असलामुअलैकुम, जनाब मेरे जेहन में कुछ सवाल उठे हैं ? आप से दरख्वास्त है कि मेरे सवालों पर गौर करें और जवाब में फतवा जारी करें, अल्लाह हम सब पर रहम करे और सीधा रास्ता दिखाए।
सवाल 1. क्या चाँद , चाँद के साथ तारा, चाँद के साथ सूरज या सूरज के निशान का इस्लाम से कोई ताल्लुक है ?
मज़ाहिरउलूम के मुफतियों का जवाब- नही
सवाल 2. क्या चाँद , चाँद के साथ तारा,अण्डे के उपर चाँद , चाँद के साथ सूरज या सूरज के निशान का नमाज से कोई ताल्लुक है?
मज़ाहिरउलूम के मुफतियों का जवाब- नही
सवाल 3. क्या चाँद, चाँद के साथ तारा,अण्डे के उपर चाँद, चाँद के साथ सूरज या सूरज के निशान का मस्जिदों से कोई ताल्लुक है? और क्या इस निशान से दुआऐं में कुछ असर बढता है या घटता है?
मज़ाहिरउलूम के मूफतियों का जवाब- नही
सवाल 4. क्या हज़रत मुहम्मद सल्ल. का चाँद , चाँद के साथ तारा, अण्डे के उपर चाँद , चाँद के साथ सूरज या सूरज के निशान के इस्तेमाल से कोई ताल्लुक है? और क्या अल्लाह के नबी ने इन निशनों को कभी खास अहमियत दी?
मज़ाहिरउलूम के मुफतियों का जवाब- ऐसा भी हमारी नज़र से कहीं नही गुज़रा।
सवाल 5. क्या किसी ख़लिफा या ईमाम ने चाँद , चाँद के साथ तारा,अण्डे के उपर चाँद , चाँद के साथ सूरज या सूरज के निशान का इस्तेमाल किया ? और क्या कभी इन निशानों को खास तरजीह दी ?
मज़ाहिरउलूम के मुफतियों का जवाब- ऐसा भी हमारी नज़र से कहीं नही गुज़रा।
सवाल 6. क्या हजुरेपाक सल्ल. ,या किसी खलीफा के ज़माने में उनके झण्डे पर चाँद , चाँद के साथ तारा,अण्डे के उपर चाँद , चाँद के साथ सूरज या सूरज का निषान हुआ करता था ? क्या नबी की मुहर पर चाँद तारा बना था?
मज़ाहिरउलूम के मुफतियों का जवाब- ऐसा भी हमारी नज़र से कहीं नही गुज़रा।
सवाल 7. क्या चांद, चांद के साथ तारा,अण्डे के उपर चाँद , चाँद के साथ सूरज या सूरज के निशान को खास अहमियत देने के लिए अल्लाह ने कुरआन में कोई हुक्म जारी किया है? अगर किया है तो किस सूराः की किस आयत में जिक्र है। और कोई हुक्म नही है तो हमारा इन्हे खास मानना किस तरह का गुनाह है और क्या बिना सनद के किसी को खास मानने से अल्लाह नाराज नही होगा ? क्या आगे चलकर हमारी मस्जिदें शिर्कगाहें नही बन जाऐंगी?
मज़ाहिरउलूम के मुफतियों का जवाब- ऐसा कुछ नही है।
सवाल 8. क्या अल्लाह के रसूल ने चाँद , चाँद के साथ तारा,अण्डे के उपर चाँद , चाँद के साथ सूरज या सूरज के निशान को खास अहमियत देने के लिए कोई हुक्म जारी किया है? अगर किया है तो वो क्या है?
मज़ाहिरउलूम के मुफतियों का जवाब- ऐसा कोई हुक्म हमारे इल्म में नही है।
सवाल 9. आज हमारी मस्जिदों और घरों में मौजूद चटाइयों और मुसल्लों के उपर लाल नीले व अन्य रंगों में गुम्बद के उपर चाँद तारे (उज्जा, षुक्र ग्रह) के निशान बने हैं एक नमाजी के सामने 5 निशान बनें रहते है। जब नमाजी नमाज पढतें हैं तो निगाह सज्दे करने की जगह पर रखते हैं। और नमाजी नमाज के पूरे वक्त सामने बने चाँद तारा को एकटक देखता रहता है और जब रूकु में होता है तब भी निगाह चाँद तारे पर होती है और जब सज्दा करते हैं तो पेशानी ठीक चाँद तारे के निशान पर रखते हैं।क्या नमाज पढते वक्त चाँद तारे के निशान को देखते रहने से अल्लाह कुछ ज्यादा राजी होता है या नाराज?
मज़ाहिरउलूम के मुफतियों का जवाब- चटाई और मुसल्लों पर इस किस्म की कोई चीज ना बनी हो ताकि मजकूरा अलामात में से किसी किस्म का इहाम(भ्रम) ही पैदा ना हो,चटाई या मुसल्ला बिल्कुल सादा बगैर किसी मजहबी या गैर मजहबी नक्शो निगार के होने को शरअन पसन्द किया गया है। ताकि नमाज़ी को जेहनी उलझन ही पैदा ना हो। नमाज पढते वक्त चाँद सितारे को देखते रहने से अल्लाह कुछ ज्यादा राजी होता है ऐसा तो कोई दीन से जाहिल ही समझता होगा।
सवाल 10. क्या चाँद तारे के खास निशान पर पेशानी रखने पर सज्दा कबूल हो जाता है? और नमाज में कोई खलल नही पडता है?
(No Answer)
सवाल 11. और अगर खलल नही पडता तो क्या सज्दे की जगह पर दूसरे आसमानी चीजों जैसे सूरज, बुध ग्रह, शनि ग्रह, मंगल ग्रह, धु्रव तारा, सप्त रिशी , या 27 नक्षत्रों या बारह राशियों या स्वातिक या ओम आदि के निशान वाले चटाई पर सज्दा किया जा सकता है या नही? और नही किया जा सकता तो क्या अल्लाह को चाँद तारे के छोडकर बाकि कोई भी निशान पसन्द नही है?
मज़ाहिरउलूम के मुफतियों का जवाब- जब चांद सितारे के निशानात पर पेशानी रखने से उनकी इबादत या ताज़ीम (इज्ज़त देना) मकसूद ना हो , जैसा कि मसाजिद की जानमाजों पर सज्दा करते वक्त होता है । तो इस तरह सज्दा हो जाता है और नमाज में कोई खलल नही पडता और अगर चाँद सितारे या दूसरे मजाहिब की चीजों के खास निशानात पर पेशानी रखने से मकसूद बिज्जात (उन्हीं की इबादत) वो ही निशानात हों और उन्ही को माबूद समझकर सज्दा करें जैसा कि इन जिक्र की हुयी चीजों के पुजारियों का तरीका है,तो ऐसा करना बिला शुब्हा शिर्क होगा जो कतन हराम है और ममनू (मना है) है। मगर ध्यान रहे, कि इससे ये गलतफहमी न होनी चाहिए कि मज़कूरा (सवाल में जिक्र किए गए) आसमानी या गैर आसमानी चीजों के निशानात को बगैर सज्दे की नियत के सज्दा किया जा सकता है। या चाँद तारे वगैराह के निशान वाली चटाई होनी चाहिए।
सवाल 12 हमारी मस्जिदों पर बने इन निशानों का क्या करें और अगर ये सब गुनाह और शिर्क है तो ऐसी चटाईयों का क्या करें क्या उनके साथ वही सलूक करें जो अल्लाह के रसूल ने काबे में रखे लगभग 360 बुतों के निशानों के साथ किया था ?
मज़ाहिरउलूम के मुफतियों का जवाब- ऐसी चटाईयों (जिन पर चाँद सितारे बने हुए हों) का जायज इस्तेमाल करें उनकी बिज्जात ताज़ीम ना की जाए इनके उपर पैर वगैराह रखने से ऐहतराज व इज्तीनाब न किया जाए । अलबत्ता इन चाँद सितारों वाली चटाइयों के साथ वो सलूक तो ना करें जो अल्लाह तआला के रसूल सल्ल. ने काबा में रखे 360 बुतों के साथ किया था .
दारुल उलूम देवबंद देवबन्द के उलेमाओं का जवाब

अल जवाब बिल्लाही तौफीक।
आपने एक से लेकर चौदह नम्बरों तक जिस कदर सवाल किए हैं कुरआन हदीस से इसका कोई तआल्लुक नही है, ना ही इस्लामी हुक्मरानों के यहाँ ऐसे निशानात को हमारे इल्म में अहमियत दी गयी । चाँद सितारों के निशानात जो 7000 साल पहले उज्जा देवी के निशानात या गैरउल्लाह की परस्तिश करने वालों के मज़हबी निशानात बताए गए हैं अव्वल तो मुस्तनद तारीख से उसका सबूत होना चाहिए अगर मज़हबी तारीख में मुस्तनद तरीके पर इसका सबूत मिलता है तो हमें ऐसे धार्मिक निशानात से बचना चाहिए जिसमें दूसरे धर्म वालों की मज़हबी तकलीद (पैरवी करना) या मुशाबहत(हमशक्ली) लाज़िम आए। अनुवादक मुफती -फारूक कासमी
Thanks Mr. Umar Saif for this Fundamental Research work (tgs.ngo@gmail.com)
बहुत अच्छा लेख
ReplyDeleteयक़ीनन ऐसा कुछ निशान या नंबर नहीं जो हमें मुतास्सिर कर सके और शिर्क़ की तरफ मुब्तिला होने का ज़रिया बने. हमें इस मुताल्लिक़ मुताला करने की तरफ रुज़ुं होना चाहिए और अपनी मालूमात में इज़ाफा में करें.
ReplyDeleteफ़तवा के आधार पर यह सिद्ध हो जा रहा है कि आपने सही लिखा है.
ReplyDeleteभाईयों 786 को वह लोग अपना बना रहे हैं,जोकि हमारा था ही नहीं, 786 से हमें किया मिल गया था जो इनको मिल जायेगा, अब यह चाँद तारा भी इन्हें मुबारक जो अज्ञानता मैं हमारी मस्जिदों, घरों में घुसा हुआ, इसे निकाल फेंको, और लगवादो इन्हीं के सर पर जिनका यह था,
ReplyDeleteइस पोस्ट से एक दूसरे मुहम्मद उमर(उमर सेफ,शामली,मुजफ्फर नगर,यू.पी) की उनके काम से हिन्दी ब्लाग जगत में ऐन्ट्री होती है, उनका स्वागत किजिये, आगे आगे बहुत कुछ मिलेगा,
ब्लावाणी बंद नहीं होगया मुझे लगता है वह हमारीवाणी नाम से फिर शुरू होगा,अगर दूसरे उमर की एंट्री के दिन बंद होगया है तो मुझे भी अफसोस है एक दो महीने और चल जाता तब तक मेरा काम होजाता फिर मुझे पर्सियन ब्लागिंग में चले जाना था, उसके चले जाने से मुझे और अधिक समय तक इधर ही रूकना पडेगा,
बजा फ़र्माया आपने।
ReplyDeleteनई बात पता चली, लेकिन "22,000 साल पुराना सबूत"???? दिखाईये ज़रा आपके हाथ क्या लगा है? वैसे 22,000 साल कुछ ज्यादा तो नहीं हो गया? कहीं 2200 तो नहीं? गलती से एक शून्य ज्यादा लग गया होगा… यानी कि सिर्फ़ हिन्दू ही नहीं मुसलमान भी इस भ्रम में हैं कि चांद-तारा उनका पवित्र निशान है, इसका मतलब है कि पाकिस्तान के झण्डे में सब कुछ गड़बड़ ही है? पाकिस्तान को सलाह दी जाये कि वह अपना झण्डा लीबिया जैसा कर ले…
ReplyDeleteविषयान्तर - ब्लॉगवाणी बन्द होने से "कई खास" लोग खुश हुए हैं…
बात हो रही है खेत की और पहुँच गए खलिहान, क्यूँ सुरेश बाबू, यहाँ पकिस्तान के झंडे से क्या मतलब? और इस्लाम कोई देश या सरहद के बंधन में विश्वाश नहीं रखता; यह विश्व बंधुत्व और वसुधैव कुटुम्बकम यानि आलमी भाईचारे में विश्वास रखता है.
ReplyDeleteसन्दर्भ सहित: ब्लोगवाणी बंद होने से कुछ खास लोगों में मायूसी (जो मोडरेशन में विश्वास रख रहे थे)
Blogvani will start soon in a new awtar.
ReplyDeletechiplunkar sahb aapki jaankari ke liye bata doon 53 islami mulkon men 22 ke jhande par chaand tara he. aur insha allah woh sab ham hatwa denge...ses phir
ReplyDeleteyaar suresh bhayya aap kyon dusro ko beech mai laate hain(aap ki insult nahi kar raha hon) .saleem shab sukriya
ReplyDeleteye ek achchi koshish he,jihalat ki waje se chaand tara badnuma daag ki tarah hamare jhandon par saja hua he......hamen ise jald se jald hatwa dena chahiye. inshallah aap kamiyab rahoge.
ReplyDeleteअच्छा लेख है और नई जानकारी भी, यदि यह सिद्ध हो गया कि वास्त में यह दूसरे धर्मों की निशानी है।
ReplyDeleteintrested
ReplyDelete@Mohammed Umar Kairanvi
ReplyDelete@Suresh Chiplunkar
इंशाअल्लाह
@safat alam
भाई साहब अगर दुसरे धर्मों कि निशानी है भी क्या यह इतनी बड़ी परेशानी हो गयी ? मान लो कल पता चले मेरे बाप दादा से पहले वाले मद्रास से आये थे बिहार , तब उन्हें अब धोती कुरता छोड़ वेष्टि कि शुरुआत करनी चाहिए , खैर मैं नास्तिक हूँ | होगी आपकी ऐसी कोई मसत्वपूर्ण वजह जो मैं समझ नहीं सकता | अरे चीज़ें बदलती रहती हैं | और बदलनी चाहिए भी |
@कैर्वानी:
किनके सर पर लगाने का इरादा है बन्धु ?? :P
@ फकीर बाबा फिर किसी दिन आइये जी भर के जवाब दूंगा,फिर आपको कभी आपको लकीर का फकीर भी नहीं कहेगा, इन्शाअल्लाह (अगर अल्लाह ने चाहा)
ReplyDeleteआज किसी, ब्लागवाणी के गम में पी रहे ब्लागर के घर जाइये शायद भीख में कुछ आँसू मिल जायें,
@Kairanvi
ReplyDeleteभई मतलब पता था तभी प्रयोग किया, वासी धन्यवाद्. आप अभी भी जवाब दे सकते हैं | आंसू पीने का काम लूजर्स का होता है , मेरा नहीं है | मैंने तोह सोचा चलो अच्छी बहस चल रही है और कमेंट्स किये | और अगर आपके यही नजरिया रहा कमेन्ट करने वाले की प्रति तो आप महाशय भीख मांगने की लायक भी नहीं रहेंगे | इंशाल्लाह, आपके पोस्ट पे आना नहीं चाहूँगा , जो आदमी जवाब की शुरुआत धमकी से करता हो :)
bahut achcha laga ye jaan kari sab me phelani chahiye
ReplyDeleteबहुत सही बात कही है आपने मैं भी इसका जवाब ढूंढ रहा था....जो मुझे मिल गया....
ReplyDeleteइसे मैने अपने ब्लोग पर भी जगह दी है...
http://qur-aninhindi.blogspot.com/2009/10/moon-star-is-not-sign-of-islam-or.html