Wednesday, September 30, 2009

मानवता का धर्म है इस्लाम: मौलाना अबुल कलाम आज़ाद

मुझे पता चला कि जिस धर्म को संसार इस्लाम के नाम से जानता है वास्तव में वही धार्मिक मतभेद के प्रश्न का वास्तविक समाधान है। इस्लाम दुनिया में कोई नया धर्म स्थापित नहीं करना चाहता बल्कि उसका आंदोनक स्वंय उसके बयान के अनुसार मात्र यह है कि संसार में प्रत्येक धर्म के मानने वाले अपनी वास्तविक और शुद्ध सत्य पर आ जाएं और बाहर से मिलाई हुई झूटी बातों को छोड़ दें- यदि वह ऐसा करें तो जो आस्था उनके पास होगी उसी का नाम क़ुरआन की बोली में इस्लाम है।

क़ुरआन कहता है कि खुदा की सच्चाई एक है, आरम्भ से एक है, और सारे इनसानों और समुदायों के लिए समान रूप में आती रही है, दुनिया का कोई देश और कोई कोना ऐसा नहीं जहाँ अल्लाह के सच्चे बन्दे न पैदा हुए हों और उन्होंने सच्चाई की शिक्षा न दी हो, परन्तु सदैव ऐसा हुआ कि लोग कुछ दिनों तक उस पर क़ाएम रहे फिर अपनी कल्पना और अंधविश्वास से भिन्न भिन्न आधुनिक और झूटी बातें निकाल कर इस तरह फैला दीं कि वह ईश्वर की सच्चाई इनसानी मिलावट के अनदर संदिग्ध हो गई।

अब आवश्यकता थी कि सब को जागरुक करने के लिए एक विश्य-व्यापी आवाज़ लगाई जाए, यह इस्लाम है। वह इसाई से कहता है कि सच्चा इसाई बने, यहूदी से कहता है कि सच्चा यहूदी बने, पारसी से कहता है कि सच्चा पारसी बने, उसी प्रकार हिन्दुओं से कहता है कि अपनी वास्तविक सत्यता को पुनः स्थापित कर लें, यह सब यदि ऐसा कर लें तो वह वही एक ही सत्यता होगी जो हमेशा से है और हमेशा सब को दी गई है, कोई समुदाय नहीं कह सकता कि वह केवल उसी की सम्पत्ती है।

उसी का नाम इस्लाम है और वही प्राकृतिक धर्म है अर्थात ईश्वर का बनाया हुआ नेचर, उसी पर सारा जगत चल रहा है, सूर्य का भी वही धर्म है, ज़मीन भी उसी को माने हुए हर समय घूम रही है और कौन कह सकता है कि ऐसी ही कितनी ज़मीनें और दुनियाएं हैं और एक ईश्वर के ठहराए हुए एक ही नियम पर अमल कर रही हैं।

अतः क़ुरआन लोगों को उनके धर्म से छोड़ाना नहीं चाहता बल्कि उनके वास्तविक धर्म पर उनको पुनः स्थापित कर देना चाहता है। दुनिया में विभिन्न धर्म हैं, हर धर्म का अनुयाई समझता है कि सत्य केवल उसी के भाग में आई है और बाक़ी सब असत्य पर हैं मानो समुदाय और नस्ल के जैसे सच्चाई की भी मीरास है अब अगर फैसला हो तो क्यों कर हो? मतभेद दूर हो तो किस प्रकार हो? उसकी केवल तीन ही सूरतें हो सकती हैं एक यह कि सब सत्य पर हैं, यह हो नहीं सकता क्योंकि सत्य एक से अधिक नहीं और सत्य में मतभेद नहीं हो सकता, दूसरी यह कि सब असत्य पर हैं इस से भी फैसला नहीं होता क्योंकि फिर सत्य कहाँ है? और सब का दावा क्यों है ? अब केवल एक तीसरी सूरत रह गई अर्थात सब सत्य पर हैं और सब असत्य पर अर्थात असल एक है और सब के पास है और मिलावट बातिल है, वही मतभेद का कारण है और सब उसमें ग्रस्त हो गए हैं यदि मिलावट छोड़ दें और असलियत को परख कर शुद्ध कर लें तो वह एक ही होगी और सब की झोली में निकलेगी। क़ुरआन यही कहता है और उसकी बोली में उसी मिली जुली और विश्वव्यापी सत्यता का नाम “इस्लाम” है।

7 comments:

  1. मौलाना आजाद के ज़रिये आपने जो इसलाम की सही तस्वीर पेश की है वो काबिले-तारीफ है.
    आजकल कुछ लोग अपने मन मर्ज़ी से इसलाम की व्याख्या करने में लगे हुए हैं.

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  2. स्वच्छ सन्देश को इतना बेहतर लेख चुनने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया
    यह सच है की इसलाम को सही मायने में समझा ही नहीं गया
    गैर मुस्लिम भाई क्या बल्कि खुद मुस्लिम भी इसका अहसास नहीं कर पाए,की उनके पास कितनी बड़ी दौलत है
    इसलाम को लेकर पूरी दुनिया में एक अजीब माहोल बना दिया गया मानो इंसानियत का यह सबसे बड़ा दुश्मन हो. जो इंसानियत को बढावा देने के लिए आया उसी के खिलाफ एसा माहोल बना दिया गया
    मौलाना आजाद ने इसलाम को बेहतर तरीके से पेश करने की कोशिश की है और उनका यह आलेख आम आदमी के लिए फायदेमंद है

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  3. इतना अच्छा लेख चयन करने पर हार्दिक बधाई। जी हाँ ! इस्लाम बिल्कुल ऐसा ही है। यदि इसको गले लगा लिया जाए तो सम्पूर्ण विश्व एक हो जाए। सारा मतभेद समाप्त हो जाए, मस्जिद मंदिर का झगड़ा ख़त्म हो जाए,संसार में शान्ति फैल जाए। बस ज़रूरत है कि हमारे वह भाई जो इस संदेश को नहीं जानते इसे जानने का कष्ट करें।

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  4. बहुत अच्छी जानकारी है...जज़ाकअल्लाह

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  5. mandarja bala sabhi comments se sehmat

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  6. shukriya moulana sahab .. kitni saral aur khubsurati se aapne islam ko samjhaya वह इसाई से कहता है कि सच्चा इसाई बने, यहूदी से कहता है कि सच्चा यहूदी बने, पारसी से कहता है कि सच्चा पारसी बने, उसी प्रकार हिन्दुओं से कहता है कि अपनी वास्तविक सत्यता को पुनः स्थापित कर लें.
    क़ुरआन लोगों को उनके धर्म से छोड़ाना नहीं चाहता बल्कि उनके वास्तविक धर्म पर उनको पुनः स्थापित कर देना चाहता है।
    pehlibar meine ye sab jana hai islam kya hai ,kitna saral hai.
    aur kitna udar ..
    aapka tahe dil se swagat karta hun,
    shubhkamnayen... mastkalandr

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