Tuesday, March 23, 2010

मस्जिद तोडऩे वाला मुसलमान हो गया

यह जुबानी है एक ऐसे नौजवान शख्स की जिसे इस्लाम और मुसलमान नाम से ही बेहद चिढ़ थी। मुसलमान और इस्लाम से नफरत करने वाला और एक मस्जिद को तोडऩे वाला यह शख्स आखिर खुद मुसलमान हो गया।

  मैं गुजरात के मेहसाना जिले के एक गांव के ठाकुर जमींदार का बेटा हूं। मेरा पुराना नाम युवराज है। युवराज नाम से ही लोग मुझो जानते हैं। हालांकि बाद में पण्डितों ने मेरी राशि की खातिर मेरा नाम महेश रखा, मगर मैं युवराज नाम से ही प्रसिद्ध हो गया। लेकिन अब मैं सुहैल सिद्दीकी हूं। मैं 13 अगस्त 1983 को पैदा हुआ। जसपाल ठाकुर कॉलेज से मैं बीकॉम कर रहा था कि मुझो पढ़ाई छोडऩी पड़ी। मेरा एक भाई और एक बहन है। मेरे जीजा जी बड़े नेता हैं। असल में वे भाजपा के हैं,स्थानीय राजनीति में वजन बढ़ाने के लिए उन्होंने इस साल कांग्रेस से चुनाव लड़ा और वे जीत गए।

  गुजरात के गोधरा कांड के बाद 2002 ई के दंगों में हम आठ दोस्तों का एक गु्रप था,जिसने इन दंगों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। हमारे इलाके में दरिंदगी का नंगा नाच हो रहा था। हमारे घर के पास गांव में एक छोटी सी मस्जिद थी। लोग कहते हैं यह ऐतिहासिक मस्जिद है। हम लोगों ने योजना बनाई कि गांव की इस मस्जिद को गिरा देना चाहिए। हम आठों साथी उस मस्जिद को गिराने के लिए गए। बहुत मेहनत के बाद भी हम उस मस्जिद को गिरा ना सके। ऐसा लगता था हमारे कुदाल लोहे के नहीं लकड़ी के हों। बहुत निराश होकर हमने मस्जिद के बाहर वाली दीवार गिरानी शुरू कर दी जो कुछ साल पहले ही गांव वालों ने बनवाई थी। दीवार गिराने के बाद हम दोस्तों ने सोचा कि इस मस्जिद को जला देना चाहिए। इसके लिए पेट्रोल लाया गया और पुराने कपड़े में पेट्रोल डालकर मस्जिद को जलाने के लिए एक साथी ने आग जलाई तो खुद उसके कपड़ों में आग लग गई। और देखते ही देखते वह खुद जलकर मर गया। मैं तो यह दृश्य देखकर डर गया। हमारी इस कोशिश से मस्जिद को कुछ नुकसान पहुंचा। हैरत की बात यह हुई कि इस घटना के बाद दो सप्ताह के अन्दर ही मेरे चार साथी एक के बाद एक मरते गए। उनके सिर में दर्द होता था और वे तड़प-तड़प क र मर जाते थे। मेरे अलावा बाकी दो साथी पागल हो गए। यह सब देख मैं तो बेहद डर गया। मैं डरा-छिपा फिरता था। रात को उसी टूटी मस्जिद में जाकर रोता था और कहता था-ए मुसलमानों के भगवान मुझो क्षमा कर दे। मैं अपना माथा वहां टेकता।

इस दौरान मुझे सपने में नरक और स्वर्ग दिखाई देने लगे। मैंने एक बार सपने में देखा कि मैं नरक में हूं और वहां का एक दरोगा मेरे उन साथियों को जो मस्जिद गिराने में मेरे साथ थे अपने जल्लादों से सजा दिलवा रहा है। सजा यह है कि लंबे- लंबे कांटों का एक जाल है। उस जाल पर डालकर उनको खींचा जा रहा है जिससे मांस और खाल गर्दन से पैरों तक उतर जाती है लेकिन शरीर फिर ठीक हो जाता है। इसके बाद उनको उल्टा लटका दिया और नीचे आग जला दी गई जो मुंह से बाहर ऊपर को निकल रही है और दो जल्लाद हंटर से उनको मार रहे हैं। वे रो रहे हैं,चीख रहे हैं कि 'हमें माफ कर दो।' दरोगा क्रोध में कहता है-'क्षमा का समय समाप्त हो गया है। मृत्यु के बाद कोई क्षमा और प्रायश्चित नहीं है।'

सपने में इस तरह के भयानक दृश्य मुझे बार-बार दिखाई देते और मैं डर के मारे पागल सा होने को होता तो मुझे स्वर्ग दिखाई पड़ता। मैं स्वर्ग में देखता कि तालाब से भी चौड़ी दूध की नहर है। दूध बह रहा है। एक नहर शहद की है। एक ठण्डे पानी की इतनी साफ कि उसमें मेरी तस्वीर साफ दिख रही है। मैंने एक बार सपने में देखा कि एक बहुत सुंदर पेड़ है,इतना बड़ा कि हजारों लोग उसके साए में आ जाए। मैं सपने में बहुत अच्छे बाग देखता और हमेशा मुझे अल्लाहु अकबर,अल्लाहु अकबर की तीन बार आवाज आती। यह सुनकर मुझे अच्छा ना लगता और जब कभी मैं साथ में अल्लाहु अकबर ना कहता तो मुझे  स्वर्ग से उठाकर बाहर फैंक दिया जाता। जब मेरी आंख खुलती तो मैं बिस्तर से नीचे पड़ा मिलता। एक बार सपने में मैंने स्वर्ग को देखा तो 'ला इलाहा इल्लल्लाह' कहा तो वहां के बहुत सारे लड़के-लड़कियां मेरी सेवा में लग गए।

  इस तरह बहुत दिन गुजर गए। गुजरात में दंगे होते रहे लेकिन अब मुझे दिल से लगता जैसे मैं मुसलमान हूं। अब मुझे मुसलमानों की हत्या की सूचना मिलती तो मेरा दिल बहुत दुखता। मैं एक दिन बीजापुर गया। वहां एक मस्जिद देखी। वहां के इमाम साहब सहारनपुर के थे। मैंने उनसे अपनी पूरी कहानी बताई। उन्होंने कहा-'अल्लाह को आपसे बहुत प्रेम है,अगर आपसे प्रेम ना होता तो अपने साथियों की तरह आप भी नरक में जल रहे होते। आप अल्लाह के इस उपकार को समझों।'

सपने देखने से पहले मैं इस्लाम के नाम से ही चिढ़ता था। ठाकुर कॉलेज में किसी मुसलमान का प्रवेश नहीं होने देता था। लेकिन जाने क्यों अब मुझे इस्लाम की हर बात अच्छी लगने लगी। बीजापुर से मैं घर आया और मैंने तय कर लिया कि अब मुझे मुसलमान होना चाहिए। मैं अहमदाबाद की जामा मस्जिद में गया और इस्लाम कबूल कर लिया। अहमदाबाद से नमाज सीखने की किताब लेकर आया और नमाज याद करने लगा और फिर नमाज पढऩा शुरू कर दिया।

यह आर्टिकल दिल्ली से प्रकाशित होने वाले साप्ताहिक 'कान्ति' ( 21 फरवरी से 27 फरवरी 2010)से लिया गया है।

38 comments:

  1. सच कहा अल्लाह तआला नेः
    अतः (वास्तविकता यह है कि ) जिसे अल्लाह सीधे मार्ग पर लाना चाहता है, उसका सीना इस्लाम के लिए खोल देता है। और जिसे गुमराही में पड़ा रहने देता चाहता है, उसके सीने को तंग और भिंचा हुआ कर देता है; मानो वह आकाश में चढ़ रहा है। इस तरह अल्लाह उन लोगों पर गन्दगी डाल देता है, जो ईमान नहीं लाते (अल-अनआम 125)

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  2. अल्लाहु अकबर

    ईश्वर की अनुकम्पा असीम है यह इन्सानी समझ से परे भी है यह इस शख्स के इस्लाम कुबूल करने से इस बात का सबूत और पुख्ता हो जाता है...उनके लिए जो यह समझना चाहें...

    अल्लाह जिसे चाहता है हिदायत देता है और हमारा काम तो बस सच्चाई को बताना भर है!

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  3. सपने में इस तरह के भयानक दृश्य मुझे बार-बार दिखाई देते और मैं डर के मारे पागल सा होने को होता तो मुझे स्वर्ग दिखाई पड़ता। मैं स्वर्ग में देखता कि तालाब से भी चौड़ी दूध की नहर है। दूध बह रहा है। एक नहर शहद की है। एक ठण्डे पानी की इतनी साफ कि उसमें मेरी तस्वीर साफ दिख रही है। मैंने एक बार सपने में देखा कि एक बहुत सुंदर पेड़ है,इतना बड़ा कि हजारों लोग उसके साए में आ जाए। मैं सपने में बहुत अच्छे बाग देखता और हमेशा मुझे अल्लाहु अकबर,अल्लाहु अकबर की तीन बार आवाज आती। यह सुनकर मुझे अच्छा ना लगता और जब कभी मैं साथ में अल्लाहु अकबर ना कहता तो मुझे स्वर्ग से उठाकर बाहर फैंक दिया जाता। जब मेरी आंख खुलती तो मैं बिस्तर से नीचे पड़ा मिलता। एक बार सपने में मैंने स्वर्ग को देखा तो 'ला इलाहा इल्लल्लाह' कहा तो वहां के बहुत सारे लड़के-लड़कियां मेरी सेवा में लग गए.

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  4. हमारी इस कोशिश से मस्जिद को कुछ नुकसान पहुंचा। हैरत की बात यह हुई कि इस घटना के बाद दो सप्ताह के अन्दर ही मेरे चार साथी एक के बाद एक मरते गए। उनके सिर में दर्द होता था और वे तड़प-तड़प क र मर जाते थे। मेरे अलावा बाकी दो साथी पागल हो गए। यह सब देख मैं तो बेहद डर गया। मैं डरा-छिपा फिरता था। रात को उसी टूटी मस्जिद में जाकर रोता था और कहता था-ए मुसलमानों के भगवान मुझो क्षमा कर दे। मैं अपना माथा वहां टेकता.

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  5. हमारी इस कोशिश से मस्जिद को कुछ नुकसान पहुंचा। हैरत की बात यह हुई कि इस घटना के बाद दो सप्ताह के अन्दर ही मेरे चार साथी एक के बाद एक मरते गए। उनके सिर में दर्द होता था और वे तड़प-तड़प क र मर जाते थे। मेरे अलावा बाकी दो साथी पागल हो गए। यह सब देख मैं तो बेहद डर गया। मैं डरा-छिपा फिरता था। रात को उसी टूटी मस्जिद में जाकर रोता था और कहता था-ए मुसलमानों के भगवान मुझो क्षमा कर दे। मैं अपना माथा वहां टेकता.

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  6. उक्त सन्दर्भ किसी भी भटके हुए के लिए काफ़ी है कि वह समझे कि ईश्वर क्या चाहता है... एक खबर और है फिरदौस बहन के ब्लॉग पर वहां मस्जिद शहीद करने वाले २ हिन्दू मुसलमान हो गए उनका लिंक यहाँ है...

    http://www.starwebmedia.in/2010/03/demolition-of-babri-mosque-miracle-that.html

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  7. उक्त सन्दर्भ किसी भी भटके हुए के लिए काफ़ी है कि वह समझे कि ईश्वर क्या चाहता है... एक खबर और है फिरदौस बहन के ब्लॉग पर वहां मस्जिद शहीद करने वाले २ हिन्दू मुसलमान हो गए उनका लिंक यहाँ है...

    http://www.starwebmedia.in/2010/03/demolition-of-babri-mosque-miracle-that.html

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  8. उक्त सन्दर्भ किसी भी भटके हुए के लिए काफ़ी है कि वह समझे कि ईश्वर क्या चाहता है... एक खबर और है फिरदौस बहन के ब्लॉग पर वहां मस्जिद शहीद करने वाले २ हिन्दू मुसलमान हो गए उनका लिंक यहाँ है...

    http://www.starwebmedia.in/2010/03/demolition-of-babri-mosque-miracle-that.html

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  9. अब मुझे दिल से लगता जैसे मैं मुसलमान हूं। अब मुझे मुसलमानों की हत्या की सूचना मिलती तो मेरा दिल बहुत दुखता। मैं एक दिन बीजापुर गया। वहां एक मस्जिद देखी। वहां के इमाम साहब सहारनपुर के थे। मैंने उनसे अपनी पूरी कहानी बताई। उन्होंने कहा-'अल्लाह को आपसे बहुत प्रेम है,अगर आपसे प्रेम ना होता तो अपने साथियों की तरह आप भी नरक में जल रहे होते। आप अल्लाह के इस उपकार को समझों

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  10. बढ़िया पोस्ट है. ऐसी एक कहानी मेरे ननिहाल बिजनौर के मौरना गावं में भी हो चुकी है. वहां दंगाई जैसी ही ईदगाह को शहीद करके लौटे, उससे सटे हुई बड़ी सड़क पर उनका प्रतिनिधित्व कर रहे शख्स को तेज़ी से आ रही एक कार ने रौंद दिया. फिर उन्ही भाइयों ने मिलकर ईदगाह की दोबारा तामीर करवाई.

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  11. जिसे अल्लाह सीधे मार्ग पर लाना चाहता है, उसका सीना इस्लाम के लिए खोल देता है।

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  12. बेहतरीन , लाजवाब & शानदार पोस्ट. सभी के लिए बेहतरीन प्रेरणा देने वाला आलेख देने के लिए शुक्रिया.

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  13. क्या बकवास है इस तरह से बटकाव मत पैदा करो

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  14. अल्लाह जिसे चाहता है हिदायत देता है

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  15. aisi dheron misalen hain.bhai shahnawaz ne sahi kah.

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  16. हैरत की बात यह हुई कि इस घटना के बाद दो सप्ताह के अन्दर ही मेरे चार साथी एक के बाद एक मरते गए। उनके सिर में दर्द होता था और वे तड़प-तड़प क र मर जाते थे। मेरे अलावा बाकी दो साथी पागल हो गए। यह सब देख मैं तो बेहद डर गया। मैं डरा-छिपा फिरता था। रात को उसी टूटी मस्जिद में जाकर रोता था और कहता था-ए मुसलमानों के भगवान मुझो क्षमा कर दे। मैं अपना माथा वहां टेकता.

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  17. koi na samjhe to kya kare koi


    Allah jise chahega hidayat dega aur deta hai!!

    ham post karn ewaale hazrat ke mamnoon hain.

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  18. saathiyon meri guzarish hai ki shahnawaz bhai ko bhi anjuman me shirkat karne ki dawat dee jaye.yun main ne unke blog par jakar guzarish ki hai.

    aap bahut hi achcha kam kar rahe hain.

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  19. ऐसा भी होता है....क्या अच्छा होता उसकी तस्वीर भी पोस्ट की जा ती और उसका पता हाल

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  20. शेरघाटी saheb !

    erada to nek hai na ? dhamki to nahi ?????

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  21. धर्म लोगों को भटकाता है। और दुर्भाग्य से तुम दुनिया की सबसे ज्यादा भटकी हुई कौम से हो।

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  22. धर्म लोगों को भटकाता है। और दुर्भाग्य से तुम दुनिया की सबसे ज्यादा भटकी हुई कौम से हो।

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  23. Ek aur Anktwadi bharti ho gaya tumhari teem main.

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  24. @तारकेश्वर जी
    आंतकवादी हमारी टीम में नही आया बलकि आंतकवादी टीम से निकलकर सुकून की छान्व में आ गया

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  25. @तारकेश्वर जी
    आंतकवादी हमारी टीम में नही आया बलकि आंतकवादी टीम से निकलकर सुकून की छान्व में आ गया
    VERY GOOD ANSWER

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  26. sir ji koi dharm bura nahi hota... geeta me bhagvan sri krishna ne kaha hai ''swadharme nidhanam shreyam, pardharmo bhayavah'' means apne dharm me marna bhi shresth hai.. anya dharm ka aashray bhayankar hai..

    gaur farmaaiye jo apne dharm ka na ho saka vo kisi aur ka kya ho sakega...

    mujhe khed hai us vyakti ke dharm parivartan par,, isliye nahi k usne hindu dharm chhod diya varan isliye ki ab uski baaki jindgi hindu muslim ke fer me nikal jaegi,,, vo ek bhartiy kabhi nahi ban paayega..

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  27. मुस्लिम धर्म का ये इतिहास रहा है कि किसी भी तरीके से दुसरे धर्म के लोगो का इस धर्म मे परिवतन किया जाये इसके लिये लोगो को डराना,मरना,उनको तरह तरह के झूठे किस्से कहानी सूनाना आदि काम करते थे 1300-1800 तक मुस्लिम राज्य रहा इस दौरान लाखो हिन्दू डर के मारे,अपनी मा बेटियो की इज्जत की खातिर मुस्लिम बन गये.ये ऊपर लिखी बकवास इसी का हिस्सा हैइस कहानी के अनुसार मस्जिद तोडने वाला हिन्दू अल्लाह की मर्जी से मुस्लिम बन गया.तो सारे हिन्दू जो गोधरा मे शामिल थे वो मुस्लिम क्यो नही बन गये.अयोध्या मे मस्जिद तोडने वाले हिन्दू,मुस्लिम क्यो नही बन गये

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  28. इसी तरह की मनगढ़ंत कहानियां, मनगढ़ंत चरित्रों के साथ समाज में बांटकर पिंडियाँ और मजार, दरगाहें पुजवायी जाती रहीं हैं. तुम उनसे अलग किस तरह हो ? क्या सारे ज़माने को अपने जैसा काठ का उल्लू समझ रखा है जो इस किस्सागोई पर कुरता फाड़कर वाह - वाह कर उठेगा.

    डा0 जमाल भी इन वाह -वाह करने वालों में शामिल हैं. अरे कम से कम अपनी डिग्री को ही थोड़ी इज्जत बख्शते...........

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  29. इतनी संकीर्ण सोच ...सब लड़ रहे है...क्यों ?....

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  30. blogvani ne bhai shanawaz ke ek aur blog ko shamil kiya.khushi hui.lekin saleem sb kahan hain bhai shahnawaz ne request bhej rakhi hai accept karen.

    ham sabhi chahhte hain ki anjuman me unke aane se barkat hogi.inshaallah.

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  31. @Talib sahb - शाहनवाज भाई के मामले में ब्‍लागवाणी ने बाजी मार ली, उसने अन्‍जुमन से पहले अपने में उन्‍हें शामिल कर लिया है, नये ब्‍लाग में उनका ब्‍लाग देखा जा सकता है, सलीम साहब शायद इस्‍लामिक वेब और काशिफ भाई की सहमति का इन्‍तजार कर रहे हैं

    इस लेख पर जिसे यकीन न हो वह फूलत मदरसा जो मेरठ, खतोली के पास है घूम आये ऐसे सैंकडों नव मुस्लिमों से वहां मुलाकात हो जायेगी

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  32. KYA JAB AAP LOG MANDIR TODTE HO TO KOI CHAMATKAR NAHI HOTA YA APP KI MADAD ALLAH KARTA HAI.......

    MAIN 100% BOLTA HU YE STORY MUSLIM KI BANAYI HAI IS ME KOI SHUK NAHI KYO KI AISA AGAR HOTA TO SABSE PEHLE BABRI MASJID KE SATH HOTA KYO KI JAHA KARIB 1000 LOGO SE JAYADA LOG THE WAHA KOI CHAMATKAR NAHI AUR JAHA 8 LOG THE WAHA CHAMATKAR SOCHNE KI BAAT HAI BHAI JAAN AAP YA TO KHUD KO ADHIK SAMAJHDAR SAMAJHTE HAI YA HUMKO BEVKUF

    JAI SHRI RAM

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  33. @Anand Pandey Ji

    युवराज के मुस्लिम होने पर किसी हिन्दू को दुखी नहीं बल्कि खुश होना चाहिए. जब उसने मस्जिद को नुक्सान पहुंचाया और दंगों में शामिल हुआ तो वह अपने मूल धर्म से भटक गया था. क्योंकि हिन्दू धर्म किसी को नुक्सान पहुंचाने की आज्ञा नहीं देता. उसके बाद उसने अपने पाप का प्रायश्चित किया और उस महान सनातन धर्म के नवीन रूप को अपनाया जिसका पुरातन रूप का नाम ही तो हिन्दू है.

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  34. bhai , allah ko gujrati masjid se hi itna lagaav kyun hai ki use todne walon ke sir mein dard karwa ke use marwa diya? aur un sab me akele suhail siddiqi urf yuvraj sahab ko apni panaah mein le liye?

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