Monday, November 2, 2009

इस्लाम ने मुझे नयी जिंदगी दी


अमेरिका के मशहूर पॉप सिंगर माइकल जैक्शन के बड़े भाई जेरीमन जैक्शन ने १९८९ में इस्लाम अपना लिया। इस्लाम कबूल करने के बाद जेरीमन जैक्शन का पहली बार इन्टरव्यू लन्दन के अरबी समाचार पत्र अल-मुजल्ला में प्रकाशित हुआ। इस इन्टरव्यू में उन्होंने इस्लाम अपनाने से जुड़े कई सवालों के जवाब दिए। यह उस वक्त का इन्टरव्यू है जब इनके छोटे भाई माइकल जैक्शन मुस्लिम नहीं हुए थे।


इस्लाम की तरफ आपका सफर कब और कैसे शुरू हुआ?

१९८९ की बात है, जब मैं अपनी बहन के साथ मध्यपूर्वी देशों की यात्रा पर गया था। बहरीन में रुकने पर हमारा गर्मजोशी के साथ स्वागत किया गया। मैं कुछ बच्चों से मिला और उनसे हल्की-फुल्की गपशप की। मैंने उनसे कुछ सवाल पूछे और उन मासूम बच्चों ने भी जिज्ञासापूर्वक मेरे से कई बातें पूछी। बातचीत के दौरान उन्होंने मुझसे मेरे धर्म के बारे में सवाल किया। मैंने उन बच्चों को बताया कि मैं ईसाई हूं। जब मैंने उनसे पूछा-आप किस धर्म के हो ? इस सवाल पर उनके चेहरे पर एक खास चमक नजर आई। वे सब एक साथ बोले-इस्लाम। उनके इस उत्साहित उत्तर ने मुझे अन्दर तक हिलाकर रख दिया। फिर वे मुझे इस्लाम के बारे में बताने लगे। उन बच्चों ने अपनी उम्र के मुताबिक टुकड़ों में मुझे इस्लाम से जुड़ी कुछ जानकारी दी। उनके बात करने के अन्दाज से मुझे लगा कि उन्हें इस्लाम पर गर्व है। इस तरह मेरा रुख इस्लाम की तरफ हुआ।

इस्लाम कबूल करने के बाद आपने कैसा महसूस किया?

इस्लाम अपनाने के बाद मुझे लगा मानो मुझे नई जिंदगी मिली हो। मैंने इस्लाम में उन सभी सवालों के जवाब पाए जिनके जवाब मैं ईसाई धर्म में नहीं खोज पाया था। खासतौर पर इस्लाम में ही मुझे ईसा मसीह के जन्म संबंधी सवाल का संतोषप्रद जवाब मिला। मैं पहली बार धर्म के मायने सही तरीके से समझ पाया। मैंने अपने परिवार वालों से इस्लाम की इन बातों को प्रोत्साहित करने की विनती की। मेरा परिवार ईसाई धर्म के एवेन्डेन्स ऑफ जेहोवा पंथ का अनुयायी है। इस मत के अनुसार सिर्फ १४४,००० आदमी ही स्वर्ग में जाएंगे। ऐसे कैसे हो सकता है? मेरे लिए हमेशा यह हैरानी की बात बनी रहती थी। मुझे यह जानकर ताज्जुब हुआ कि बाइबल कई सारे लोगों ने संकलित की खासतौर पर किंग जेम्स ने अपने हिसाब से बाइबल को संकलित करा कर उसको अधिकृत माना। मुझे आश्चर्य हुआ कि एक आदमी ईश्वरीय ग्रन्थ का संकलन करता है और इसे ईश्वर से जोड़ देता है लेकिन सच्चाई यह है कि इस तरह के संकलन में ईश्वरीय आदेशों की पालना नहीं की गई। सऊदी अरब ठहरने के दौरान मुझे इंग्लैण्ड के पूर्व पॉप स्टार केट स्टीवन्स से मुस्लिम बने यूसुफ इस्लाम की इस्लामिक कैसेट खरीदने का मौका मिला। इन कैसेट्स से मैंने बहुत कुछ सीखा।

इस्लाम कबूल करने के बाद अमेरिका लौटने पर किस तरह की प्रतिक्रिया हुई। अमेरिका लौटने पर अमेरिकी मीडिया ने इस्लाम और मुसलमानों के खिलाफ जमकर जहर उगला। इस तरह की चर्चाओं ने मेरे दिलो दिमाग पर असर डाला। हॉलीवुड भी मुसलमानों की जमकर निंदा करने में लगा था। वे मुसलमानों को आतंकवादी के रूप में पेश करते थे। ईसाईयत और इस्लाम में कई बातों में समानता है जैसे कि पवित्र कुरआन ईसा मसीह को एक पैगम्बर का दर्जा देता है। मुझे आश्चर्य हुआ कि फिर क्यों अमेरिका के ईसाई मुसलमानों पर बेतुके आरोप लगाते हैं। इस माहौल ने मुझे निराश ही किया। मैंने तय किया कि अमेरिकी मीडिया की इस्लाम और मुसलमानों की बनाई इस गलत इमेज को दूर करने की भरपूर कोशिश करुंगा। मुझे इस बात का अंदाजा नहीं था कि अमेरिकी मीडिया मेरे इस्लाम अपनाने की बात को पचा नहीं पाएगा और इस मुद्दे पर इतना ज्यादा हो हल्ला करेगा। अमेरिकी मीडिया की यह भूमिका अभिव्यक्ति और अंतरात्मा की स्वतंत्रता के लंबे चोड़े खोखले दावों की पोल खोल रही थी। इस तरह अमेरिकी समाज का पाखंड खुलकर मेरे सामने आया। इस्लाम ने मेरी कई समस्याओं के समाधान सुझाए। मैं खुद को एक अच्छा और पूर्ण इंसान महसूस करने लगा।मुस्लिम होने के बाद मैंने खुद में काफी अच्छे बदलाव महसूस किए। मैंने वे सारी चीजें छोड़ दी जो इस्लाम में मना है। मेरे परिवार के सामने भी मुश्किलें आईं। यूं कहें कि जैक्शन परिवार अंतरद्वंद्व में था। मुझे लिखे गए धमकी भरे पत्रों ने मेरे परिवार को चिंतित किया।

4 comments:

  1. जब मैंने उनसे पूछा-आप किस धर्म के हो ? इस सवाल पर उनके चेहरे पर एक खास चमक नजर आई। वे सब एक साथ बोले-इस्लाम। उनके इस उत्साहित उत्तर ने मुझे अन्दर तक हिलाकर रख दिया। फिर वे मुझे इस्लाम के बारे में बताने लगे। उन बच्चों ने अपनी उम्र के मुताबिक टुकड़ों में मुझे इस्लाम से जुड़ी कुछ जानकारी दी। उनके बात करने के अन्दाज से मुझे लगा कि उन्हें इस्लाम पर गर्व है। इस तरह मेरा रुख इस्लाम की तरफ हुआ।

    mano bachchon ne unko islam bataya.

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  2. post men ek aakarshan hai. mai ne pura post parha. bahut achcha hai.

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  3. यही नहीं माइकल जैकसन ने भी इसलाम क़ुबूल किया था, आज वह इस दुनिया में नहीं है.

    लेख के यह शब्द :::

    इस्लाम अपनाने के बाद मुझे लगा मानो मुझे नई जिंदगी मिली हो। मैंने इस्लाम में उन सभी सवालों के जवाब पाए जिनके जवाब मैं ईसाई धर्म में नहीं खोज पाया था। खासतौर पर इस्लाम में ही मुझे ईसा मसीह के जन्म संबंधी सवाल का संतोषप्रद जवाब मिला। मैं पहली बार धर्म के मायने सही तरीके से समझ पाया।

    यक़ीनन इस्लाम में उन सभी सवालों के जवाब आपको मिलेंगे जिनके जवाब आप अन्य धर्म में नहीं खोज पाएंगे, क्यूंकि यह दीन-ए-फ़ितरत है, इसलाम के एक एक नियम व कायदे को आप कामन सेंस से बड़ी आसानी से समझ सकते हैं और यह आपके दिल ही नहीं दिमाग को भी बखूबी से संतुष्ट करता है. यही वह दीन है यही वह रास्ता है जो २+२ = ३ नहीं बताता है बल्कि २+२=४ बताता है.

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  4. आज़ादी का राग अलापने वाले अमेरिकी मीडिया का दोगलापन जरिमन जेकसन की इस बात से सामने आता है और साबित होता है की इसलाम को लेकर दुनियाभर के मीडिया का नजरिया नकारात्मक ही है.
    अमेरिका लौटने पर अमेरिकी मीडिया ने इस्लाम और मुसलमानों के खिलाफ जमकर जहर उगला। इस तरह की चर्चाओं ने मेरे दिलो दिमाग पर असर डाला। हॉलीवुड भी मुसलमानों की जमकर निंदा करने में लगा था। वे मुसलमानों को आतंकवादी के रूप में पेश करते थे।
    इस माहौल ने मुझे निराश ही किया। मैंने तय किया कि अमेरिकी मीडिया की इस्लाम और मुसलमानों की बनाई इस गलत इमेज को दूर करने की भरपूर कोशिश करुंगा। मुझे इस बात का अंदाजा नहीं था कि अमेरिकी मीडिया मेरे इस्लाम अपनाने की बात को पचा नहीं पाएगा और इस मुद्दे पर इतना ज्यादा हो हल्ला करेगा। अमेरिकी मीडिया की यह भूमिका अभिव्यक्ति और अंतरात्मा की स्वतंत्रता के लंबे चोड़े खोखले दावों की पोल खोल रही थी। इस तरह अमेरिकी समाज का पाखंड खुलकर मेरे सामने आया।

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