Thursday, November 12, 2009

एक भी भारतीय मुस्लमान देशभक्त नही है..!! No Indian Muslim Is Patriostic..!!!


पिछ्ले कुछ दिनों से जब से जमाते इस्लामी ने "वन्दे मातरम" के फ़तवे के मसले पर अपनी राय रखी है तब से पुरे देश में बवाल मचा हुआ कोई मुसलमानों को गाली दे रहा है,  कोई चेतावनी दे रहा है की हम काटने को बैठे है,             

कोई इस्लाम के "सच्चे" फ़ालोवर्स से परिचय करा रहा है,        कोई मुसलमानों को बता रहा है की उन्हे "वन्दे मातरम" गाना चाहिये, कोई गद्दार कह रहा है, कोई हमें देश से बाहर निकालने को तैयार बैठा है।

वन्दे मातरम का अर्थ क्या है?? वो मुह्म्मद उमर कैरानवी बता चुके है..!!!

इसलिये सीधे मुद्दे की बात करते है...

जो लोग इस फ़तवे पर इतना बवाल मचा रहे है उन सब लोगों से मैं सवाल करना चाहता हूं   "क्या वन्देमातरम गाना देशप्रेम का सर्टिफ़िकेट है?"  "क्या वन्देमातरम को ना गाने वाला देशद्रोही है?" "अगर कोई मुस्लमान फ़ौजी "वन्देमातरम" नही गायेगा तो क्या वो भी देशद्रोही कहलायेगा?"



जो लोग वन्दे मातरम को लेकर इतना शोर कर रहे है उनमें से किसको "वन्दे मातरम" मुंह ज़बानी याद है??? किसको उसका अर्थ याद है??? भारत के किस शख्स ने "वन्दे मातरम" के अर्थ को अपनी ज़िन्दगी मे उतारा है??? "वन्देमातरम" हो, "जन गण मन" हो, या "सारे जहां से अच्छा" कौन इनके ऊपर अमल कर रहा है??? सबको बस हराम का पैसा चाहिये एक छोटा सा डाकिया भी कोई ज़रुरी कागज़ देने के लिये बीस से तीस रुपये मांगता है और जब भी कोई बेवकुफ़ उलेमा कोई फ़तवा देता है तो यही लोग देशभक्त और देशप्रेमी बनकर खडे हो जाते है गाली देने के लिये!


पुरा लेख यहां पढें....

12 comments:

  1. बहुत अच्छा लेख है। और हाँ एक मुस्लिम अपने देश को टूट कर चाहता है परन्तु उसकी पूजा नहीं कर सकता।। हिन्दु भाइयों को चाहिए कि "वन्दे मातरम" की राग अलापने से पहले अपने घर की खबर लें यदि वह सच्चे हिन्दू हैं तो।
    डा0 ज़ाकिर नाइक के शब्दों में हिन्दुओं को भी "वन्दे मातरम" नहीं गाना चाहिए क्योंकि उनके धार्मिक ग्रन्थ वेद ने भी एकेश्वरवाद का समर्थन और मुर्तिपूजा का खंडन किया है।

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  2. भाई वन्‍दे मातरम पर अभी मैं बता नहीं चुका, बता रहा हूं, वह कहावत सुनी है ना 90 साल की ..... एक ही बार में कैसे चली जायेगी, थोडा वैदिक जी के लिये बचा के रखिये उनसे 20 के बाद बात करनी हैं,
    खेर चलते चलते यह बताओ जो मेरा Signature पहले जिसे महाशक्ति ने वाइरस बताया था वह अधिक मारक था के यह जो मैंने सुपर वाइरस बना दिया है

    Signature:
    विचार करें कि मुहम्मद सल्ल. हिन्‍दू धर्म के कल्कि व अंतिम अवतार और बैद्ध मैत्रे, अंतिम ऋषि (इसाई) यहूदीयों के भी आखरी संदेष्‍टा? हैं या यह big Game against Islam है?
    antimawtar.blogspot.com (Rank-2 Blog)
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    अल्‍लाह का चैलेंज पूरी मानव-जाति को
    अल्‍लाह का चैलेंज है कि कुरआन में कोई रद्दोबदल नहीं कर सकता
    अल्‍लाह का चैलेंजः कुरआन में विरोधाभास नहीं
    अल्‍लाह का चैलेंजः आसमानी पुस्‍तक केवल चार
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    अल्‍लाह का चैलेंज: यहूदियों (इसराईलियों) को कभी शांति नहीं मिलेगी

    छ अल्लाह के चैलेंज सहित अनेक इस्‍लामिक पुस्‍तकें
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  3. बहुत अच्‍छा लिखा आपने वाकई हमें इन बातों की और ध्‍यान देना चाहिये

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  4. @ खान साहब तो लगता है, हज करने गये हैं, वरना वह देखते कि अवधिया जी को आज चटकों का रिकार्ड बन रहा है, एक हमारे ईमानदार भाई हैं लगता है सब हज जाने की तैयारी में लग रहे हैं, कि अपनी पोस्‍ट तक पर चटका नहीं लगाते,

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  5. आपकी बातें पढकर वह बात याद आती है कहीं सुना था 100 में 99 बेईमान फिर भी मेरा देश महान

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  6. एक भी भारतीय मुसलमान देश भक्‍त नहीं है यह कैसे कह सकते हैं, ए. आर. रहमान ने वन्‍दे मातरम पर बहुत महनत कर रखी है कमसे कम उसे तो यह मान लेंगें कि देश भक्‍त है,

    अवधिया चाचा
    जो कभी अवध ना गया

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  7. भैया सही बात तो यह है कि वन्‍दे मातरम तो देख के भी नहीं पढ सकते अब और हमें शर्म ना दिलवाओ,

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  8. sir,
    i am very new to this type of blogging.even i am not very much serious about blogging.
    but i just wanted to know that-----
    "IS JUST SINGING A SONG PROVES A PERSON'S FAITHFULNESS TOWARDS HIS NATION"

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  9. हम सभी नागरिकों को अपने धरोहर का सम्मान करना चाहिए.
    धरोहर से तात्पर्य है - हमारे अतित की हर वो ख़ास चीज़ से है जिससे देश का गौरव जुडा हुआ है. हमारे स्वतंत्रता सेनानी, शान्तिदूत, ज्ञानी, विचारक उनके आदर्श. संघर्ष गाथाएँ, राष्ट्रीय प्रतीक, साहित्य, गीत, संगीत, कला आदि.

    एक गीत के रूप में वन्दे मातरम् इन सब में इसलिए ख़ास है, यह अपनी धरती के प्रति अगाध प्रेम और समर्पण का भावः होने के साथ साथ पूर्व में विदेशी सत्ता के विरुद्ध एक आह्वान भी रहा है. इसे राष्ट्र गीत का दर्जा इसमें निहित मूल्यों के कारण ही दिया गया है. अनजाने में इसका विरोध करना मूर्खता है और साजिश के तहत विरोध करना राष्ट्र द्रोह के दायरे में आएगा.

    अफ़सोस होता है देशहित में सम्मिलित शक्ति संचय करने के जगह पर हम फिर से धार्मिक द्वंदों को बढावा दे रहे हैं.

    - सुलभ

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  10. सुलभ जी,

    क्या करें ये देश के राजनेता जीने नही देते है...बारह साल पुराने फ़तवे को रो रहे है....

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