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हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान अल्लाह के लिए योग्य है।
सर्व प्रथम :
पवित्र इस्लामी शरीअत (धर्म शास्त्र) ने कुत्ता रखना मुसलमान पर हराम (निषिद्ध) कर दिया है, और इस का उल्लंघन करने वाले को इस प्रकार दंडित किया है कि प्रत्येक दिन उसकी नेकियों में से एक क़ीरात या दो क़ीरात की कमी कर दी जाती है, किन्तु इस दण्ड से वह कुत्ता अलग कर दिया है जिसे शिकार के लिए, या मवेशियों की रखवाली के लिए या खेती (फसल) की रखवाली के लिए रखा जाता है।
अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : "जिस ने मवेशियों, या शिकार, या खेती के कुत्ते के अलावा कोई कुत्ता रखा, उसके अज्र (पुण्य) से हर दिन एक क़ीरात कम कर दिया जाता है।" (इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है हदीस संख्या : 1575).
तथा अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ियल्लाहु अन्हुमा से वर्णित है कि उन्हों ने कहा कि अल्ला के पैग़ंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : "जिस आदमी ने पशुधन की रक्षा के लिए, या शिकार के अलावा कोई कुत्ता रखा उसके अमल से हर दिन दो क़ीरात कम कर दिया जायेगा।" (बुखारी हदीस संख्या : 5163, मुस्लिम : 1574).
क्या घर की रखवाली के लिए कुत्ता रखना जाइज़ है ?
इमाम नववी कहते हैं :
"ऊपर उल्लिखित तीन कामों के अलावा किसी और उद्देश्य जैसे कि घरों और रास्तों की रक्षा के लिए कुत्ता रखने के जाइज़ होने के बारे में मतभेद है, और राजेह (उचित) बात यह है कि हदीस से समझी जाने वाली इल्लत (कारण) अर्थात् ज़रूरत पर अमल करते हुये और उपर्युक्त तीनों चीज़ों पर क़ियास करते हुये वह जाइज़ है।"
"शरह सहीह मुस्लिम" (10/236)
शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह कहते हैं :
"इस आधार पर जो घर शहर के बीच में है उस की चौकीदारी के लिए कुत्ता रखना जाइज़ नहीं है, अत: इस तरह की स्थितियों में इस उद्देश्य के लिए कुत्ता रखना हराम है वैध नहीं है, और उसके रखने वाले के अज्र व सवाब से प्रति दिन एक या दो क़ीरात कम कर दिया जायेगा। इसलिए उन लोगों पर अनिवार्य है कि वे इस कुत्ते को भगा दें और उसे अपने पास न रखें। किन्तु अगर यह घर बाहर एकांत मैदान में है, उस के आस पास कोई नहीं है तो उस के लिए घर की चौकीदारी और उस में रहने वालों की रखवाली के लिए कुत्ता रखना जाइज़ है, तथा घर वालों की रखवाली और रक्षा करना पशुधन और खेती की रक्षा करने से अधिक महत्वपूर्ण है।" (मज्मूअ़ फतावा इब्ने उसैमीन 4/246)
शब्द "अल-क़ीरात" (अर्थात् एक क़ीरात) और शब्द "अल-क़ीरातैन" (अर्थात् दो क़ीरात) की हदीस के बीच मिलान के बारे में कई कथन हैं :
हाफिज़ ऐनी रहिमहुल्लाह कहते हैं :
1- ऐसा भी हो सकता है कि यह दोनों दो प्रकार के कुत्तों के बारे में हों, जिन में से एक दूसरे से अधिक हानिकारक हो।
2- एक कथन यह है कि : दो क़ीरात शहरों और गांवों के बारे में है, और एक क़ीरात दीहात के बारे में है।
3- एक कथन यह है कि : यह दोनों रिवायतें दो ज़मानों (समय) के बारे में हैं, पहले एक क़ीरात का उल्लेख किया गया, फिर सख्ती को बढ़ाते हुये दो क़ीरात कर दिया गया।
"उमदतुल क़ारी" (12/158)
दूसरा :
प्रश्न करने वाले का यह कहना कि "कुत्ता रखना नापाकियों में से समझा जाता है" तो यह सामान्य रूप् से सहीह नहीं है, क्योंकि नापाकी (अशुद्धता) स्वयं कुत्ते में नहीं है बल्कि उस के थूक (लार) में है जब वह किसी बर्तन से पानी पीता है, अत: जिस ने किसी कुत्ते को छू लिया, या उसे कुत्ते ने छू लिया तो उस के लिए अपने आप को पानी या मिट्टी से पवित्र करना अनिवार्य नहीं है, अगर कुत्ता किसी बर्तन से पानी पी ले तो उस पर पानी को फेंक (उंडेल) देना और उसे सात बार पानी से और आठवीं बार मिट्टी से धोना अनिवार्य है यदि वह उस बर्तन को इस्तेमाल करना चाहता है, अगर उस ने उस बर्तन को कुत्ते के लिए विशिष्ट कर दिया है तो उस के लिए उसे पवित्र करना आवश्यक नहीं है।
अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : "तुम में से किसी व्यक्ति के बर्तन की पाकी (शुद्धता) जब कि कुत्ता उस में मुँह डाल दे, यह है कि वह उसे सात बार धोये उन में से पहली बार मिट्टी के द्वारा हो।" (इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है हदीस संख्या : 279)
और मुस्लिम की एक रिवायत (हदीस संख्या : 280) के शब्द यह हैं कि : "जब कुत्ता बर्तन में मुँह डाल दे तो उसे सात बार धुलो, और आठवीं बार उसे मिट्टी से साफ करो।"
शैखुल इस्लाम इब्ने तैमिय्या रहिमहुल्लाह कहते हैं :
"कुत्ते के बारे में विद्वानों ने तीन कथनों पर मतभेद किया है :
पहला : वह पवित्र है यहाँ तक कि उस का थूक (लार) भी पाक है, यह इमाम मालिक का मत है।
दूसरा : वह अशुद्ध (नापाक) है यहाँ तक कि उसका बाल भी अपवित्र है, यह इमाम शाफेई का मत है, और एक रिवायत के अनुसार इमाम अहमद का भी यही कथन है।
तीसरा : उस का बाल पाक है, और उस का थूक (लार) अशुद्ध (नापाक) है, यह इमाम अबू हनीफा का मत है और एक रिवायत के अनुसार इमाम अहमद का भी यही कथन है।
और यही सब से शुद्ध कथन है, अत: जब कपड़े या शरीर पर उस के बाल की नमी (गीलापन) लग जाये तो वह इस से नापाक नहीं होगा।"
"मजमूउल फतावा" (21/530).
तथा एक दूसरे स्थान पर फरमाया :
"इसका कारण यह है कि वस्तुओं में असल पवित्रता का होना है, इसलिए किसी चीज़ को अशुद्ध (नापाक) और निषिद्ध ठहराना वैध नहीं है जब तक कि कोई सबूत न हो, जैसाकि अल्लाह तआला का फरमान है :
"और उस (अल्लाह तआला) ने तुम्हारे लिए उन सभी चीज़ों की तफसील बयान कर दी है जो तुम पर हराम किया गया है।" (सूरतुल अनआम : 119)
तथा अल्लाह तआला का फरमान है : "और अल्लाह ऐसा नहीं करता कि किसी क़ौम को हिदायत देने के बाद भटका दे जब तक उन बातों को साफ-साफ न बता दे जिन से वे बचें।" (सूरतुत्तौबा : 115)
और जब ऐसी बात है तो नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान है : "तुम में से किसी व्यक्ति के बर्तन की पाकी (शुद्धता) जब कि कुत्ता उस में मुँह डाल दे, यह है कि वह उसे सात बार धोये उन में से पहली बार मिट्टी के द्वारा हो।"
और एक दूसरी हदीस में है कि : "जब कुत्ता बर्तन में मुँह डाल दे तो उसे सात बार धुलो, और आठवीं बार उसे मिट्टी से साफ करो।"
सभी हदीसों में केवल बर्तन में मुँह डालने का उल्लेख किया गया है, उस के अन्य भागों का उल्लेख नहीं किया गया है, अत: उन्हें (अर्थात् अन्य भागों को) अपवित्र ठहराना मात्र क़ियास करना है ...
तथा यह बात भी है कि : नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने शिकार, तथा पशुधन और फसल की रखवाली के लिए कुत्ता रखने की अनुमति दी है, और उसे रखने वाले को उसके बालों की नमी का लगना आवश्यक है जैसाकि खच्चर, गधे इत्यादि पशुओं की नमी उसे लग जाया करती है, इसलिए उसके बालों को अशुद्ध ठहराने की बात जबकि स्थिति यह है, उस हरज (तंगी) में से है जो इस उम्मत (समुदाय) से समाप्त कर दी गयी है।"
"मजमूउल फतावा" (21/617, 619)
सावधानी का पक्ष यह है कि : जिस ने इस हालत में कुत्ते को छुवा कि उसके हाथ में नमी थी, या कुत्ते के शरीर पर नमी थी तो वह उसे सात बारे धोये जिन में एक बार मिट्टी से होना चाहिये।
शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह फरमाते हैं :
"जहाँ तक इस कुत्ते को छूने का प्रश्न है तो अगर उस ने बिना नमी के छुआ है तो उस का हाथ नापाक नहीं होगा, और अगर नमी के साथ छुआ है तो इसके कारण अधिकांश विद्वानों के मतानुसार उसका हाथ नापाक हो जायेगा, और उसके बाद हाथ को सात बार धोना अनिवार्य है, जिस में एक बार मिट्टी से होना चाहिये।"
"मजमूअ़ फतावा इब्ने उसैमीन" (11/246)
तीसरा :
तथा अनिवार्य यह है कि कुत्ते की अशुद्धता को सात बार धोया जाये जिन में एक बार मिट्टी से होना चाहिए, और मिट्टी उपलब्ध होने की अवस्था में उसी को इस्तेमाल करना अनिवार्य है, और उसके अलावा कोई अन्य चीज़ पर्याप्त नहीं होगी, परन्तु जब मिट्टी न मिले, तो उस के अतिरिक्त अन्य डिटर्जेन्ट जैसे साबुन के इस्तेमाल करने में कोइ बात नहीं है।
चौथा :
प्रश्न करने वाले ने कुत्तों को चूमने की बात का जो उल्लेख किया है तो यह बहुत सारी बीमारियों का कारण है, और वो बीमारियाँ जो मनुष्य को कुत्तों को चूमने या उसके मुँह डाले हुये बर्तन से उस को पाक करने से पहले ही पी कर के शरीअत की अवहेलना करने के कारण लगती हैं, बहुत अधिक हैं।
उन्हीं में से एक "पास्चरलोसिस" का रोग है, वह एक जीवाणु का रोग है, जिस के रोग का कारण स्वभाविक रूप से मनुष्यों और पशुओं के ऊपरी श्वसन प्रणाली में मौजूद होता है, और विशेष परिस्थितियों के तहत यह जीवाणु शरीर पर आक्रमण करता है और रोग को जन्म देता है।
और उन्हीं में से एक "पानी की थैलियाँ" है, वह परजीवी रोगों में सै है जो मुष्यों और पशुओं के आंतरिक अंगों (आँतों) को प्रभावि करता है, और सब से अधिक जिगर और फेफड़ों को प्रभावित करता है, उसके बाद उदर गुहा और शरीर के बाक़ी अंगों को प्रभावित करता है।
इस बीमारी का कारण एक टेप कृमि (tapeworm) है जिसे एकायनिकोस क्रानिलेसिस कहा जाता है, यह एक छोटा कीड़ा है जिसके व्यस्क की लंबाई (2-9) मिमी होती है, जो तीन वर्गों और सिर और गर्दन से मिलकर बनता है और सिर में चार चूसक होते हैं।
व्यस्क कीड़े उनके मेज़बानों जैसे कुत्तों, बिल्लियों, लोमड़ियों और भेड़ियों की आँतों में रहते हैं।
यह रोग कुत्तों को पालने के शौक़ीन मनुष्य को उस समय स्थानांतरित होता है जब वह उसे चुंबन करता है, या उसके बर्तन से पानी पीता है।
देखिये : किताब "अमराज़ुल हैवानातिल अलीफा अल्लती तुसीबुल इंसान" (पालतु पशु रोग जो मनुष्य को प्रभावित करते हैं) लेखक : डॉ. अली इसमाईल उबैद अस्सनाफी
सारांश:
यह कि शिकार या पशुधन और फसलों की रखवाली के अलावा के लिए कुत्तों को रखना जाइज़ नहीं है, तथा घरों की रखवाली के लिए कुत्तों को रखना इस शर्त पर जाइज़ है कि वे (घर) शहर से बाहर हों तथा यह शर्त भी कि (घर की रखवाली का) कोई अन्य साधन उपलब्ध न हो। और मुसलमान के लिए कुत्तों के साथ दौड़ने में ग़ैर-मुस्लिम की छवि अपनाना उचित नहीं है, तथा उस के मुँह को छूना और उसे चुंबन करना ढेर सारे रोगों का कारण है।
इस पवित्र और परिपूर्ण शरीअत पर हर प्रकार की प्रशंसा और स्तुति अल्लाह के लिए है, जो कि लोगों के दीन और दुनिया (आध्यात्मिक और सांसारिक मामलों ) का सुधार करने के लिए आई है, किन्तु अधिकतर लोग जानते ही नहीं ।
और अल्लाह तआला ही सर्वश्रेष्ठ जानता है।
उन्हीं में से एक "पास्चरलोसिस" का रोग है, वह एक जीवाणु का रोग है, जिस के रोग का कारण स्वभाविक रूप से मनुष्यों और पशुओं के ऊपरी श्वसन प्रणाली में मौजूद होता है, और विशेष परिस्थितियों के तहत यह जीवाणु शरीर पर आक्रमण करता है और रोग को जन्म देता है।
ReplyDeleteइस बीमारी का कारण एक टेप कृमि (tapeworm) है जिसे एकायनिकोस क्रानिलेसिस कहा जाता है, यह एक छोटा कीड़ा है जिसके व्यस्क की लंबाई (2-9) मिमी होती है, जो तीन वर्गों और सिर और गर्दन से मिलकर बनता है और सिर में चार चूसक होते हैं।
ReplyDeleteparantu ye mahfooz miyan yahan kya kar rahen hai apne kutte ke saath, bhai waah kya photu laye jo, jawaab nahin.
ReplyDeletewaise ye batao kya mahfooz bhai se permision liye ho ke naahi.
बड़ा अच्छा लगा यह सब जानकार ,जानकारी बढाने के लिए शुक्रिया !
ReplyDeleteजहाँ तक मेरी मान्यताएं हैं कुत्ता इंसान के शुरू के दिनों से बेहद वफादार रहा है , कई जगहों पर इसने अपनी जान देकर भी इंसान और इंसान की संपत्ति की रक्षा की है , यह जानवर जरूर है मगर दें अल्लाह की ही है मुझे लगता है उसके साथ रियायत होनी चाहिए !
शुभकामनायें !
कुत्ता रखना हराम् है . लेकिन् हिनदुओ मे कथन है सशरीर जानवरो मे कुत्ता ही स्वर्ग पहुचा था . खैर अपनी मान्यता है .
ReplyDeleteअगला प्रश्न यह है क्या इस्लाम मे फोटो भी हराम है ? हमारे यहा प्रसिध है आला हज़रत जब तक हज़ नही गये जब तक भारत और सउदी अरब ने उनेह बिना पासपोर्ट के अनुमति नही दी . और उन्होने जीवन मे कोई फोटो नही खिचवाया .
kamal hai bhai kutte par post likh maari?
ReplyDelete.
ReplyDelete.
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@ हमारी अन्जुमन,
मेरी सख्त आपत्ति दर्ज की जाये इस पोस्ट पर नामचीन ब्लॉगर महफूज अली (जो एक अच्छे मुसलमान भी हैं) की अपने वफादार कुत्ते को दुलारते हुऐ फोटोग्राफ लगाने पर... यह किसी भी तरीके से ठीक नहीं है... हटाइये इन फोटोग्राफ्स को कृपया !
@ भाई सलीम खान,
"कुत्ते के बारे में विद्वानों ने तीन कथनों पर मतभेद किया है :
पहला : वह पवित्र है यहाँ तक कि उस का थूक (लार) भी पाक है, यह इमाम मालिक का मत है।
दूसरा : वह अशुद्ध (नापाक) है यहाँ तक कि उसका बाल भी अपवित्र है, यह इमाम शाफेई का मत है, और एक रिवायत के अनुसार इमाम अहमद का भी यही कथन है।
तीसरा : उस का बाल पाक है, और उस का थूक (लार) अशुद्ध (नापाक) है, यह इमाम अबू हनीफा का मत है और एक रिवायत के अनुसार इमाम अहमद का भी यही कथन है।"
मेरे भाई, यह जानवर आदमी का साथी तब से है जब आदमी ने भाषा तक नहीं खोजी थी, पत्थर के औजारों से जंगल में शिकार करता फिरता था वो... तो क्यों न हजरत इमाम मलिक का मत माना जाये... क्यों रूढ़िवादिता को तरजीह दी जाये ?
रही बात बीमारी की, तो स्वस्थ जानवर को छूने या चूमने से कुछ नहीं होगा और बीमार यदि हो तो आदमी भी बीमारी फैला सकता है। जैसे Mumps के मरीज का जूठा खाने से आपको भी यह बीमारी हो सकती है, टाइफाइड, पीलिया, उल्टीदस्त, हैजा आदि से पीड़ित यदि किचन में खाना बनाते हों तो यह बीमारियाँ सभी को फैल सकती हैं।
अभी जल्दी में हूँ, फिर आउंगा इस पोस्ट पर..
आभार!
मेरी सख्त आपत्ति दर्ज की जाये इस पोस्ट पर नामचीन ब्लॉगर महफूज अली (जो एक अच्छे मुसलमान भी हैं) की अपने वफादार कुत्ते को दुलारते हुऐ फोटोग्राफ लगाने पर... यह किसी भी तरीके से ठीक नहीं है... हटाइये इन फोटोग्राफ्स को कृपया
ReplyDeleteशाहनवाज़ भाई को मेम्बर लिस्ट में शामिल देख बहुत ख़ुशी हो रही है...
ReplyDeleteजो घर शहर के बीच में है उस की चौकीदारी के लिए कुत्ता रखना जाइज़ नहीं है, अत: इस तरह की स्थितियों में इस उद्देश्य के लिए कुत्ता रखना हराम है वैध नहीं है, और उसके रखने वाले के अज्र व सवाब से प्रति दिन एक या दो क़ीरात कम कर दिया जायेगा। इसलिए उन लोगों पर अनिवार्य है कि वे इस कुत्ते को भगा दें और उसे अपने पास न रखें। किन्तु अगर यह घर बाहर एकांत मैदान में है, उस के आस पास कोई नहीं है तो उस के लिए घर की चौकीदारी और उस में रहने वालों की रखवाली के लिए कुत्ता रखना जाइज़ है, तथा घर वालों की रखवाली और रक्षा करना पशुधन और खेती की रक्षा करने से अधिक महत्वपूर्ण है
ReplyDeleteKyun kutta kutta kahta hai kutte se tu kyun darta hai
ReplyDeletekya hota kutte se kutte kii laga doo dheri
main saath men leke sota hoon @#&tati hai fir kyun teri
You are using photographs of Mahfooj
ReplyDeleteHe is person of very high decorum
BUT
You are nonsense & duffer
I give marks to Mahfooj +100
and marks to saleem -1000
मेरी सख्त आपत्ति दर्ज की जाये इस पोस्ट पर नामचीन ब्लॉगर महफूज अली (जो एक अच्छे मुसलमान भी हैं) की अपने वफादार कुत्ते को दुलारते हुऐ फोटोग्राफ लगाने पर... यह किसी भी तरीके से ठीक नहीं है... हटाइये इन फोटोग्राफ्स को कृपया
ReplyDeleteमेरी सख्त आपत्ति दर्ज की जाये इस पोस्ट पर नामचीन ब्लॉगर महफूज अली (जो एक अच्छे मुसलमान भी हैं) की अपने वफादार कुत्ते को दुलारते हुऐ फोटोग्राफ लगाने पर... यह किसी भी तरीके से ठीक नहीं है... हटाइये इन फोटोग्राफ्स को कृपया
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