हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान अल्लाह तआला के लिए योग्य है ।
मूल रूप से एक मुसलमान अल्लाह के आदेश का पालन करता है और उसकी मना की हुई बातों से बचाव करता है, चाहे उस चीज़ के अन्दर अल्लाह सुब्हानहु व तआला की हिकमत (तत्वदर्शिता) का उसे बोध हा या न हो।

"और (देखो) किसी मुसलमान मर्द और औरत को अल्लाह और उसके रसूल के फैसले के बाद अपनी किसी बात का कोई अधिकार बाक़ी नहीं रह जाता। (याद रखो!) अल्लाह तआला और उसके रसूल की जो भी नाफरमानी करेगा वह खुली गुमराही में पड़ेगा।" (सूरतुल अहज़ाब : 33)
तथा अल्लाह तआला का फरमान है :
"ईमान वालों का कहना तो यह है कि जब उन्हें इसलिए बुलाया जाता है कि अल्लाह और उसके रसूल उन में फैसला कर दें, तो वे कहते हैं कि हम ने सुना और मान लिया, यही लोग कामयाब होने वाले हैं।" (सूरतुन नूर : 51)
इस्लाम में सुअर का मांस क़ुर्आन के स्पष्ट प्रमाण के द्वारा हराम (निषिद्ध) किया गया है, और वह अल्लाह तआला का यह कथन है :
"तुम पर मुर्दा, (बहा हुआ) खून और सुअर का मांस हराम है।" (सूरतुल बक़रा : 173)
किसी भी परिस्थिति में मुसलमान के लिए उसको खाना वैध नहीं है सिवाय इसके कि उसे ऐसी ज़रूरत पेश आ जाये जिस में उसका जीवन उसे खाने पर ही निर्भर करता हो, उदाहरण के तौर पर उसे ऐसी सख्त भूख लगी हो कि उसे अपनी जान जाने का भय हो, और उसके अतिरिक्त कोई दूसरा भोजन न हो, तो शरीयत के नियम : "आवश्यकतायें, अवैध चीज़ों को वैध बना देती हैं" के अंतर्गत उसके लिए यह वैध होगा।
शरीयत के ग्रंथों में सुअर के मांस के हराम किए जाने के किसी विशिष्ट कारण का उल्लेख नहीं किया गया है, इस के बारे में केवल अल्लाह तआला का यह कथन है कि : "यह निश्चित रूप से गंदा -अशुद्ध और अपवित्र- है।"
"रिज्स" (अर्थात् अपवित्र) का शब्द उस चीज़ पर बोला जाता है जो शरीयत में तथा शुद्ध मानव प्रकृति वाले लोगों की निगाह में घृणित, घिनावनी और अशुद्ध हो। और मात्र यही कारण उस के हराम होने के लिए पर्याप्त है। इसी तरह एक सामान्य कारण भी वर्णित हुआ है, और वह खाने और पीने इत्यादि में हराम चीज़ों की निषिद्धता के बारे में वर्णित कारण है, और वह पोर्क के निषेद्ध की हिक्मत की ओर संकेत करता है, वह सामान्य कारण अल्लाह तआला का यह फरमान है :
"और वह (अर्थात् पैग़म्बर) पाक (शुद्ध) चीज़ों को हलाल (वैध) बताते हैं और नापाक (अशुद्ध) चीज़ों को हराम (अवैध) बताते हैं।" (सूरतुल आराफ : 157)
इस आयत का सामान्य अर्थ सुअर के मांस के निषिद्ध होने के कारण को भी सम्मिलत है, और इस से ज्ञात होता है कि पोर्क इस्लामी शरीयत के दृष्टिकोण में अशुद्ध और अपवित्र चीज़ों में से गिना जाता है।
इस स्थान पर "अपवित्र चीज़ों" (खबाइस) से अभिप्राय वह सब कुछ़ है जो मानव के स्वास्थ्य, धन और नैतिकता के लिए हानिकारक हो, अत: हर व चीज़ जिस का मानव जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं में से किसी एक पर भी नकारात्मक परिणाम और दुष्टप्रभाव हो वह अपवित्र (खबाइस) के अतंर्गत आता है।
वैज्ञानिक और चिकित्सा अनुसंधानों ने भी यह सिद्ध किया है कि सुअर, अन्य सभी जानवरों के बीच मानव शरीर के लिए हानिकारक रोगाणुओं का एक भण्डार है, इन हानिकारक तत्वों और रोगों का विस्तार लंबा है, संछिप्त रूप से वे इस प्रकार हैं : परजीवी रोग, जीवाणु रोग, वायरल रोग, बैक्टीरियल बीमारियां, और अन्य।
ये और अन्य हानिकारक प्रभाव इस बात का प्रमाण हैं कि बुद्धिमान शास्त्रकार ने सुअर का मांस खाना किसी व्यापक हिक्मत के लिए ही हराम ठहराया है, और वह मानव के जान (स्वास्थ्य) की रक्षा है, जो कि इस्लामी शरीयत के द्वारा संरक्षित पाँच बुनियादी ज़रूरतों में से एक है।
और अल्लाह तआला ही सर्वश्रेष्ठ ज्ञान रखने वाला है।
वाह भाई यह तो खुब जानकारी दी, हैंडिंग से लगा था जानना चाहते हो, तो हम बताने आगये थे, खेर स्टाइल नया है परन्तु बढिया है, हैंडिंग से लगे जानना चाहते हो पोस्ट में स्वयं बतादो
ReplyDeleteहम यह जानना चाहते हैं आप शाहनवाज भाई से क्यूं नाराज हैं वह तीन दिन से आपके जवाब की प्रतीक्षा कर रहे हैं, अनवर जी, जीशान जी, शफत आलम, तालिब और खाकसार अपना समर्थन दे चुका
Shah Nawaz ने कहा…
सलीम भाई, अस्सलाम अल्य्कुम!
मैं भी "हमारी अन्जुमन" का सदस्य बन्ने का इच्छुक हूँ, कृपया करके मुझे सदस्यता प्रदान करें.
धन्यवाद!
शाहनवाज़ सिद्दीकी
http://shnawaz.blogspot.com
मैं देरी के लिए माज़रत चाहता हूँ ... मेरी तरफ से भी हाँ है....शाहनवाज़ भाई को अग्रिम बधाई
ReplyDeleteMUmbai se kisi ne negative chatka lagaya hai...
ReplyDeletedetails kuchh is tarah se mil jayegi
http://24counter.com/single_visitor/115.119.92.178/
बहुत बढ़िया आलेख। पुराने लोगों ने अच्छी चीज़ों को धर्म से जोड़ दिया था ताकि लोग फायदे में रहे जैसे गाय का पूजना क्योकि गाय की वजह से ही अर्थव्यस्था चलतीं थी........"
ReplyDeleteamitraghat.blogspot.com
"और (देखो) किसी मुसलमान मर्द और औरत को अल्लाह और उसके रसूल के फैसले के बाद अपनी किसी बात का कोई अधिकार बाक़ी नहीं रह जाता। (याद रखो!) अल्लाह तआला और उसके रसूल की जो भी नाफरमानी करेगा वह खुली गुमराही में पड़ेगा।" (सूरतुल अहज़ाब : 33)
ReplyDeleteमुसलमान के लिए वैध नहीं है कि वह शरीयत के आदेश को नकार दे, या उसको लागू करने में संकोच करे यदि उसे उसकी हिक्मत का बोध न हो, बल्कि किसी चीज़ के हलाल (वैध) और हराम (अवैध) ठहराये जाने के बारे में शरीयत के हुक्म को स्वीकार करना अनिवार्य है जब भी वह प्रमाण सिद्ध हो जाये ; चाहे उसे उसकी हिकमत की समझ हो या न हो। अल्लाह तआला का फरमान है :
ReplyDeleteमुसलमान के लिए वैध नहीं है कि वह शरीयत के आदेश को नकार दे, या उसको लागू करने में संकोच करे यदि उसे उसकी हिक्मत का बोध न हो, बल्कि किसी चीज़ के हलाल (वैध) और हराम (अवैध) ठहराये जाने के बारे में शरीयत के हुक्म को स्वीकार करना अनिवार्य है जब भी वह प्रमाण सिद्ध हो जाये ; चाहे उसे उसकी हिकमत की समझ हो या न हो। अल्लाह तआला का फरमान है :
ReplyDeleteकिसी भी परिस्थिति में मुसलमान के लिए उसको खाना वैध नहीं है सिवाय इसके कि उसे ऐसी ज़रूरत पेश आ जाये जिस में उसका जीवन उसे खाने पर ही निर्भर करता हो, उदाहरण के तौर पर उसे ऐसी सख्त भूख लगी हो कि उसे अपनी जान जाने का भय हो, और उसके अतिरिक्त कोई दूसरा भोजन न हो, तो शरीयत के नियम : "आवश्यकतायें, अवैध चीज़ों को वैध बना देती हैं" के अंतर्गत उसके लिए यह वैध होगा।
ReplyDeleteवैज्ञानिक और चिकित्सा अनुसंधानों ने भी यह सिद्ध किया है कि सुअर, अन्य सभी जानवरों के बीच मानव शरीर के लिए हानिकारक रोगाणुओं का एक भण्डार है, इन हानिकारक तत्वों और रोगों का विस्तार लंबा है, संछिप्त रूप से वे इस प्रकार हैं : परजीवी रोग, जीवाणु रोग, वायरल रोग, बैक्टीरियल बीमारियां, और अन्य।
ReplyDeleteमूल रूप से एक मुसलमान अल्लाह के आदेश का पालन करता है और उसकी मना की हुई बातों से बचाव करता है, चाहे उस चीज़ के अन्दर अल्लाह सुब्हानहु व तआला की हिकमत (तत्वदर्शिता) का उसे बोध हा या न हो।
ReplyDeleteऔर अल्लाह तआला ही सर्वश्रेष्ठ ज्ञान रखने वाला है।
ReplyDeleteplease read this post .come on come on.why mr saleem khan writes time to time.
ReplyDeleteवैज्ञानिक और चिकित्सा अनुसंधानों ने भी यह सिद्ध किया है कि सुअर, अन्य सभी जानवरों के बीच मानव शरीर के लिए हानिकारक रोगाणुओं का एक भण्डार है, इन हानिकारक तत्वों और रोगों का विस्तार लंबा है, संछिप्त रूप से वे इस प्रकार हैं : परजीवी रोग, जीवाणु रोग, वायरल रोग, बैक्टीरियल बीमारियां, और अन्य।
"और (देखो) किसी मुसलमान मर्द और औरत को अल्लाह और उसके रसूल के फैसले के बाद अपनी किसी बात का कोई अधिकार बाक़ी नहीं रह जाता। (याद रखो!) अल्लाह तआला और उसके रसूल की जो भी नाफरमानी करेगा वह खुली गुमराही में पड़ेगा।" (सूरतुल अहज़ाब : 33)
ReplyDeletefrom this post i came to know again why our allmighty Allah Is really great.nice post thanking to saleem bhai.
ReplyDeleteसलीम भाई मैं इस ब्लॉग पर रोज़ ही आता हूँ; आप लोग वाकई बहुत अच्छा काम कर रहें हैं. मैं भी इस अंजुमन में शामिल होना चाहता हूँ. लेकिन अभी मेरा कोई ब्लॉग नहीं है और मैं इस बारे में कम ही जनता हूँ मगर टिपण्णी के माध्यम से मैं हमेशा जुडा रहूँगा.
ReplyDeletereally very nice post.
ReplyDeleteवैज्ञानिक और चिकित्सा अनुसंधानों ने भी यह सिद्ध किया है कि सुअर, अन्य सभी जानवरों के बीच मानव शरीर के लिए हानिकारक रोगाणुओं का एक भण्डार है, इन हानिकारक तत्वों और रोगों का विस्तार लंबा है, संछिप्त रूप से वे इस प्रकार हैं : परजीवी रोग, जीवाणु रोग, वायरल रोग, बैक्टीरियल बीमारियां, और अन्य।
ReplyDeleteऔर गाय का मांस अति उत्तम माना गया है इसीलिए उसे काट ते हो। भगवान का शुक्र है की भैंश का मांस खाते हो और दिमाग भी भैंस की तरह और कुरान . aur kuran मैं भी सिर्फ मांस खाने का जिक्र मिलता है. शाकाहार नाम तो लेना भी पाप है कुरान मैं। क्योंकि अरब मैं हरियाली नाम की चीज तो है नहीं।
ReplyDeleteबहुत अच्छा लेख...आपने पुछते-पुछते बता दिया....
ReplyDeleteउमर भाई क्या बात है हमें भुल गये क्या? शाहनवाज़ भाई के बारे में हमे कुछ बतायेगें नही और हमसे कुछ नहीं पुछेगें....
@kashif bhai blogvani par naye blog men premras blog dekho,,,,,3 din se shahnawaz sahb ke naam pe mashwara ho raha he,,,jisko mauqa mil raha he apna mashwara rakh raha he
ReplyDeletedoosra unka blog yeh he dekh len:
शाहनवाज़ सिद्दीकी
http://shnawaz.blogspot.com
गीरी जी,
ReplyDeleteकभी तो दिमाग का इस्तेमाल कर लिया करो...हमेशा बकवास की करोगे....
आपसे किसने कहा की मुस्लिम शाकाहारी नही हो सकता???? दुनिया में बहुत से मुस्लिम शाकाहारी है और उसके बावजुद भी वो मुस्लमान हैं..।
अच्छा वैसे जिस गाय माता की आप बात कर रहे है....आपने कभी उस मां का कुछ ख्याल किया है?
आपने क्या आपके किसी धार्मिक भाई ने गाय माता को रोज़ खाना खिलाया है?
कभी उसके जिस्म पर लगी चोटों पर मरहम लगाया है?
कभी आवारा घुमती गाय को अपने घर में पाला है?
सब बेकार की बाते हैं.......
"Amitraghat ने अपनी टिप्पणी में कहा…
पुराने लोगों ने अच्छी चीज़ों को धर्म से जोड़ दिया था ताकि लोग फायदे में रहे जैसे गाय का पूजना क्योकि गाय की वजह से ही अर्थव्यस्था चलतीं थी........"
मैं इनकी बात से पुरी तरह सहमत हूं...गाय जब दुध देना बन्द कर देती है तो दुधिया खुद उसे कसाई को बेच जाता है....
जिस किसी को भी तुमने मां कहा है उसके हालात आज बहुत बुरे हैं....चाहे वो गाय हो..या गंगा नदी....
अपने सारे पाप धोने के लिये गंगा का इस्तेमाल किया लेकिन जब गंगा को आपकी ज़रुरत है तो लोगों के पास वक्त नही है....
ये कैसी दोगुली आस्था है????? सिर्फ़ अपने फ़ायदे के लिये....
nice post
ReplyDeleteशुक्रिया उमर भाई, सलीम भाई एवं अन्य साथियों! इस कायनात में शांति के लिए मिल कर कार्य करेंगे तो इंशाल्लाह हमारे प्यारे वतन भारत ही नहीं पुरे विश्व को फायदा होगा. और हमारा सबसे बड़ा फायदा और मुख्य उद्देश्य तो स्वयं के चरित्र में सुधार है.
ReplyDeleteवैज्ञानिक स्वरुप से देखा जाए तो सूअर के मांस का भक्षण करने से स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है.
ReplyDeleteशरीर में एक तत्व होता है यूरिक एसिड, यह(यूरिक एसिड) मानव में यह एक बेकार उत्पाद के रूप में रहता है, असल में शरीर का 98% यूरिक एसिड गुर्दे के द्वारा खून में से अलग हो कर, पेशाब के माध्यम से शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है.
यह ध्यान रखने वाली बात है कि सुअर के जैव रसायन अपने कुल यूरिक एसिड का केवल 2% ही excretes (खून से अपशिष्ट पदार्थ के निर्वहन की प्रक्रिया को कहते हैं) कर पाता है, शेष 98% शरीर के एक अभिन्न अंग के रूप में बना रहता है. इससे पता चलता है कि सूअर के मांस की खपत करने वालो में गठिया की उच्च दर पाई जाती है.
अब एक सिस्टम और ऐड करना है जिसका नाम होगा "सदस्य सक्रियता सूचक" इसमें हमारी अन्जुमन के "टॉप फाइव" अति सक्रिय सदस्यों का नाम होगा. जो जितना सक्रिय होगा उसका नाम उस लिस्ट में स्वतः आ जाएगा !
ReplyDeleteकाशिफ भाई ज़रा अपनी सक्रियता को बढाईये जिससे हमारी अन्जुमन का कारवां यूँ ही बढ़ता रहे...
ReplyDeleteऔर हाँ अब एक सिस्टम और ऐड करना है जिसका नाम होगा "सदस्य सक्रियता सूचक" इसमें हमारी अन्जुमन के "टॉप फाइव" अति सक्रिय सदस्यों का नाम होगा. जो जितना सक्रिय होगा उसका नाम उस लिस्ट में स्वतः आ जाएगा !!!