Wednesday, October 21, 2009

अमन और सुकून का केन्द्र केवल इस्लाम


मैं अध्ययन के बाद मुसलमान हुआ हूं। मेरे दिल में इस्लाम की बहुत कद्र है। मुसलमानों को इस्लाम विरासत में मिला है। इसलिए वे उसकी कद्र नहीं पहचानते। सच्चाई यह है कि मेरी जि़न्दगी में जितनी मुसीबतें आयीं, उनमें , अमन व सुकून की जगह केवल इस्लाम में ही मिली। ।
-मुहम्मद मार्माडियूक पिकथॉल,इंग्लैण्ड
मार्माडियूक पिकथॉल 17 अप्रैल 1875 ई० को इंग्लैण्ड के एक गांव में पैदा हुए। उनके पिता चाल्र्स पिकथॉल स्थानीय गिरजाघर में पादरी थे। चाल्र्स के पहली पत्नी से दस बच्चे थे। पत्नी की मृत्यु के बाद चाल्र्स ने दूसरी शादी की, जिससे मार्माडियूक पिकथॉल पैदा हुए। मार्माडियूक ने हिब्रो के प्रसिद्ध पब्लिक स्कूल में शिक्षा प्राप्त की। उनके सहपाठियों में, जिन लोगों ने आगे चलकर ब्रिटेन के राजनीतिक एवं सामाजिक जीवन को बड़े पैमाने पर प्रभावित किया, उनमें सर विंस्टन चर्चिल भी शामिल थे।

8 comments:

  1. यह लाइनें बहुत मुझे बहुत शर्मिंदा कर देती हैं, ''मुसलमानों को इस्लाम विरासत में मिला है'' अफसोस के मै मुसलमान घर में पैदा हुया जहां मुझे इस्‍लाम विरासत में मिला,मै भी इस्लाम को जानकर इधर आता तो मेरे आने से पहले के यानी जवानी तक के पाप माफ होजाते, अब अल्‍लाह किसी काम को बख्‍शने का बहाना बनाले तो नय्या पार हो,

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  2. बहुत ही अच्छा लेख, आपके लेख के सन्दर्भ इस ज़माने में वाकई बहुत ज़रूरी हैं.

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  3. क्या ही अच्छा पुस्ट है। मार्माडियूक पिकथॉल का यह कहना दिल हिला कर रख दिया (मुसलमानों को इस्लाम विरासत में मिला है। इसलिए वे उसकी कद्र नहीं पहचानते।)

    ऐसी ही भावना उन सारे लोगों की होती है जो इस्लाम स्वीकार कर लेते हैं। क्योकि अब वह अपने सत्य पुज्य को पा चुके होते हैं। प्राकृतिक जीवन में प्रवेश कर चुके होते हैं।
    ऐसी महत्वपूर्ण पोस्ट के लिए दिल की गहराई से दुआ निकलती है।

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  4. ऐसी पोस्ट है कि पढें तो पढंते रह जाएं दिल छोड़ने के लिए न माने

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  5. इस सच्चाई से इंकार नहीं किया जा सकता की आज का मुसलमान इसलाम को सही तरीके से पहचान ही नहीं पाया
    उसने समझ लिया है की मुस्लिम घराने में पैदा होना ही मुसलमान होने के लिए काफी है .उसे तो अंदाजा भी नहीं है की उसके पास कितनी बड़ी दौलत इसलाम के रूप में है
    अल्लाह से दुआ है की वो नाम के मुसलमानों को हिदायत दे और उन्हें उनकी जिम्मेदारी का अहसास कराएँ

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  6. मुहम्मद मार्माडियूक साहब की यह बात सही है की
    मुसलमानों को इस्लाम विरासत में मिला है। इसलिए वे उसकी कद्र नहीं पहचानते।
    इस पर मुझे एक नव मुस्लिम भाई की बात याद आ रही है जो मेने अफाकारे मिल्ली मैगजीन में उनके अनुभव के रूप में पढ़ी थी
    उन नव मुस्लिम भाई का कहना था की जब कभी वह मुस्लिम्स से दीन की बात वो कहते तो मुस्लिम उनको यही कहते की तुम हमें क्या दीन बताते हो जुम्मे जुम्मे आठ दिन तो तुम्हें मुस्लिम बने हुवें हें हम तो पीढियों से मुस्लिम हें सब जानते हें

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  7. आपने बहुत ही अच्छे विषय का चयन किया है
    ऐसे ही विषयों को तरजीह दी जाये

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