Thursday, September 10, 2009

जर्मनी के राजदूत जो इसलाम कबूल कर बन गए मुसलमान

जर्मन के डॉ विलफराइड हॉफमेन ने १९८० में जब इस्लाम कबूल किया तो जर्मनी में हलचल मच गई। उनके इस फैसले का बड़े पैमाने पर विरोध हुआ। उन्होने अपना नाम मुराद हॉफमेन रखा। जर्मनी के दूत और नाटो के सूचना निदेशक रह चुके डॉ मुराद हॉफमेन ने इस्लाम पर कई किताबें लिखी हैं।
१९८० में इस्लाम ग्रहण करने वाले डॉ हॉफमेन १९३१ में जर्मनी कैथोलिक ईसाई परिवार में पैदा हुए। उन्होने न्यूयार्क के यूनियन कॉलेज से ग्रेजुएशन किया और म्यूनिख यूनिवर्सिटी से कानूनी शिक्षा हासिल की। १९५७ में धर्मशास्र में डॉक्टरेट की। १९६० में हार्वर्ड लॉ स्कूल से उन्होने एलएलएम की डिग्री हासिल की। १९८३ से १९८७ तक ब्रूसेल्स में उन्होने नाटो के सूचना निदेशक के रूप में काम किया। वे १९८७ में अल्जीरिया में जर्मनी के दूत बने और फिर १९९० में मोरक्को में चार साल तक जर्मनी एम्बेसेडर के रूप में काम किया।
पूरा लेख पढ़ने और मुराद होफमन का वीडियो देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

5 comments:

  1. इस्लाम दीने-फ़ितरत है, इसे कोई भी कॉमन सेंस इस्तेमाल कर समझ सकता है. यह तार्किक और रूहानी दोनों आधार पर आसानी से समझा जा सकता है और यह तार्किक और रूहानी दोनों आधार पर खरा उतरता है. बस ज़रुरत है तो एक सार्थक पहल की जैसा कि जर्मनी के राजदूत डॉ विलफराइड हॉफमेन ने किया.

    अच्छा लेख!

    Samiuddin 'Neelu'
    Press Reporter
    Amar Ujala, (Lakhimpur Kheri)

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  2. इस्लामिक वेबदुनिया द्वारा बेहतरीन लेख और समीउद्दीन 'नीलू' जी की सधी हुई टिपण्णी... बधाई...

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  3. इस्लाम कृपा एंव दया का धर्म है और इसके बताये गए तरीक़े इस्लाम के पैग़म्बर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अल्लाह की ओर से इस भटकती हुई मानवता के लिए करुणा का भण्डार हैं, अतः इस धरती पर बसने वाला हर मनुष्य इस्लाम धर्म में दया का पात्र है, चाहे वह नास्तिक ही क्यों न हो.

    ख़ूबसूरत और प्रेरणामय लेख के शुक्रिया.

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  4. {इस्लाम कृपा एंव दया का धर्म है}

    इस्लाम की दया से तो सारी दुनिया वाकिफ है]आप के कईं भाईबन्ध इस कृ्पा को करने के वास्ते हाथ में ए.के.47 ओर हथगोले,बम पकडकर यहां हिन्दोस्तान में आते हि रहते है]
    जय इस्लाम---जय पाकीस्तान---जय तालिबान--जय लादेन---जय अल-जवाहिरी

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  5. @ बेनामी - वह हमारे भाई बन्‍धु नहीं हैं, हमारे भाई बन्‍धुत्‍व तुमसे है, वह बहकाये हुये हैं, इस्लाम की शिक्षा तो एक बेगुनाह तक को मारने नहीं देती, अगर ऐसा कोई इस्‍लामिक शिक्षा तुम जानते हो है तो लाओ सामने,
    दूसरी बात तुम हमें उन्‍हें कुछ कहने का मौका ही नहीं देते हो, पहले ही हमें उनकी तरफ गिन लेते हो, कभी हमें साथ मिला के उनसे बात करो, कारगिल जंग में सबने माना है कि मुसलमान किधर है

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