बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
आज मैं आपको मुसलमान होने के फायदे बताऊंगा. अगर कोई मुसलमान है तो उसे क्या क्या फायदे है या कोई अगर मुसलमान बनता है तो उसके उसे क्या क्या फायदे होंगे? जहाँ तक इस क़ायनात (सृष्टि) के मालिक (जिसका वास्तविक नाम 'अल्लाह' है) का संबंध है, आप उसे उसकी बहुत सी निशानियों के ज़रिये आसानी से पहचान सकते हैं, आप उसे अपने नजदीक कर सकते हैं, उसके नामों के ज़रिये अपने और उसके रिश्ते को समझ सकते हैं और आप उसे दिन में २४ घंटे और पूरे साल अपनी नमाजों के ज़रिये अपनी बात कह सकते हैं. आप इस दुनिया में क्यूँ आये? आपका इस दुनिया में पैदा होने का मकसद क्या है? सबसे बड़ी बात है कि आप के पास जवाब होंगे उन सब शब्दों के जिन्हें क्यूँ, कैसे, कब, कहाँ, क्या और दीगर दार्शनिक और तत्वज्ञान सम्बन्धी सवालों के.
सबसे पहला फ़ायदा तो यह है कि आपकी वफ़ादारी, ईमानदारी, सच्चाई, आज्ञापालन, आज्ञापरता केवल आपके मालिक (creator) के लिए ही होंगी. आप इस दुनिया में अपनी उक्त विशेषताओं से पहचाने जायेंगे. आपका संघर्ष चाहे वो आपके बॉस से हो, आपकी नौकरी या पेशे से हो, आपके निज़ाम (गवर्नमेंट) से हो, आपके सामाजिक तंत्र से हो, सब के सब आप के उस मालिक (अल्लाह) से सम्बद्ध होगा, आप बेशक (undoubtedly) अपने मालिक (अल्लाह) पर विश्वास करेंगे. आप किसी अन्य का अनुसरण करने के बजाये उस एक ईश्वर के नियमों का अनुसरण करेंगे.
दूसरा सबदे बड़ा फ़ायदा यह होगा कि आप अपने आप में, अपने परिवार में, इस दुनिया के लोगों में, वातावरण में, और इस दुनिया में शांति का, अनुरूपता का, अक्षोभ और खुशियों और आनंद का संचार करेंगे.
तीसरा सबसे बड़ा फ़ायदा यह होगा कि आपके शरीर पर, मष्तिष्क पर, तंत्रिका तंत्र पर कोई फालतू का जोर और टेंशन नहीं रहती है क्यूंकि आप दिन में पांच बार वुज़ुः (मुहं, हाँथ और पैर धोना) करके नमाज़ पढ़ते है और अपने मालिक (अल्लाह) से दुआ करते हैं. नमाज़ में जब आप सज़दा करते हैं तो अपना माथा ज़मीन पर रखते हैं इस प्रक्रिया में आप अपनी सारी टेंशन और अपने मस्तिष्क के अतिरिक्त बिना मतलब के भार को ज़मींदोज़ (ख़त्म) कर देते हैं. नमाज़ पढने से आप अपनी तमाम चिंताओं के हल के लिए अल्लाह दुआ करते है और चिंतामुक्त होते हैं. यहीं नहीं नमाज़ के ज़रिये आप के शरीर के तमाम मनोरोग भी दूर हो जाते हैं. जिस तरह से अगर आप कहीं जा रहे हों रास्ते में अगर आपको जगह-जगह पर नहरें मिले और आप उसमें हर बार नहा लें तो किन्हीं दो नहरों के बीच आपके शरीर पर जितनी भी धुल या गन्दगी जमेगी/हो जायेगी वह धुलती जायेगी. ठीक उसी तरह से आप अगर दिन में पांच मर्तबा नमाज़ पढेंगे तो दो नमाजों के बीच के गुनाह ख़त्म हो होते जायेंगे और आपका मन शांत रहेगा वह सब काम नहीं करेगा जो आपके मालिक के नियमों विरुद्ध होगा.
चौथा सबसे बड़ा फ़ायदा यह होगा कि आपका व्यक्तित्व आकर्षक (कांतिमय) बन जायेगा. आप अनुकूल और मित्रवत रहेंगे. आप ग़लत काम से परहेज़ करेंगे, आप शराब नहीं पीयेंगे, ड्रग्स नहीं लेंगे, अश्लील हरक़त नहीं करेंगे, व्यभिचार नहीं करेंगे.
पांचवां सबसे बड़ा फ़ायेदा यह है कि साल में एक महीने रोज़ा रखने के उपरांत आप अपने पर आत्म-नियंत्रण, आत्मानुशासन, आत्म-शिक्षा, आत्म-अनुपालन के दूर सीख लेते हैं . आप बेशक अपनी सेहत, व्यक्तित्व, चरित्र और स्वाभाव को सुधार लेते हैं.
छठवां फ़ायदा यह है कि हवस (lust), स्वार्थपरायणता (selfishness), इच्छाओं (desires), लालच (greed), अंहकार (ego), दम्भ (conceitedness) आदि दुर्गुणों से दूर रहते है और इन दुर्गुणों पर नियंत्रण रख पाते हैं.
सातवां सबसे बडा फ़ायेदा है कि आप आर्थिक, जैविक, मानसिक, आध्यात्मिक, मनोवैज्ञानिक, राजनैतिक आदि क्षेत्र के सभी प्रकार के exploitations रोकने में सक्षम होते हैं. आप लोगों की आज़ादी के समर्थक होंगे, उन्हें बोलने की आज़ादी के, इबादत की आज़ादी के, समतुल्य संबंधों के पक्षधर होंगे, निरपेक्षता (चाहे वो धार्मिक ही क्यूँ न हो) के पक्षधर होंगे. आप नेता होंगे और लोगों में शांति, अक्षोभ (प्रशांति) और खुशियों का नेतृत्व करेंगे.
आठवां फ़ायेदा यह कि इस्लाम स्वीकार करने के उपरांत आप समाज की बुराईयों से दूर रहेंगे और अच्छाईयों अमल करेंगे. आप मुसलमान बनने के बाद समाज की बुराईयों को बढ़ने से रोकने में मदद करेंगे. जैसे- कर्त्तव्यच्युति, अपचार. पापचरित्र, बाल-अपराध, घरेलु हिंसा, कौटुम्बिक व्यभिचार (सगे-संबंधी के साथ यौन सम्पर्क), समलिंगकामुकता, स्वच्छन्द संभोग, विवाहपूर्व यौन-सम्बन्ध, विवाहेत्तर संबंधों आदि समस्त दोषों से दूर रहेंगे.
नौवां फ़ायेदा यह है कि आप समाज में उन बिमारियों से दूर कम कर सकेंगे जो ला-इलाज हैं मसलन- AIDS आदि
![]() जो लाभ या फ़ाएदे और अन्य लाभ जो यहाँ अंकित नहीं कर सका, को आप दुनिया भर की दौलत देकर भी नहीं ख़रीद सकते; और यह दावा है कि दुनियां में अन्यत्र किसी भी तहज़ीब में आपको इतना फयेदा नहीं मिलेगा तो क्या आप राज़ी है इस दावा को स्वीकार करने के लिए....??? कल कभी नहीं आएगा. ![]() |
-सलीम ख़ान |
दसवां फ़ायेदा यह होगा कि जब आपकी मृत्यु होगी, आप शांति से मृत्यु को प्राप्त होंगे, कब्र की और उसके बाद की ज़िन्दगी भी खुशमय होगी, अविनाशी सुख के भोगी होंगे, आपकी मौत पर आपका साथ पाने के लिए अप्साए लालायित होंगी, वे स्वर्ग (जन्नत) में आपकी मुक़र्रर (आरक्षित) जगह तक ले जाएँगी, आखिरी दिन (क़यामत के दिन, हिसाब-किताब के दिन) आप सारे नबियों, पैगम्बरों (ईश्वर के संदेष्टाओं) जैसे- हज़रत नूह (अ.स.), हज़रत इब्राहीम (अ.स.), हज़रत मूसा (अ.स.), हज़रत ईसा (अ.स.) और हज़रत मुहम्मद (अल्लाह की उन पर शांति हो) को देख सकेंगे और उनसे मुलाक़ात कर सकेंगे. आप अपने सरे दोस्तों, रिश्तेदारों, गर के फर्दों और महबूब को देख सकेंगे. आप जन्नत में अनंत जीवन व्यतीत करेंगे. (अल्लाह बेहतर जानने वाला है)
चलते चलते आपको यह भी बता दूं कि " इस्लाम धर्म में सबसे सुदृढ़ और सर्वोच्च संबंध और बंधन इस्लामी भाईचारा है, इसीलिए एक मुसलमान के प्रति दूसरे मुसलमान पर अनेक अधिकार अनिवार्य हैं जिनकी पूर्ति करना हर मुसलमान का कर्तव्य है, उन्हीं में से एक कर्तव्य मुसलमान भाई की सहायता करना, संकट में उसके साथ खड़ा होना तथा उसकी सहायता पर शक्तिवान होते हुए उसको असहाय न छोड़ना है।"
सही कहते हैं यह फायदे तो कम से कम हैं, सारे फायदों की तो गिनती भी नहीं, की जा सकती, अच्छी पोस्ट वाकई ऐसे सवाल किये जाते हैं, इस पोस्ट से उन बातों के जवाब देने में आसानी रहेगी,
ReplyDeleteभाई दूसरे खान यानी अनवर जमाल खान और इस्लामिक वेब और मेरी नजर में यह बकवाल टेम्पलेट है
एक और लाभ है जो छूट गया है -
ReplyDeleteग्यारहवाँ लाभ : आपको अपने मष्तिष्क के इस्तेमाल करने की कभी जरूरत नहीं होगी। आप हमेशा अपने आप को सातवीं शताब्दी में जीते पायेंगे।
@ अनुवाद सिंह जी, स्वच्छ मष्तिष्क भी ईमान वाले के पास ही होता है, पोस्ट में यह फायदा गिनाया जा चुका, तीसरा फायदा फिर से पढें,
ReplyDeleteआपने मुझे चाणक्य शास्त्र पढने के लिये प्रेरित किया था, हजार बार धन्यवाद,
उसमें चन्द्रगुप्त से में बडा मुतासिर हुआ था, निम्न लिंक पर जाकर देखो चन्द्रगुप्त नजर आता है या नहीं बताना
http://vedquran.blogspot.com/
1.आप अनुकूल और मित्रवत रहेंगे. आप ग़लत काम से परहेज़ करेंगे
ReplyDelete2.आप बेशक अपनी सेहत, व्यक्तित्व, चरित्र और स्वाभाव को सुधार लेते हैं.
3.आप लोगों की आज़ादी के समर्थक होंगे, उन्हें बोलने की आज़ादी के, इबादत की आज़ादी के, समतुल्य संबंधों के पक्षधर होंगे, निरपेक्षता (चाहे वो धार्मिक ही क्यूँ न हो) के पक्षधर होंगे. आप नेता होंगे और लोगों में शांति, अक्षोभ (प्रशांति) और खुशियों का नेतृत्व करेंगे.
भई उपदेश देना बहुत आसान है. जितनी खूबियाँ अभी जो आपने गिनाई हैं, आप अपने अल्लाह को हाजिर नाजिर जानकर ईमानदारी से कबूल कर सकते हैं कि ऎसे एक भी खूबी आपमें है. सलीम खान जी, एक बात जान लीजिए कि तोते की तरह रटी रटाई बातों से किसी का कोई भला नहीं होता. भला होता है उसे जीवन में धारण करने से, उसे अमल में लाने से।
अल्लाह अल्लाह करना या राम राम का भाषण देना बहुत आसान है. लेकिन ये आपका अल्लाह और मेरा राम भी जानता है कि हम वास्तव में कितने ईमानदार हैं. हम पूरी दुनिया को मूर्ख बना सकते हैं लेकिन आप क्या समझते हैं कि हमारा वो अल्लाह या राम भी झाँसे में आ जाएगा.....भाई मेरे दुनिया को भाषण पिलाने या उपदेश झाडने से कहीं बेहतर है कि हम खुद पहले वैसा बन के दिखाएं.
यदि कुछ गलत लिख दिया हो तो क्षमा चाहूँगा..
जानकारी से भरा व वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाला लेख.
ReplyDeleteस्पष्ट हुआ कि क्यों अन्य के मुकाबले मुस्लिम ज्यादा स्वस्थ, धनाढ्य, शिक्षित व उर्जावान है. कैसे सारे मुस्लिम देश मिलजुल कर प्रेम पुर्वक रहते है.
साधूवाद!
@कृष्ण जी आपकी बातों में दम है; लेकिन सिर्फ इतना ही कह कर आप सत्य को नकार नहीं सकते !!!
ReplyDelete"बड़े बडाई ना करे बड़े ना बोले बोल
ReplyDeleteरहिमन हिरा कब कहे लाख टका मोरा मोल" hai ki nahi
मैंने एक बार कुछ लोगों की बातों में आकर मुसलमान बनने का निश्चय किया तो उसी रात सपने में अल्लाह(ईश्वर) ने दर्शन दिये और बोले, " तू इससे पिछले जन्म में मुसलमान ही था । अब तेरा प्रमोशन करके तुझे ऊपर भेजा है और तू वापस पिछली श्रेणी में जाना चाहता है । अगर तुझे मुसलमान बनाना होता तो मैं तुझे मुसलमान के घर ही न पैदा करता ?
ReplyDeleteजहाँ तुझे डेपुटेशन पर भेजा है वहीं पड़ा रह । जो काम दिया है उसी को अच्छे से कर । नहीं तो....."
विवेक की अविवेकपूर्ण बातें;
ReplyDeleteउसी तरह है जैसे मैं कहूँ कि स्पेस शटल पर बैठ कर मैं अपने क्लोन के माध्यम से यह टिपण्णी कर रहा हूँ !!!
ईश्वर हम सबको हिदायत दे !!!
जो भी लोग इन फायदों को पाये हुये हैं वे सारे मुसलमान ही नहीं हैं अपितु दूसरे धर्मों के मानने वाले भी हैं जिसका मतलब यह होता है कि दूसरे भ्रम भी मौज़ूद हैं । ये सारी बातें किसी वकील की तरह जबरदस्ती के थोपे हुये कुतर्क हैं। हर धर्म अपने समय में मानवता की भलाई के लिये पैदा किये गये हैं इसलिये किसी दूसरे समय में उनका जैसे का तैसा मानना समझदारी नहीं है। दुनिया की सारी किताबें मनुष्यों द्वारा ही लिखी गयी हैं और कोई भी किताब अंतिम किताब नहीं हो सकती। सारी किताबें दिन प्रति दिन संशोधित हो रही हैं भले हे कई बार हम उनका नाम व्याख्या दे देते हैं। किसी भी चीज़ से कुछ भी अच्चा या बुरा निकाला जा सकता है। जिसे धरम का पालन करना वो करे पर उसका प्रचार न करे। या सार्व्जनिक जीवन में उसको लाने की मनाही हो।
ReplyDelete@ krishnaभला होता है उसे जीवन में धारण करने से, उसे अमल में लाने से।
ReplyDeleteaur insha allah ham sabhi ise amal me laayen,aameen.
लो जी आपने ईश्वर को सबको हिदायत देने हुक्म दिया और उन्होंने हमें मेल भेज दिया ।
ReplyDeleteलिखा है : "अच्छे बच्चे किसी का भी मज़ाक नहीं उड़ाते । जोकर का भी नहीं ।"
हिदायत अच्छी है वैसे ।
veerendra jee ke kathan se poorn sahmat
ReplyDelete@ विरेंन्द्र जी ऊपर बहुत देख लिया, अन्जुमन में आये हो तो तनिक नीचे नजर मार लो, बहुत से सवालों के जवाब मिल जायेंगे, भटके हुओ आओ
ReplyDeletesignature:
विचार करें कि मुहम्मद सल्ल. कल्कि व अंतिम अवतार और बैद्ध मैत्रे, अंतिम ऋषि
(इसाई) यहूदीयों के भी आखरी संदेष्टा? हैं या यह big Game against Islam है?
antimawtar.blogspot.com (Rank-1 Blog) डायरेक्ट लिंक
अल्लाह का
चैलेंज पूरी मानव-जाति को
अल्लाह का
चैलेंज है कि कुरआन में कोई रद्दोबदल नहीं कर सकता
अल्लाह का
चैलेंजः कुरआन में विरोधाभास नहीं
अल्लाह का
चैलेंजः आसमानी पुस्तक केवल चार
अल्लाह का
चैलेंज वैज्ञानिकों को सृष्टि रचना बारे में
अल्लाह
का चैलेंज: यहूदियों (इसराईलियों) को कभी शांति नहीं मिलेगी
छ अल्लाह के चैलेंज सहित अनेक इस्लामिक पुस्तकें
islaminhindi.blogspot.com (Rank-2 Blog)
डायरेक्ट लिंक
bahut hi kya kahte hain hindi me jaankaari bhara lekh.saleem saahab lagta hai kairanvi sahab se syber maulana ki padvi cheen hi lenge.
ReplyDeleteALLAH HAM TAMAM LOGON KO GUFTAR K SAATH KIRDAAR KA BHI GAZI BANAYE.AAMEEN
एक और बहुत बड़ा लाभ है -
ReplyDeleteबारहवाँ लाभ : आप विश्व सभ्यता को नष्ट करने तथा दुनिया में अशान्ति बनाये रखने का बीड़ा उठा सकते हैं। उदाहरण के लिये बड़ी-बड़ी लाइब्रेरियाँ जलाना ; जैसे - नालन्दा और सिकन्दरिया के पुस्तकालय आदि)
NICE POST
ReplyDeletehar dharm ka yahi marm hai bhai.. lekin afsos ki dunia me koi bhi in dson baton me se 1 par bhi poori tarah se khara utarta hoga.. ye sari baten jis dharm se talluk rakhtee hain wo Insaniyat ka dharm hai.. na Hindoo apne aap me poorna hai, na Musalman aur na Isaai.. ye sach aap bhi jante hain aur main bhi..
ReplyDeleteइतिहास गवाह है कि जितनी तबाही अपने प्रारंभ से लेकर आज तक इस्लाम ने मचाई है उतनी किसी और सभ्यता और संस्कृति ने नही...जिस धर्म का मर्म ही ये हो कि जो हमारी बात नहीं माने उसको कत्ल कर दे रैफरैंस के लिए देखें ...जहां आपने कुछ बेहूदा टिप्पणियां की है....http://blog.sureshchiplunkar.com/2010/02/zakir-naik-islamic-propagandist-indian.html
ReplyDeleteइस्लाम का शासन तो हम देख चुके तालिबान को अफगानिस्तान मैं देखकर...बूर्का ,चार चार शादियां और भी कई प्रगतिशाली चीजें हैं इस्लाम मैं ....http://blog.sureshchiplunkar.com/2010/02/zakir-naik-islamic-propagandist-indian.html
विरेन्द्र जैन की उपरी टिप्पणी से सहमत हूँ.
ReplyDeleteमिहिरभोज के अनुसार इस्लाम अब सिर्फ इन्टरनेट की वजह से अपना अस्तित्व बचा पा रहा है और अब वह मात्र सौ वर्ष ही जीवित रह पायेगा.... तथ्य व सत्य से अलग आँख बंद कर यह मान भी लें तो भी यहाँ भी अल्लाह की सच्ची वाणी 'कुरआन' के अनुसार वह क़यामत के आसार होंगे !!!
ReplyDelete@मिहिरभोज, वहां के लिंक देकर तुम खुद आसमान कि तरफ मुहं करके थूकने का सा कार्य कर रहे हो... टिपण्णी जिस पोस्ट पर है वहां की भाषा अति-उकसाने वाली है...परन्तु अब नहीं दाल गलेगी क्यूंकि अब मैं उस गन्दी गली जाना पसंद ही नहीं करूँगा...
ReplyDeleteऔर मैं मिहिर को पूछना चाहता हूँ कि वर्तमान में क्यूँ सबसे ज्यादा तेज़ी से इस्लाम ही फ़ैल रहा है? अमेरिका में इसके प्रसार की दर विश्व भर के अन्य देशों में सर्वाधिक क्यूँ है? और हाँ... इसकी सिफ़त (स्वाभाव) ही ऐसा है कि जितना विरोश होगा उतनी तेज़ी से फैलेगा...!!!!!
ReplyDeleteफ़ायदे का क्या फ़ायदा . कभी तो बिना फ़ायदे के भी जी कर देखिये इस पर अल्लाह भी खुश होगा
ReplyDeleteसलीम भाई ने लिखा - "…इसीलिए एक मुसलमान के प्रति दूसरे मुसलमान पर अनेक अधिकार अनिवार्य हैं जिनकी पूर्ति करना हर मुसलमान का कर्तव्य है, उन्हीं में से एक कर्तव्य मुसलमान भाई की सहायता करना, संकट में उसके साथ खड़ा होना तथा उसकी सहायता पर शक्तिवान होते हुए उसको असहाय न छोड़ना है…"
ReplyDeleteउम्दा सोच है… इसीलिये 73 फ़िरकों में बंटे हुए में से सिर्फ़ एक को ही "सही राह" पर चलने वाला मानते हैं… बाकी को तो काफ़िर या मुहाजिर मानते हैं…। ईरान-ईराक 10-15 साल तक लड़े क्योंकि दोनों देशों में अलग-अलग टाइप(?) के मुसलमान रहते हैं?
सुरेश चिपलूनकर (गन्दी गली वाले) :)
भाई बेहतर ये होगा की हम हिंदू या मुसलमान बनाने पर जोर देने से अच्छा इंसान बनाने पर जोर दे.
ReplyDeleteअच्छी बातें हर धरम में हैं.
मेरे ब्लॉग को भे देखें - www.vicharonkadarpan.blogsppot.com
Allah says:
ReplyDeleteअगर तुझे मुसलमान बनाना होता तो मैं तुझे मुसलमान के घर ही न पैदा करता ?
अगर आप कहीं जा रहे हों रास्ते में अगर आपको जगह-जगह पर नहरें मिले और आप उसमें हर बार नहा लें तो किन्हीं दो नहरों के बीच आपके शरीर पर जितनी भी धुल या गन्दगी जमेगी/हो जायेगी वह धुलती जायेगी. ठीक उसी तरह से आप अगर दिन में पांच मर्तबा नमाज़ पढेंगे तो दो नमाजों के बीच के गुनाह ख़त्म हो होते जायेंगे
ReplyDeleteफिर तो कसाब के नमाज़ पढनेसे उसके सारे पाप धुल जायेन्गे उसी तरह तालिबानी भी पवित्र बनेन्गे
*क्या चार-चार महिलाओं से सैक्स (शादियां करके) करने से एड्स का खतरा नहीं होता?
ReplyDelete*क्या चार शादियां "हवस (lust)" मिटाने के लिए भी कम पड़ रही हैं?
*क्या चार-चार महियालों से सैक्स (शादियां करके) करने से एड्स का खतरा नहीं होता?
ReplyDelete*क्या चार शादियां "हवस (lust)" मिटाने के लिए भी कम पड़ रही हैं?
*क्या चार-चार महियालों से सैक्स (शादियां करके) करने से एड्स का खतरा नहीं होता?
ReplyDelete*क्या चार शादियां "हवस (lust)" मिटाने के लिए भी कम पड़ रही हैं?
@सरस्वती,
ReplyDeleteक्या श्री कृष्ण जी ने 16100 शादियाँ, महाराजा दशरथ ने 3 शादियाँ और चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने 4 शादियाँ हवस मिटाने के लिए की थीं?
sarsvati se aapne sahi sawaal pucha jiska inke paas jawaab nahin hoga aur wah backfoot par chala gaya hoga ya shayed stumpted out
ReplyDeleteसभी को सलाम सलीम भाई संजय और सुरेश चिपलूनकर को काफी दिनों बाद देखा ख़ुशी हुई लेकिन भड़ास से अधूरी शिक्षा ही लेकर निकल लिए इसका अफ़सोस है लेकिन ये देख कर अच्छा लगा की अपने इनको अपने प्यार में बांध रखा है और जहाँ तक ७२ फिरकों की बात है तो ऐसा सोचने वाले ध्यान ज़रूर दें की उन सभी की मंजिल एक ही इश्वर है!
ReplyDeleteजहाँ तक पवित्र कुरान की बात है तो इसका सन्देश सिर्फ मुसलमानों के लिए ही नहीं सारी मानवजाति के लिए है!
और जहाँ तक बात धर्म की है मुझे लगता संसार में किसी भी धर्म को समझने के लिए स्वच्छ हृदय की आवश्यकता होती लेकिन यहाँ तो जिसको देखो अहंकार से लाबा लब भरा मुह से आग उगल रहा है,
सलीम भाई आपकी कोशिश काफी सराहनीय है
आपका हमवतन भाई गुफरान सिद्दीकी (अवध पीपुल्स फोरम अयोध्या फैजाबाद)
अगर आप कहीं जा रहे हों रास्ते में अगर आपको जगह-जगह पर नहरें मिले और आप उसमें हर बार नहा लें तो किन्हीं दो नहरों के बीच आपके शरीर पर जितनी भी धुल या गन्दगी जमेगी/हो जायेगी वह धुलती जायेगी. ठीक उसी तरह से आप अगर दिन में पांच मर्तबा नमाज़ पढेंगे तो दो नमाजों के बीच के गुनाह ख़त्म हो होते जायेंगे...
ReplyDeleteSALIM JI JAI SHRI RAM,
ReplyDeleteAAP NE JO FAYDE BATAYE WO AAP KI NAZAR MAIN HAI MAIN APNI NAZAR SE KUCH BATANA CAHTA HU..............
1) PEHLA FAYDA AAP BEROJGAR HO JAYENGE
2) AAP DOOSRI KOM KO CHAIN SE JENE NAHI DENGE
3) KUM SE KUM AAP KO DUNIYA KI SCIENCE PATTA HO NA HO PAE KURAN AUR ALLAH KA SCIENCE JAROOR HOGA
4) AAP KE SABSE JAYDA ASLIL FILM AAYEGI
5) SHARUKH KHAN AUR DOOSRE MUSLIM KI TARA DIN MAIN KUM SE KUM DIN MAIN 20 CIGRATE PIYENGE
6) AAP KO HURE MILENGI WO SEPRATE
7)AAP SCIENCE MAIN ITNE HOSHIYAR HONGE KI ABDUL KALAM KE ALWA SHAYAD KOI NAAM MALOOM HO
8) KAM KUM CHORI , DAIKETI AUR DANGE BHADKAYENGE
9) MANDIR TUDWANGE
10) PAKISTANI TEAM KI TARAH FAILURE TEAM HO JAYENGE
11)KUM SE KUM KAPDA SE POORE BADAN KO DHAK LENGE AUR TERRROR ATTACK MAIN AAP KA NAAM NAHI AAYEGA
12)FATWA KARKE KUCH BHI KARENGE
13)KOI BHI COUNTRY KA NIYAM AAP PAR LAGU NAHI HOGA
14)AAP ITNE IMANDAR HO JAYENGE KI INDIA MAIN RAH KAR INDIA PAR ATTACK KAR WA DENGE
SABSE BADA FAYDA
15 ) AAP KI KUM SE KUM 4 SHADI HOGI