गैर मुस्लिम यह समझते हैं कि मुसलमान नमाज़ के लिए बुलाने वास्ते दी जाने वाली पाँचों अज़ान में सम्राट अकबर का नाम लेते हैं !
"एक बार एक गैर मुस्लिम मंत्री भाषण दे रहे थे, वह भारत की उपलब्धियों और सफलताओं में भारतीय मुसलमानों के योगदान के बारे में रौशनी डाल रहे थे वह बता रहे थे. भारतीय सम्राटों में 'महान सम्राट अकबर' का स्थान सबसे ऊँचा है यही वजह है कि मुस्लिम अज़ान में सम्राट अकबर का नाम लेते हैं"
हालांकि वह गैर मुस्लिम मंत्री जी बिलकुल भी सही नहीं कर रहे थे. मैं, गैर मुस्लिम में फैली इस ग़लतफ़हमी को दूर कर देना चाहता हूँ कि मुसलमान नमाज़ के लिए बुलाने वास्ते दी जाने वाली पाँचों अज़ान में सम्राट अकबर का नाम नहीं लेते हैं. अज़ान में लिया जाने वाला शब्द 'अकबर' का भारत के सम्राट अकबर से कोई वास्ता नहीं रखता है.
"एक बार एक गैर मुस्लिम मंत्री भाषण दे रहे थे, वह भारत की उपलब्धियों और सफलताओं में भारतीय मुसलमानों के योगदान के बारे में रौशनी डाल रहे थे वह बता रहे थे. भारतीय सम्राटों में 'महान सम्राट अकबर' का स्थान सबसे ऊँचा है यही वजह है कि मुस्लिम अज़ान में सम्राट अकबर का नाम लेते हैं"
हालांकि वह गैर मुस्लिम मंत्री जी बिलकुल भी सही नहीं कर रहे थे. मैं, गैर मुस्लिम में फैली इस ग़लतफ़हमी को दूर कर देना चाहता हूँ कि मुसलमान नमाज़ के लिए बुलाने वास्ते दी जाने वाली पाँचों अज़ान में सम्राट अकबर का नाम नहीं लेते हैं. अज़ान में लिया जाने वाला शब्द 'अकबर' का भारत के सम्राट अकबर से कोई वास्ता नहीं रखता है.
अज़ान में लिया जाने वाला शब्द 'अकबर' तो भारत के सम्राट अकबर के जन्म से शताब्दियों पहले से प्रयोग किया जा रहा है.

अरबी के शब्द 'अकबर' का मतलब होता है 'महान'.
जब हम अज़ान में कहते है ‘अल्लाहु अकबर’ तब हम यह संबोधित करते है कि 'अल्लाह महान है'यानि ‘Allah is Great’ or ‘Allah is the Greatest’ अर्थात 'ईश्वर महान है'.
और हम मुस्लिम उस एक और केवल एक अल्लाह की पूजा करते हैं, इबादत करते है जो कि बहुत महान है.
लेखक: सलीम खान
सलीम साहब
ReplyDeleteआपने अजान से जुड़ी बहुत बड़ी गलतफहमी दूर करने की कोशिश की है। दुनियाभर में इस्लाम से जुड़ी कई तरह की गलतफहमियां है और अजान को लेकर भी।
सन्त कबीर भी अजान को समझने के मामले में गच्चा खा गए और इसको बिना समझे इसके बारे में एक गलत दोहा रच डाला जिसमें उन्होंने कहा-क्यों मुल्ला बांग दे क्या बहरा हुआ खुदाय- कबीर दास को शायद यह पता नहीं था कि अजान अल्लाह के लिए नहीं बल्कि उनके बन्दों के लिए है जो उन्हें नमाज के लिए बुलाती है। क्या बन्दों को नमाज के लिए बुलाने के लिए ऊंची आवाज में ऐलान गलत है?
अजान को लेकर एक दिलचस्प गलतफहमी का जिक्र भी मैं यहां करना चाहूंगा और बताना चाहूंगा कि किस तरह मुस्लिम से जुड़े मामलों को शक की निगाह से देखा जाता है। दरअसल यह बात मुझे किसी ने बताई थी । कहीं का जिक्र था कि कुछ मुस्लिमों से पुलिस ने पूछताछ की और कहा कि यहां रात को अस्ला आता है। इसका आधार उनका यह था कि सुबह की अजान में एक लाइन एक्सट्रा बोली जाती है-अस्सल्लातो खैरुम मिनन नोम, जिसके मायने उन्होंने ले लिए थे कि यह ऐलान किया जाता है कि- अस्ला खैरियत से पहुंच गया है। पुलिस का कहना था कि रात को अस्ला आता है और सुबह मस्जिद से इसका ऐलान किया जाता है।
जबकि इसके मायने हैं- नमाज अदा करना नींद से बेहतर है
इस उदाहरण से पता लगता है कि इस्लाम को लेकर गलतफहमियां और शक करने का स्तर कितना गिर सकता है।
अजान तो एकेश्वरवाद का ऐसा मजबूत ऐलान है जो दुनियाभर में हर-हर सैकण्ड होता रहता है।
नमाज में खैर है ना कि नींद में
बहुत ही ज्ञानवर्धक और लाभप्रद लेख, उनके लिए जो अज्ञानी हैं और जिन्होंने अज्ञानता का आवरण ओड़ रखा है. यह लेख बहुत बड़ा सन्देश देती है.
ReplyDeleteमैं इस सम्बन्ध में मुसलमानों को दोषी ठहराता हूं क्योंकि यदि उन्होंने इस्लाम के सिद्धांतों का सही तरीके से प्रचार किया होता तो हमारे हिन्दू भाई अपनी अमानत को वापस ले लिए होते। ज़ाहिर है कि आपकी मुठ्ठी में सोना हो जिसे आपने बन्द करके रखा है तो हर कोई अपने अनुमान से जो कुछ चाहेगा बोल देगा।
ReplyDeleteइस लिए आज भी हस देखते हैं कि अज़ान में पूरा का पूजा अल्लाह का परिचय आया हुआ है। ज़रूरत है कि हम इसे विषय बना कर अपने हिन्दू भाइयों के सामने सकारत्मक रूप में इस्लाम का प्रचार करें ताकि वह अपनी अमानत को समझ सकें, जिस पर उनका नाम भी लिखा हुआ है पर उसी अपनाने के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं।