ़ करना,मेरा बेटा रोहित आजकल बीमार है, उसे बुद्धिजीवी बनने का शोक़् लगा हुआ है क्या करे इक बार भोपाल जाने की सज़ा भुगत रहा हू.
बंधू सहेसपुरिया जी आप शायद भोपाल गए हुए थे और हम उस समय आपके घर में थे . आपके घर में बहुत मज़ा आया. क्या करे आपको आपकी औकात के हिसाब से जवाब देना पड़ रहा है नहीं तो ये हमारी तहजीब नहीं है शायद आपको आपके तथाकथित अब्बा ने तहजीब नहीं सिखाई इसमे आपकी कोई गलती नहीं.
ReplyDeleteरही बात मेरे बुध्धिजीवी होने की तो भाई में खुद को ऐसा नहीं समझता क्योंकि यहाँ कई बुध्धि जीवी है जैसे सुरेश चिपलूनकर साहब , उम्दा सोच, महफूज भाई मैं तो इन लोगो के सामने कही भी नहीं हूँ लेकिन आप को ऐसा लगा यही मेरी जीत है.
रही बात मेरे भोपाल के होने की तो में भोपाल से नहीं हूँ आप शायद किसी और के घर में घुस गए होंगे jahan आपकी #$%@ पर लात मार के भगा दिया होगा .
bhai! rohit aapka shukriya.bahas honi chahiye.jise ham log mazakra aur ap log shastraarth kahte hain.
ReplyDeletelekin swasth aur shaantipurn!!!!
anjuman mein mujhe aap sab ne jagah dee.zarranawaazi, allah mujhe anjuman ki riwayat ko barqaraar rakhne mein quwat de, hausla de.aameen!
@ talib - कमेंटस से पता चला आपभी अन्जुमन के मेम्बर बन गए हैं, खान साहब ने आपको अन्जुमन में लिया है उनको शर्मिन्दा न होने देना, 70 के करीब पोस्ट आपकी रहनुमा बनेंगी, जल्दी से कोई पोस्ट इधर डालो ताकि दूसरे मेम्बर भी आपका स्वागत कर सकें, मेरी तरफ से अभी स्वागत है
ReplyDeleteतालिब साहब का हमारी अंज़ुमन में ईस्तक़्बाल करते हैं।
ReplyDelete@ ajai - विशेष कानून आपके लिए भी बने हैं एक बीवी का नियम आपके लिए बना है, अपने ग्रंथों में दिखा सकते हो, मैं तो अपनी कह सकता हूं संविधान में जो है उसपर चलेंगे बाकी के लिए प्रयत्न किए जाते हैं आप लोग अपने लिए अधिक सफल रहे हो
ReplyDeleteमेरे ब्लाग में एक फोटू भी इस लिए है कि उस ईमेल से और ब्लाग पहले से हैं उनमें आवश्यकता है मैं जानता हूं, ज़रूरत पडने पर हम फोटू का इस्तेमाल कर सकते हैं जैसे हज पर जाने के लिए पास्पोर्ट फोटू खिंचवानी पडती है, पहचान पत्र आदि के लिए भी खिंचवानी पडती है, आपने देखा होगा सबसे कम एक फोटू वाला ब्लाग वही है, इसका मतलब यह लें कि में इस्लाम की इस बात का भी आदर करता हूं
अपने मुस्लिम दोस्तों से आप बातें जानकर आलोचना हमारे ब्लागस पर कर सकते हैं आपका और उनका स्वागत है, हम दूसरों की आलोचना नहीं कर सकते कि कुरआन की एक आयत हमें रोकती है,
अगर हमारी तरफ किसी बात पर फतवा आता भी है तो उसमें क्या बुराई है फतवा एक धार्मिक राए या विचार, मशवरा ही तो होता है उससे किसी का होक्का पानी तो बंद नहीं हो जाता, मुझे फतवों पर फखर है यह एक ऐसा तरीका है कि जो बात हमारी समझ में ना आए हम मुफतियों से जान सकते हैं मानना न मानना हम पर है, वेसे अब इसकी आवश्यकता भी नहीं पडती क्यूंकि हर कुछ किताबों में हमें मिल जाता है
@ talib - साहब आपका अन्जुमन में आना हमारे लिए कितना मुबारक लग रहा है रजिया जी को भी आपको मुबारकबाद देने आना पडा, स्वागत पर स्वागत
ReplyDeleteकैरानवी जी आपने मेरी ही बात कही -१- ज़रूरत पडने पर हम फोटू का इस्तेमाल कर सकते हैं
ReplyDeleteयानि समय के साथ चलना , यही तो होना चाहिये पर मुश्किल तब होती है जब धर्म इतना हावी हो जाता है कि दूसरी बात सुनना ही नही । आप इस्लाम में पढ़ाई (धर्म वाला नही )की अहमियत का प्रचार क्यों नही करते ।
२-हम दूसरों की आलोचना नहीं कर सकते कि कुरआन की एक आयत हमें रोकती है,
आपकी ये बात सही नही है ।अगर आप दूसरे धर्म को बगैर नीचा दिखाये अपनी बात करें तो किसी को क्या आपत्ति ।
३-फतवा एक धार्मिक राए या विचार, मशवरा ही तो होता है मानना न मानना हम पर है ।मुझे फतवों पर फखर है
सरासर गलत है , फतवा मानने के लिये बाध्य किया जाता है । चलिये आपकी बात मान भी लें तो अमान्य फतवों को खारिज कराया जाना चाहिये।
@rohit
ReplyDeleteHA HA HA HA HA HA HA
स्थान या व्यक्ति-विशेष की बात करके
ReplyDeleteउस सर्व-शक्तिमान की तौहीन क्यों करते हो।
वो तो ज़र्रे-ज़र्रे में समाया हुआ है।
पता नही यह चमत्कार है या नही.....हमने भी देखा है....हिन्दू लोग सब से पहले सूर्य को नमस्कार करते हैं......और सूरज मुखी का फूल हमेशा इसी तरह सूर्य की ओर झुका रहता है....।ये भी सूर्य भगवान का चमत्कार है..क्या ??.
ReplyDelete.जब कि आपने सिर्फ एक ही वृक्ष की जानकारी दी है।
आपने रोचक पोस्ट लिखी है...जानकारी के लिए....धन्यवाद।