Sunday, October 11, 2009

एक पत्रकार का इस्लाम कबूल करना

सारी दुनिया निकट भविष्य में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इस्लाम को अपना लेगी।

अब्दुल्लाह अडियार, तमिलनाडु के प्रसिद्ध कवि, उपन्यासकार और पत्रकार

इस्लाम कबूल करने के पहले अब्दुल्लाह अडियार डी।एम.के. के प्रसिद्ध समाचार-पत्र 'मुरासोलीÓ के 17 वर्षो तक संपादक रहे। डी.एम.के. नेता सी.एन. अन्नादुराई जो बाद में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री भी रहे, ने जनाब अडियार को संपादक पद पर नियुक्त किया था। जनाब अडियार ने 120 उपन्यास, 13 नाटक और इस्लाम पर 12 पुस्तकों की रचनाएं की।जनाब अब्दुल्लाह अडियार महरहूम तमिल भाषा के प्रसिद्ध कवि, प्रत्रकार, उपन्यासकार और पटकथा लेखक थे।

उनका जन्म 16 मई 1935 को त्रिरूप्पूर (तमिलनाडु) में हुआ। प्रारंभिक शिक्षा कोयम्बटूर में हुई। वे नास्तिक थे, लेकिन विभिन्न धर्मों की पुस्तकें पढ़ते रहते थे। किसी पत्रकार और साहित्यकार को विभिन्न धर्मों के बारे में भी जानकारी रखनी पड़ती है। जनाब अब्दुल्लाह अडियार अध्ययन के दौरान इस परिणाम पर पहुंचे कि इस्लाम ही सच्चा धर्म है और मनुष्य के कल्याण की शिक्षा देता है। आखिरकार 6 जून 1987 ई. को वे मद्रास स्थित मामूर मस्जिद गए और इस्लाम कबूल कर लिया। इस्लाम कबूल करने के पहले वे डी.एम.के. के प्रसिद्ध समाचार-पत्र 'मुरासोलीÓ के 17 वर्षो तक संपादक रहे। डी.एम.के. नेता सी.एन. अन्नादुराई जो बाद में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री भी रहे, ने जनाब अडियार को संपादक पद पर नियुक्त किया था। जनाब अडियार ने 120 उपन्यास, 13 नाटक और इस्लाम पर 12 पुस्तकों की रचनाएं की। इमरजेंसी के दौरान उन्हें गिरफ्तार किया गया और काफी प्रताडि़त किया गया। जेल में उन्होंने जनाब यूसुफ अली का कुरआन मजीद का अंग्रेजी अनुवाद पढ़ा और उससे काफी प्रभावित हुए। इस्लाम (इस्लाम जिससे मुझे प्यार है) पुस्तिका लिखी, जिसका बाद में हिन्दी, अंग्रेजी, मराठी, सिन्धी, मलयालम और उर्दू में अनुवाद हुआ। उनकी पत्नी थयम्मल जो ईसाई थीं, इस पुस्तक को पढ़कर मुसलमान हो गयीं। इसे पढ़कर उ.प्र. के एक जमीदार 1987 ई. में मुसलमान हो गए। जनाब अब्दुल्लाह अडियार को पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल जियाउल हक ने पाकिस्तान आमंत्रित किया और विशेष अतिथि के रूप में उनका स्वागत किया। वे प्रखर वक्ता भी थे और इस्लाम पर धाराप्रवाह बोलते थे। उनके ब्रिटेन में अनेक संभाषण हुए, जिनका विषय था हजरत मुहम्मद (सल्ल.) का पवित्र जीवन। इनके कैसेट उपलब्ध हैं। वे तमिलभाषियों के आमंत्रण पर श्रीलंका और सिंगापुर भी गए। 1932 में तमिलनाडु सरकार ने तमिल साहित्य के विशिष्ट पुरस्कार 'कलाईमम्मानीÓ से उन्हें पुरस्कृत किया। इमरजेंसी के बाद उन्होंने 'नीरोतमÓ (पत्रिका) का प्रकाशन किया, जो बहुत लोकप्रिय हुआ। उन्होने नीरोतम प्रकाशन से ही 'तंगागुरूदुनÓ(पत्रिका) भी प्रकाशित की। जनाब अडियार इस्लाम को एकमात्र मुक्ति मार्ग के रूप में प्रस्तुत करते थे। उन्होंने मद्रास में इस्लामिक दावा सेन्टर कायम किया। वे 6 करोड़ तमिल जनता को इस्लाम का संदेश पहुंचाने के लिए एक इस्लामी टी.वी. चैनल की स्थापना हेतु प्रयासरत रहे। 20 सितम्बर 1996 (जुमा के दिन) को कोडम्बकम में उनकी मृत्यु हो गयी।

8 comments:

  1. बिल्कुल सही लिखा है आपने
    बल्कि मैं सारे लोगों से कहूंगा कि इस्लाम के सम्बन्ध में जानना चाहते हों तो अब्दुल्लाह अडियार साहिब की पुस्तक (इस्लाम जिस से मुझे प्यार है) अवश्य पढ़े। जिसे उन्होंने इस्लाम स्वीकार करने से पहले लिखा था।

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  2. @ सफात साहब,अडियार साहब की इस्‍लाम स्‍वीकार करने से पहले लिखी किताब क्‍या नेट पर भी उपलब्‍ध है?

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  3. मैं नहीं समझता कि नेट पर हो सकती है पर मर्कज़ी मक्तबा इस्लामी (जामा मस्जिद )वालों ने छापा है।

    यह तो आप ही की कोशिश से कुछ पुस्तकें नेट पर आ सकी हैं, वरना किसको इसकी फिक्र है।

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  4. @ safat alam -यह बात ठीक नहीं,मुझसे पहले इस्‍लामिकवेब वाले भाई ने किताबी सिलसिला चला रखा था, मैंने तो इन्‍हीं के दिखाये रास्‍ते को आगे बढाया है, ऊपर उनके प्रोफाइल से उनके ब्लाग में देखें,

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  5. this matter is cleared that not only a simple person but also a great editor accepted islam...........

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  6. what a great decision of an editor(ABDULLAH ARIYAR) before islam..........
    actually islam religion is such a type religion that is clear and its all foretellings are true till now.........
    if anybody have a doubt some.........plz visit a blog: islaminhindi.blogspot.com

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  7. a good.... article indeed
    i want to know that how can i read the book of abdullah ariyar.............

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  8. what a great job of you due to write this article...........
    now i will say to other pesons that if you want to know that about the religion of islam and if you have some doubt in islam religion then please read the book (islam which i love)

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